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जोधपुर, 12 जून (हि.स.)। डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन राजस्थान आयुर्वेद विश्वविद्यालय के मानव संसाधन विकास केंद्र के तत्वावधान में सतत क्षमता विकास कार्यक्रम 2025 का आयोजन किया जा रहा है। कार्यक्रम के अंतर्गत वैज्ञानिक ‘जी’ श्रेणी (सेवानिवृत्त) डॉ. अरुण कुमार त्रिपाठी ने प्राकृतिक औषधियों में अनुसंधान की संभावनाएं विषय पर अपना विशिष्ट व्याख्यान प्रस्तुत किया।
अपने व्याख्यान में डॉ. त्रिपाठी ने बताया कि किस प्रकार प्रकृति में उपलब्ध औषधीय पौधों, जड़ी-बूटियों एवं प्राकृतिक उत्पादों से अनेक रोगों के प्रभावी उपचार संभव हैं। उन्होंने आयुर्वेदिक, यूनानी, सिद्ध, होम्योपैथी तथा आधुनिक चिकित्सा पद्धतियों में प्राकृतिक औषधियों के बढ़ते महत्व पर प्रकाश डाला। डॉ. त्रिपाठी ने जैव विविधता (जैविक विविधता) के संरक्षण, अनुसंधान तथा नवाचार की आवश्यकता पर बल दिया।
इस अवसर पर कुलगुरु प्रोफेसर (वैद्य) प्रदीप कुमार प्रजापति ने अपने संबोधन में कहा कि आधुनिक अनुसंधान पद्धतियों के सहयोग से प्राकृतिक औषधियों के सक्रिय घटकों की वैज्ञानिक पुष्टि कर इनका वैश्विक स्वास्थ्य प्रणाली में समावेश किया जा सकता है। कार्यक्रम की अध्यक्षता विश्वविद्यालय के कुलगुरु प्रोफेसर (वैद्य) प्रदीप कुमार प्रजापति ने की। इस अवसर पर पूर्व कुलसचिव प्रोफेसर गोविंद सहाय शुक्ल, पूर्व प्राचार्य प्रोफेसर महेंद्र कुमार शर्मा, मानव संसाधन विकास केंद्र के निदेशक डॉ. राकेश कुमार शर्मा, उप प्राचार्य डॉ. नीलीमा रेड्डी, डॉ. संजय श्रीवास्तव, संकाय सदस्य, एवं स्नातकोत्तर छात्र उपस्थित रहे।
हिन्दुस्थान समाचार / सतीश