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रांची, 11 जून (हि.स.)। रांची विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ अजीत सिन्हा के कार्यकाल के दौरान हुई प्रशासनिक और वित्तीय अनियमितताओं की जांच के आदेश राज्यपाल सह कुलाधिपति संतोष कुमार गंगवार ने दिया है। राज्यपाल ने यह निर्देश विभिन्न शिकायतों के आधार पर दिया है। मामले की पुष्टि राजभवन के अधिकारियों ने की है और कहा है कि तमाम विभागों को इससे संबंधित पत्र भेजा गया है।
राज्यपाल के निर्देश पर उनके अपर मुख्य सचिव डॉ नितिन मदन कुलकर्णी ने पत्र जारी कर जांच प्रक्रिया शुरू करने को कहा है। प्रशासनिक मामलों की जांच का जिम्मा उच्च और तकनीकी शिक्षा विभाग के प्रधान सचिव राहुल पुरवार को सौंपा गया है। वहीं वित्तीय मामलों की जांच के लिए वित्त विभाग के प्रधान सचिव को पिछले तीन वर्षों का विशेष ऑडिट कराने का निर्देश दिया गया है। इसे लेकर राज्यपाल ने एक उच्चस्तरीय कमेटी बनाने का निर्देश भी दिया है। इसमें उनके विशेष कार्य पदाधिकारी (ओएसडी) ज्यूडिशियल गतिकृष्ण तिवारी को भी सदस्य बनाया गया है। यह कमेटी 15 दिनों के भीतर अपनी रिपोर्ट देगी।
बिना टेंडर के काम कराने का आरोप
कुलपति पर आरोप है कि उन्होंने बिना टेंडर के कार्य कराए, सीनेट भवन और कुलपति चेंबर का निर्माण कराया और शिक्षकों का स्थानांतरण दुर्भावना से प्रेरित होकर किया। साथ ही नैक दौरे के नाम पर फिजूल खर्च किया।
डीएसपीएमयू के कुलपति भी जांच के घेरे में
इधर डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी विश्वविद्यालय में अनुबंध पर शिक्षक नियुक्ति में अनियमितता की जांच के आदेश भी राज्यपाल ने दिए हैं।
उल्लेखनीय है कि रांची विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ अजीत सिन्हा का कार्यकाल 22 जून को समाप्त हो रहा है और नए कुलपति की नियुक्ति की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है।
किसी भी जांच को तैयार, सहयोग को तैयार : कुलपति
इस पूरे विवाद पर जब कुलपति डॉ अजीत कुमार सिन्हा से बात की गई, तो उन्होंने स्पष्ट शब्दों में कहा कि वे किसी भी तरह की जांच से नहीं भाग रहे हैं। उन्होंने कहा कि जांच हो जाए, दूध का दूध और पानी का पानी हो जाएगा। उन्होंने कहा कि मैं पूरी तरह से जांच का स्वागत करता हूं और राज्यपाल की ओर से गठित किसी भी समिति को पूरा सहयोग दूंगा। कुलपति ने अपनी सफाई में कहा कि जब उन्होंने विश्वविद्यालय का कार्यभार संभाला, तब यूनिवर्सिटी भवन की हालत बेहद जर्जर थी। छात्राओं के लिए शौचालय नहीं थे, सीनेट हॉल खस्ताहाल था, कई जगहों से छज्जे गिर रहे थे और पीने के पानी की व्यवस्था भी नहीं थी।
उन्होंने कहा कि इन समस्याओं को देखते हुए उन्होंने तात्कालिक रूप से सुधारात्मक कदम उठाए, ताकि छात्रों और शिक्षकों को सुरक्षित और सुविधाजनक वातावरण मिल सके।
डॉ सिन्हा ने यह भी दावा किया कि उनके पास सभी कार्यों से संबंधित दस्तावेज, बिल और स्वीकृतियां मौजूद हैं। उन्होंने कहा कि मैंने कुछ भी गलत नहीं किया है। हरेक कार्य प्रशासनिक प्रक्रिया का पालन करते हुए किया गया है। यदि किसी को संदेह है, तो जांच से स्पष्ट हो जाएगा। उन्होंने जोर देकर कहा कि उनके पास प्रत्येक कार्य का खाका है और उन्होंने अपने स्तर पर विश्वविद्यालय को बेहतर बनाने के लिए ईमानदारी से कार्य किया है। अगर इसके बावजूद सवाल उठ रहे हैं, तो इसका उन्हें कोई खेद नहीं, पर वे हर संभव सहयोग देने को तैयार हैं।
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हिन्दुस्थान समाचार / Vinod Pathak