Enter your Email Address to subscribe to our newsletters
मंडी, 11 जून (हि.स.)। साहित्यिक संस्था हिम साहित्य परिषद की ओर से भाषा एवं संस्कृति विभाग के सहयोग से कबीर जयंती का आयोजन किया गया। बीडीओ आफिस नेरचौक में आयोजित इस कार्यक्रम में जिला भाषा अधिकारी रेवती सैनी बतौर मुख्य अतिथि शिरकत की। जबकि वरिष्ठ साहित्यकार डा. गंगा राम राजी ने कार्यक्रम की अध्यक्षता की। हिम साहित्य परिषद के अध्यक्ष डा. पीसी कौंडल ने मुख्यअतिथि एवं अन्य साहित्यकारों का स्वागत करते हुए मुख्यअतिथि को शॉल टोपी भेंट की। जबिक परिषद के महासचिव भगत सिंह गुलेरिया ने कार्यक्रम के अध्यक्ष डा. गंगाराम राजी को टोपी-मफलर भेंट कर सम्मानित किया।
इस अवसर पर कबीर के जीवन और समाज के प्रति उनके योगदान को लेकर उत्तम चंद शर्मा और सुरेंद्र मिश्रा ने पत्र वाचन किया। अपने अध्यक्षीय संबोधन में डा. गंगाराम राजी ने कहा कि कबीर कोई व्यक्ति नहीं एक विचार है। उन्होंने अपने समय की कुरीतियों, सामाजिक कुरीतियों, धार्मिक पाखंड, सांप्रदायिकता का खुलकर विरोध किया। उन्होंने कहा कि कबीर ने जिन सामाजिक कुरीतियों और पाखंड को खुलकर विरोध किया वे आज भी व्याप्त है। ऐसे में कबीर की प्रासंगिकता आज भी उनती ही है जितनी उस दौर में थी। वहीं पर मुख्यअतिथि जिला भाषा अधिकारी ने कहा कि कबीर सबसे बड़े समाज सुधारक और संत थे। उनकी वाणी सामाजिक कूरीतियों, विसंगतियों , पाखंडों के खिलाफ मुखर रही , वहीं पर हिंदू-मुस्लिम एकता के वे पक्षधर रहे। उनका व्यक्तित्व निर्भिक और निडर था, उन्होंने औरंगजेब के काल में धार्मिक कुरीतियों का विरोध किया और समाज को नई दिशा दिखाई। लोक साहित्यकार कृष्णचंद्र महादेविया ने चर्चा में भाग लेते हुए कबीर की चर्चा लोकसाहित्य में भी हुई है। समाज सुधारक के रूप में कबीर भूमिका महत्वपूर्ण रही है।
वहीं पर साहित्यकार मुरारी शर्मा ने कहा कि कबीर को जानने के लिए उनके विचारों को समझना जरूरी है। कबीर को तीन सौ साल बाद हजारी प्रसाद द्विवेदी ने बतौर समाज सुधार, प्रखर कवि के रूप में सामने लाया। कबीर की प्रासंगिकता हर दौर में रहेगी, खासकर साहित्य में कबीर पुरखे कवि के रूप में जाने जाते हैं। समाज के प्रति कबीर की पक्षधरता को देखते हुए आज के दौर में हर कवि कबीर होना चाहता है ,मगर यह इतना आसान नहीं है। इस अवसर पर बहुभाषी कवि गोष्ठी का भी आयोजन किया गया। जिसमें रत्तन लाल शर्मा, मुरारी शर्मा, हरीप्रिया शर्मा, किरण गुलेरिया, ऋचा, शीतल , राजेंद्र ठाकुर, विनोद गुलेरिया, डा. कमल प्यासा,भूपसिंह प्रभाकर, डा. पीसी कौंडल, सरिता हांडा, विद्या शर्मा, कृष्ण चंद्र महादेविया, नरेंद्र शर्मा, सीता राम वर्मा, उत्तम चंद शर्मा आदि ने अपन-अपनी कविताओं का पाठ किया।
---------------
हिन्दुस्थान समाचार / मुरारी शर्मा