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रामगढ़, 12 जून (हि.स.)। विकसित कृषि संकल्प अभियान के दौरान रामगढ़ के दुलमी प्रखंड में कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिकों की किसान जागरूकता कार्यक्रम गुरुवार को आयोजित किया गया।
दुलमी प्रखंड के जमीर, ईदपारा एवं उकरीद गांव में किसानों को समेकित कृषि के बारे में बताया गया। इसके अलावा मांडू प्रखंड के बड़की टुडी, छोटकी टुडी और केरीबंदा में भी शिविर का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम में भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद पटना के निदेशक डॉक्टर अनूप दास ने किसानों को खेती से आमदनी में बढ़ोतरी करने के गुर सिखाए।
उन्होंने किसानों समेकित कृषि के बारे मे बताते हुए कहा कि यह एक ऐसी खेती की विधि है जिसमें खेती के विभिन्न घटकों को एक साथ जोड़ा जाता है। फसल उत्पादन, पशुपालन, मत्स्य पालन, बागवानी और वानिकी को एक ही स्थान पर करने का फैसला लें। यह एक ऐसी प्रणाली है जो किसानों को साल भर आमदनी कमाने और संसाधनों का कुशलता से उपयोग करने में मदद करती है।
जलवायु के अनुसार इस्तेमाल करें तकनीक
प्रधान वैज्ञानिक डॉ अभय कुमार ने किसानों को खरीफ फसलों की जलवायु अनुकूल नई तकनीकों को अपनाने की बात कही। उन्होंने किसानों से मशरुम उत्पादन कर आमदनी बढ़ाने को कहा। कृषि विज्ञान केंद्र के प्रधान डॉ सुधांशु शेखर ने किसानों को पशुपालन मे नस्ल सुधार की विधि और महत्व से अवगत कराया।
साथ ही उन्होंने कहा कि खेती के पहले उन्नत और स्वस्थ बीज का चयन और बीजोपचार आवश्यक है। कार्यक्रम में केंद्रीय वर्षाश्रित उपराऊ चावल अनुसंधान केंद्र के वैज्ञानिक डॉ सौम्य साहा ने धान, अरहर के उचित प्रभेदों के चयन की जानकारी, खरीफ फसलों में उर्वरक प्रबंधन, बीज शोधन और धान रोपाई की विधि की जानकारी के साथ-साथ मोटे अनाजों जैसे ज्वार, बाजरा, मक्का एवं मडुवा की खेती के बारे में विस्तृत जानकारी दी।
इन चीजों से करें अपने फसलों की सुरक्षा
वैज्ञानिक डॉक्टर शिवमंगल प्रसाद ने खरीफ मौसम में धान की वैज्ञानिक खेती, संस्थान से विकसित जलवायु अनुकूल सूखा सहनशील प्रजातियों की जानकारी, खरपतवार प्रबन्धन, कीट - रोग प्रबंधन, बीज उपचार एवं पौधशाला प्रबंधन की जानकारी दी। डॉ इंद्रजीत ने प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि, फसल बीमा योजना, किसान क्रेडिट कार्ड और एफपीओ की भूमिका पर किसानों को विस्तार से जानकारी दी। प्रक्षेत्र प्रबंधक सनी कुमार ने किसानों को ग्रीष्मकालीन जुताई एवं हरी खाद के बारे मे विस्तृत जानकारी दी।
खरीफ मौसम में वैज्ञानिक विधि से करें धान की खेती
कृषि विज्ञान केंद्र के मौसम पर्यवेक्षक शशिकांत चौबे ने मौसम आधारित कृषि तकनीकों तथा पूर्वानुमान आधारित सलाहों के पालन की आवश्यकता पर बल दिया। इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य खरीफ मौसम में धान की वैज्ञानिक खेती, सब्ज़ियों के मूल्य संवर्धन तथा विभिन्न सरकारी योजनाओं की जानकारी किसानों तक पहुंचाना है।
इस अवसर पर प्रखंड तकनीकी प्रबंधक, इफको के आशीष कुमार, दुलमी एफपीओ के सदस्य तथा प्रगतिशील किसान सहित दुलमी प्रखंड और मांडू प्रखंड के विभिन्न गांवों से आए 1050 से अधिक किसानों ने भाग लिया। 29 मई से 11 जून तक कृषि विज्ञान केन्द्र द्वारा प्रतिदिन जिले मे छह स्थानों पर दो वैज्ञानिक दलों ने कुल 84 जगहों पर जागरूकता अभियान का आयोजन किया गया। इसमें जिला के 18000 से अधिक किसान लभान्वित हुए।
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हिन्दुस्थान समाचार / अमितेश प्रकाश