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मुकुंद
मान्यता है कि भारत में नौतपा के दिनों में सबसे अधिक गर्मी पड़ती है। यह बात अलग है कि इस बार नौतपा के नौ दिनों ने अधिक नहीं सताया। नौतपा खत्म होने के बाद पड़ रही गर्मी ने हाल-बेहाल कर दिया है। नौतपा पर कहावत है,''तपै नवतपा नव दिन जोय, तौ पुन बरखा पूरन होय''। इसका अर्थ है कि यदि नौतपा के नौ दिन खूब तपते हैं, तो बारिश अच्छी होगी।
यह एक अवधि है मानी जाती है। अब तक का यह शाश्वत सत्य है कि जब सूर्य रोहिणी नक्षत्र में प्रवेश करता है तो गर्मी अपने चरम पर होती है। यह कहावत नौतपा के गर्मी के प्रभाव और उसके मानसून पर पड़ने वाले प्रभाव के बीच सीधे संबंध को रेखांकित करती है। देश का किसान इस कहावत पर विश्वास करता है। उसका दृढ़ विश्वास होता है कि नौतपा के दौरान अगर अच्छी गर्मी हो तो मानसून के दौरान अच्छी बारिश होगी।
नौतपा पर एक अन्य मारवाड़ी कहावत है, ''दोए मूसा, दोए कातरा, दोए तिड्डी, दोए ताव । दोयां रा बादी जल हरै, दोए बिसर, दोए बाव।'' अर्थात पहले दो दिन लू न चले तो चूहे अधिक होंगे । दूसरे दो दिन हवा न चले तो कातरे (फसलों को नष्ट करने वाले कीट) बहुत होंगे । तीसरे दो दिन हवा न चले तो टिड्डी दल के आने की आशंका रहती है । चौथे दिन हवा न चलने पर बुखार आदि रोगों का प्रकोप बढ़ जाता है । पांचवें दो दिन हवा न चलने पर अल्प वर्षा होती है। छठे दो दिन लू न चले तो जहरीले जीव-जन्तुओं (सांप-बिच्छू आदि) की बहुतायत हो जाती है। सातवें दो दिन हवा न चले तो आंधी चलने की आशंका रहती । सरल अर्थ में सार यह है कि अधिक गर्मी पड़ने से चूहों, कीटों व अन्य जहरीले जीव-जन्तुओं के अंडे समाप्त हो जाते हैं, क्योंकि यह उनका प्रजनन काल होता है ।
इस समय लगभग सारा देश गर्मी से झुलस रहा है। कुछ राज्य बरसात होने से राहत महसूस कर रहे हैं। झुलसाती गर्मी रात को भी पीछा नहीं छोड़ रही। भारत मौसम विज्ञान विभाग के आज सुबह के पूर्वानुमान ने तो डरा ही दिया है। इसमें साफ कहा गया है कि अगले चार दिन तक उत्तर-पश्चिम भारत में बढ़ते अधिकतम तापमान से कोई राहत मिलने के आसार नहीं हैं। हालांकि उसके बाद धीरे-धीरे दो से चार डिग्री सेल्सियस की गिरावट आने से गर्मी से राहत मिल सकती है। इसके अलावा अगले दो से तीन दिन के दौरान मध्य और पूर्वी भारत में अधिकतम तापमान में कोई बड़ा बदलाव होने की संभावना नहीं है।
इस समय देश की राजधानी दिल्ली भी भीषण गर्मी से कराह रही है। 10 जून को तापमान 43.8 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच चुका है। आज अधिकतम तापमान के 44 से 46 डिग्री सेल्सियस तक पहुंचने का पूर्वानुमान लगाया है। नोएडा, गाजियाबाद और फरीदाबाद जैसे पड़ोसी शहर भी गर्मी के प्रकोप से अछूते नहीं हैं। कल यानी 10 जून को तो पंजाब के भटिंडा में अधिकतम तापमान 47.6 डिग्री सेल्सियस पर पहुंच गया। इसके उलट महाराष्ट्र के नांदेड़ में न्यूनतम तापमान 19.5 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया। 16 जून तक पश्चिमी राजस्थान के कई इलाकों में गर्म हवाएं चलने का पूर्वानुमान जारी किया है।
पूर्वी उत्तर प्रदेश भी तप रहा है। पंजाब, जम्मू और कश्मीर, लद्दाख, गिलगित-बाल्टिस्तान-मुजफ्फराबाद, हिमाचल प्रदेश, हरियाणा, पश्चिमी उत्तर प्रदेश, उत्तरी मध्य प्रदेश को 12 जून को भी झुलसाने वाली हवा से छुटकारा मिलने के आसार नहीं हैं। पश्चिम बंगाल, बिहार, ओडिशा, पंजाब और हरियाणा में सूरज आग उगल रहा है। वैज्ञानिकों को मौसम में बदलाव 16 जून से शुरू होने की उम्मीद है। मगर कुछ जगह इससे पहले ही कुछ राहत मिल सकती है। मसलन उत्तराखंड के कुछ हिस्सों में 12 जून से ही गरज के साथ बादल जमकर बरस सकते हैं।
हालांकि देश के अलग-अलग हिस्सों में जारी चक्रवाती प्रसार व हवाओं के ट्रफ से आंध्र प्रदेश, तटीय कर्नाटक, आंतरिक कर्नाटक, केरल और माहे, मध्य महाराष्ट्र, मराठवाड़ा, तमिलनाडु, पुडुचेरी और कराईकल और तेलंगाना के अलग-अलग हिस्सों में भारी बारिश होने की आशंका जताई गई है। इन सभी राज्यों में 64.5 से 115.5 मिलीमीटर तक बारिश हो सकती है।
असम, मेघालय, नागालैंड, मणिपुर, मिजोरम और त्रिपुरा में 30 से 40 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से चलने वाली हवाओं के साथ भारी बारिश के बीच आसमानी बिजली गिरने के आसार हैं। पूर्वोत्तर भारत के इन राज्यों में भी 64.5 से 115.5 मिलीमीटर तक पानी बरस सकता है। बिहार, छत्तीसगढ़ और विदर्भ के अलग-अलग हिस्सों में 50 से 60 किलीमीटर प्रति घंटे की गति से तूफानी हवा चलने के आसार हैं। मौसम विज्ञान विभाग के अनुसार, 14 जून के आसपास मध्य और आसपास के पूर्वी भारत के कुछ और हिस्सों में मानसून के आगे बढ़ने के लिए परिस्थितियां अनुकूल बताई जा रही हैं।
(लेखक, हिन्दुस्थान समाचार से संबद्ध हैं।)
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हिन्दुस्थान समाचार / मुकुंद