कांग्रेस ने नायब तहसीलदार चयन में सभी आधिकारिक भाषाओं के साथ समान व्यवहार की मांग की
कांग्रेस ने नायब तहसीलदार चयन में सभी आधिकारिक भाषाओं के साथ समान व्यवहार की मांग की


जम्मू, 12 जून (हि.स.)। जम्मू-कश्मीर में हाल ही में नायब तहसीलदार की 75 रिक्तियों के चयन को लेकर चल रहे विवाद पर प्रतिक्रिया देते हुए कांग्रेस ने चयन प्रक्रिया में सभी मान्यता प्राप्त आधिकारिक भाषाओं को समान रूप से महत्व देने की मांग की है। इस मुद्दे पर जम्मू-कश्मीर प्रदेश कांग्रेस कमेटी के मुख्य प्रवक्ता रविंदर शर्मा ने भाजपा से तीखे सवाल किए और 2019 में हुए चयन में उम्मीदवारों के साथ हुए कथित अन्याय पर भाजपा की चुप्पी पर भी सवाल उठाया।

शर्मा ने कहा कि वर्तमान भर्ती अधिसूचना में केवल उर्दू भाषा को अनिवार्य योग्यता के रूप में शामिल करना असमानता को दर्शाता है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस पहले दिन से ही स्पष्ट कर चुकी है कि जब जम्मू-कश्मीर में अब कई आधिकारिक भाषाएं मान्यता प्राप्त हैं और राजस्व रिकॉर्ड अंग्रेजी व हिंदी में अनूदित किए जा रहे हैं, तो सभी भाषाओं को बराबरी का दर्जा मिलना चाहिए।

उन्होंने यह भी स्मरण कराया कि 2010 में जब कांग्रेस के नेतृत्व वाली सरकार में रमन भल्ला राजस्व मंत्री थे तब उर्दू को अनिवार्य योग्यता से हटाकर सभी उम्मीदवारों के साथ न्याय किया गया था। बाद में पटवारी की भर्तियों में चयनित उम्मीदवारों को उर्दू का प्रशिक्षण देकर परीक्षा पास कराने के बाद नियुक्त किया गया। भाजपा पर तीखा हमला बोलते हुए शर्मा ने पूछा कि जब 2019 में राज्य में राज्यपाल शासन था और केंद्र में भाजपा की सरकार थी तब इस प्रकार की भाषा आधारित भेदभाव वाली चयन प्रक्रिया को क्यों नहीं रोका गया। उन्होंने यह भी कहा कि यदि भाजपा उस समय इस विषय से अवगत थी तो उसने चुप्पी क्यों साधी रखी।

कांग्रेस ने इस मुद्दे को गंभीर बताते हुए नायब तहसीलदार की अधिसूचना में तत्काल संशोधन की मांग की है ताकि सभी मान्यता प्राप्त आधिकारिक भाषाओं के साथ समान व्यवहार सुनिश्चित हो सके।

हिन्दुस्थान समाचार / राहुल शर्मा