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खूंटी, 11 जून (हि.स.)। राज्य के पूर्व ग्रामीण विकास मंत्री और भाजपा कें वरिष्ठ प्रदेश उपाध्यक्ष नीलकंठ सिंह मुंडा ने झारखंड शिक्षक पात्रता परीक्षा(जेटैट) नियमावली.2025 में जनजातीय और क्षेत्रीय भाषाओं की सूची से मुंडारी भाषा को हटाए जाने के फैसले की कड़ी निंदा की है और इसमें अविलंब संशोधन की मांग की है। नीलकंठ सिंह मुंडा ने कहा कि आदिवासियों के नाम पर राजनीति करने वाला झामुमो मुंडारी भाषा और संस्कृति को नष्ट करने की साजिश कर रहा है।
उन्होंने कहा कि सरकार के फैसले ने खूंटी के आदिवासी समाज में आक्रोश पैदा कर दिया है। हिन्दुस्थान समाचार से बातचीत करते हुए खूंटी के पांच बार विधायक रहे नीलकंठ सिंह मुडा ने कहा कि मुुंडारी सिर्फ एक भाषा नहीं, बल्कि सांस्कृतिक पहचान है। इस भाषा ने भगवान बिरसा मुंडा, जयपाल सिंह मुंडा, डॉ राम दयाल मुंडा जैसी विभूतियों को जन्म दिया। खासकर मुंडा बहुल क्षेत्र खूंटी में इसे समुदाय के अस्तित्व और अस्मिता से जोड़कर देखा जा रहा है। पूर्व ग्रामीण विकास मंत्री ने इस फैसले की कड़ी आलोचना करते हुए राज्य सरकार को चेतावनी दी है कि अगर जल्द ही मुंडारी भाषा को सूची में शामिल नहीं किया गया, तो खूंटी के मुंडा समुदाय को आंदोलन के लिए बाध्य होना पड़ेगा। उन्होंने कहा कि खूंटी जिले की 80 फीसदी जनजातीय समाज की मातृभाषा मुंडारी है। ऐसे में मुंडारी भाषा को सूची में शामिल न करना मुंडा समाज को अपमानित करने वाल है। उन्होंने स्पष्ट कहा कि खूंटी जिले के लिए जनजातीय भाषाओं में कुडूख और खड़िया तथा क्षेत्रीय भाषा में नागपुरी, पंचपरगनिया और कुरमाली को शामिल किया गया है और मुंडारी को छोड़ दिया गया है।
पूर्व मंत्री ने कहा कि खूंटी मुंडारी खुंटकट्टी क्षेत्र है। यहां के मुंडा समुदाय ने विश्वास के साथ मौजूदा सरकार को समर्थन दिया था, लेकिन अब उनकी भाषा को सूची से बाहर करना विश्वासघात के समान है। यह राज्य सरकार की मुंडा समुदाय के प्रति उपेक्षा और साजिश को दर्शाता है। उन्होंने राज्य सरकार से मांग की कि नियमावली में संशोधन कर अविलंब मुंडारी भाषा को फिर से सूची में शामिल किया जाए। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि सरकार ने इस दिशा में त्वरित कदम नहीं उठाया, तो मुंडा समाज चुप नहीं बैठेगा और एक बड़ा जन आंदोलन खड़ा किया जाएगा।
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हिन्दुस्थान समाचार / अनिल मिश्रा