भारतीय ज्ञान परम्परा पर गर्व एवं विश्वास का भाव जागृत करने की आवश्यकता: मंत्री परमार
पं. उद्धव दास मेहता वैद्य शास्त्री आयुर्वेद सेवा सम्मान समारोह


- पं. उद्धव दास मेहता वैद्य शास्त्री आयुर्वेद सेवा सम्मान समारोह संपन्न

भोपाल, 11 जून (हि.स.)। आयुर्वेद भारत की पुरातन चिकित्सा पद्धति है़। हमारे पूर्वजों ने विश्व में भारतीय ज्ञान परम्परा को आयुर्वेद के माध्यम से स्थापित किया। वर्तमान परिदृश्य में समाज में हर क्षेत्र-हर विधा में विद्यमान परम्परागत भारतीय ज्ञान पर वैज्ञानिक दृष्टिकोण आधारित शोध एवं अनुसंधान हो रहे हैं और हर क्षेत्र में भारतीय ज्ञान के प्रमाण मिल रहे हैं।

यह बात उच्च शिक्षा, तकनीकी शिक्षा एवं आयुष मंत्री इन्दर सिंह परमार ने बुधवार को भोपाल स्थित पं. खुशीलाल शर्मा शासकीय आयुर्वेद संस्थान के रजत जयंती सभागार में, आयुष विभाग द्वारा स्थापित पं.उद्धव दास मेहता वैद्य शास्त्री आयुर्वेद सेवा सम्मान समारोह में कही। उन्होंने आयुर्वेद के क्षेत्र में शोध को बढ़ावा देने पर जोर देते हुए कहा कि आयुर्वेद में नवाचार एवं तकनीक आधारित शोध एवं अनुसंधान की आवश्यकता है, इससे आने वाले समय में आयुर्वेद भी जनमानस में आधुनिक चिकित्सा पद्धति के समकक्ष मान्यता स्थापित कर सकेगा।

मंत्री परमार ने कहा कि स्वतंत्रता के शताब्दी वर्ष 2047 तक हर क्षेत्र के लिए लक्ष्य निर्धारित कर क्रियान्वयन हो रहा है। भारत, आयुर्वेद के माध्यम से पुनः विश्वमंच पर सिरमौर बनेगा। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के आधार पर देश पुनः विश्वमंच पर सर्वश्रेष्ठ बने, इसके लिए भारतीय ज्ञान परम्परा पर गर्व एवं विश्वास का भाव जागृत करना होगा।

मंत्री परमार ने उक्त पुरस्कार की राशि आगामी सत्र से एक लाख रुपये से बढ़ाकर एक लाख 51 हजार रुपये करने की बात कही। इससे लोग नवाचार के लिए अधिक से अधिक समर्पण भाव से कार्य के लिए स्वप्रेरित होंगे। परमार ने पुरस्कार प्राप्त करने वाली विभूतियों को बधाई एवं शुभकामनाएं भी दीं।

भोपाल (दक्षिण-पश्चिम) विधानसभा के विधायक भगवान दास सबनानी ने आयुर्वेद की बढ़ती लोकप्रियता के आधार पर, युवा चिकित्सकों को कड़े परिश्रम के आधार पर पुरस्कार प्राप्त करने की अपेक्षा व्यक्त की। महापौर मालती राय ने भोपाल में नवविकसित हर्बल गार्डन को पं. खुशीलाल शर्मा शासकीय आयुर्वेद संस्थान को हस्तांतरित करने से अवगत कराया, इससे विद्यार्थियों के अध्ययन - अध्यापन में और अधिक सहयोग मिलेगा।

समारोह में वर्ष 2022 के लिए डॉ उमाशंकर निगम एवं वर्ष 2023 के लिए संयुक्त रूप से डॉ संजय लाले और शासकीय आयुर्वेद महाविद्यालय जबलपुर को पुरस्कार प्रदान किया गया। पुरस्कार प्राप्तकर्ताओं ने अपने कार्यों के बारे में संक्षिप्त उद्बोधन दिया। ज्ञातव्य है कि उक्त पुरस्कार में प्रशस्ति पत्र के साथ एक लाख रुपये की राशि दी जाती है एवं दो समान अंकधारी होने की अवस्था में प्रत्येक को 50 हजार रुपये की राशि दी जाती है।

इस अवसर पर आयुष आयुक्त संजय मिश्र, वरिष्ठ समाजसेवी डॉ. गोपाल दास मेहता एवं संस्थान के प्राचार्य डॉ. उमेश शुक्ला सहित संस्थान के प्राध्यापक एवं विद्यार्थी उपस्थित थे।

हिन्दुस्थान समाचार / मुकेश तोमर