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करोड़ों खर्चने के बावजूद प्यासा रह गया किरतान गांव
विधायक रणधीर पनिहार ने जल्द समाधान का आश्वासन दिया
हिसार, 12 जून (हि.स.)। जिले के किरतान गांव में जनस्वास्थ्य विभाग की लापरवाही
का अजीबोगरीब मामला सामने आया है। विभाग ने गांव में पीने के पानी की समस्या का समाधान
करने पर करोड़ों रुपए खर्च दिए, इसके बावजूद समस्या दूर होने की बजाय ज्यादा बढ़ गई
है। बीते एक साल गांव के टैंक तक नहर से पानी नहीं पहुंच रहा है जिस कारण से जलघर के
टैंक खाली पड़े हैं। मजबूरीवश ग्रामीणों में एक हजार में पानी का टैंकर खरीदकर काम
चलाना पड़ रहा है।
विभाग के अधिकारी खुद मान रहे हैं कि गांव के जलघर के टैंक तक पानी पहुंचाने
के लिए डाली गई पाइपलाइन और पंपिंग मोटर क्षमता से छोटी लग गई है जिस कारण से पर्याप्त
मात्रा में टैंक तक पानी नहीं पहुंच रहा है। गुरुवार को हलके के विधायक रणधीर पनिहार
किरतान गांव में पहुंचे और पूरी समस्या को समझकर दोबारा से एस्टीमेट बनाने का ऑर्डर
दिया है।
18 वर्ष पहले बना था जलघर, दो दशक से झेल रहे समस्या
ग्रामीण विकास रेपसवाल ने बताया कि उनके गांव में वष 2007 में जलघर बनाया गया
था। गांव में जलघर बनने के बाद से ना तो आज तक टैंक भरे हैं और ना उनके घर पीने का
पानी आया है।
ग्रामीण दयानंद के अनुसार पहले जलघर में कबीर माइनर से पानी आता था लेकिन उस
इनलेट चैनल का लेवल गलत था जिस कारण जलघर तक कभी पानी नहीं पहुंचा। विभाग ने इस इनलेट
चैनल को ठीक करने के लिए तीन बार एस्टीमेट बनाया और पाइप उखाड़े और दबा दिए। ना तो
विभाग से इनलेट चैनल का लेवल ठीक हुआ ना पानी आया। आखिर में विभाग ने उस इनलेट चैनल
को बंद कर दिया।
ग्रामीण मुकेश खारड़िया ने बताया कि विभाग ने पुराने चैनल को लेवल खराब होने
पर बंद कर दिया और उसके बाद चौधरी माइनर से नया पंपिंग सिस्टम हेड पर लगाया गया जिस
पर कई करोड़ रुपए खर्च हुए। अब ये पंप हाउस शुरू होने के बाद भी जलघर तक पानी नहीं
पहुंच रहा। अब विभाग के अफसरों का कहना है कि गलत एस्टीमेट बन गया था जिस कारण पाइपें
और मोटर छोटी लग गई हैं। अब विभाग समस्या दूर करने की बजाय सिर्फ आश्वासन दे रहा है।
ग्रामीण रोहताश लुहानीवाल ने बताया कि सरकार उनके गांव में पीने के पानी पर
करोड़ों रुपए खर्च कर चुकी है लेकिन ग्रामीणों को अब भी पानी मोल खरीदकर पीना पड़ता
है। पूरी गड़बड़ विभाग के अफसरों और इंजीनियर्स के कारण हो रही है। ना तो इनसे लेवल
ठीक हो रहा है और ना इनसे पाइप और मोटर की सही गणना हो रही है। विभाग के अफसरों की
लापरवाही के कारण गांव हर महीने 20 लाख रुपए पानी मोल खरीदने पर खर्च करता है।
हिन्दुस्थान समाचार / राजेश्वर