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हिन्दुस्थान समाचार की विशेष प्रस्तुति
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अश्विनी वैष्णव का एक लेख साझा किया है। इसमें 11 वर्ष के समावेशी विकास के परिवर्तनकारी प्रभाव पर जोर दिया गया है। यह एक ऐसी यात्रा है जिसने राष्ट्र को उल्लेखनीय तरीकों से सशक्त, उन्नत और आगे बढ़ाया है। एक्स पर पोस्ट में प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, ''केंद्रीयमंत्री अश्विनी वैष्णव ने समावेशी विकास के 11 वर्षों पर विचार किया। यह एक ऐसी यात्रा है जिसने नागरिकों को कई तरह से लाभान्वित किया है। सबसे महत्वपूर्ण बात यह कि इससे लोगों में विश्वास जागा है। एक ऐसा विश्वास जो राष्ट्र को सशक्त बनाता है, उत्थान करता है और आगे बढ़ाता है।'' प्रधानमंत्री ने आखिर में लिखा, '' यह एक अंतर्दृष्टिपूर्ण लेख है !''
केंद्रीय रेल, इलेक्ट्रॉनिक्स, सूचना प्रौद्योगिकी और सूचना और प्रसारणमंत्री अश्विनी वैष्णव के इस लेख को अंग्रेजी के अखबार द इंडियन एक्सप्रेस ने 11 जून, 2025 के अंक में छापा है। प्रधानमंत्री ने इसी लेख का जिक्र एक्स पोस्ट पर किया है। वैष्णव ने लिखा है कि 11 वर्षों के समावेशी विकास ने लोगों को बेहतर भविष्य का दृढ़ विश्वास दिलाया है। हमने शुरू से ही 'अंत्योदय' पर काम किया। हमारा लक्ष्य पिरामिड के निचले हिस्से में रहने वाले लोगों का उत्थान रहा। इस लेख का भावानुवाद आप भी पढ़ सकते हैं।
वैष्णव लिखते हैं, एक नया भारत आकार ले रहा है- जहां प्रगति को केवल जीडीपी में नहीं, बल्कि सम्मान और अवसर में मापा जाता है। कडप्पा की एक गृहिणी अन्नम लक्ष्मी भवानी ने एक सफल जूट बैग निर्माण इकाई शुरू करने के लिए मुद्रा ऋण प्राप्त किया। हरियाणा में जगदेव सिंह एक एआई ऐप का उपयोग करके अपनी फसलों से संबंधित निर्णय लेते हैं। मीरा मांझी को उज्ज्वला के तहत एलपीजी कनेक्शन मिलता है। इससे उनकी रसोई धुआं रहित हो जाती है और वे अपने बच्चों के साथ अधिक गुणवत्तापूर्ण समय बिता पाती हैं। ये भारत भर के गांवों, कस्बों और शहरों की रोजमर्रा का सच है। ये परिवर्तन संरचनात्मक सुधारों और एक ऐसे नेतृत्व से उत्पन्न होते हैं जो अंतिम नागरिक (अंत्योदय) को सशक्त बनाने में विश्वास करता है।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में निर्देशित यह दृष्टि चार सरल लेकिन शक्तिशाली स्तंभों पर आधारित है। इनके तहत ऐसा बुनियादी ढांचा बनाना पड़ता है जो जोड़ता हो। विकास समावेशी हो। विनिर्माण रोजगार पैदा करने वाला हो। सशक्त करने वाली ऐसी प्रणालियों को सरल बनाना भी इसमें प्रमुख कारक है। पिछले 11 वर्षों में पूंजीगत व्यय में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है, जो 2025-26 में 11.2 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच गया है। सार्वजनिक निवेश में यह उछाल भारत के बुनियादी ढांचे-भौतिक, डिजिटल और सामाजिक में सबसे अधिक दिखाई देता है। इस अवधि में लगभग 59,000 किलोमीटर राजमार्ग बनाए गए हैं और 37,500 किलोमीटर से अधिक रेलवे ट्रैक बिछाए गए हैं। हाल ही में चिनाब और अंजी पुलों का उद्घाटन किया गया। यह एक आधुनिक भारत के प्रतीक हैं। कश्मीर के लोगों को इन पुलों के माध्यम से वंदे भारत का आगमन एक सपने जैसा लगा।
कनेक्टिविटी की यह भावना रेलवे से आगे बढ़कर डिजिटल हाइवे तक जाती है। भारत का डिजिटल सार्वजनिक बुनियादी ढांचा (डीपीआई) एक वैश्विक बेंचमार्क बन गया है। यूपीआई, आधार और डिजिलॉकर का अब उनके पैमाने और समावेशिता के लिए वैश्विक स्तर पर अध्ययन किया जाता है। हर दिन 141 करोड़ से अधिक आधार पंजीकरण और 60 करोड़ यूपीआई लेनदेन उनकी पहुंच और स्वीकृति को दर्शाते हैं कि इसके पीछे का विचार प्रौद्योगिकी का लोकतंत्रीकरण करना है। यही दृष्टिकोण इंडिया एआई मिशन को आगे बढ़ाता है। 34,000 से अधिक हाई-स्पीड कंप्यूटर चिप्स, जिन्हें जीपीयू के नाम से जाना जाता है, अब सभी के लिए वैश्विक लागत के सिर्फ एक-तिहाई पर उपलब्ध हैं। एआई विकास के हिस्से के रूप में इन चिप्स की जरूरत है। इसे और ज्यादा समर्थन देने के लिए,एआईकेओएसएचअ प्लेटफर्म सीखने और नवाचार के लिए 370 से अधिक डेटासेट और 200 से अधिक इस्तेमाल के लिए तैयार एआई मॉडल पेश करता है।
सुलभता पर यह फोकस तकनीक से आगे बढ़कर शिक्षा, स्वास्थ्य सेवा और बुनियादी सेवाओं तक फैला हुआ है। पिछले 11 वर्षों में मेडिकल कॉलेजों की संख्या 387 से बढ़कर 780 हो गई है और एम्स संस्थानों की संख्या सात से बढ़कर 23 हो गई है। एमबीबीएस और पीजी सीटें भी दोगुनी से ज्यादा हो गई हैं। 530 मिलियन से अधिक जन धन खाते खोले गए हैं - जो यूरोप की आबादी से भी ज्यादा है। चालीस मिलियन घर बनाए गए हैं, 120 मिलियन शौचालयों का निर्माण किया गया है और 100 मिलियन परिवार अब लकड़ी की आग के बजाय स्वच्छ एलपीजी से खाना बनाते हैं। हर घर जल के तहत 140 मिलियन घरों में नल के पानी के कनेक्शन भी पहुंच गए हैं। आयुष्मान भारत के तहत स्वास्थ्य बीमा 350 मिलियन लोगों को कवर करता है और 110 मिलियन किसान अब पीएम-किसान के माध्यम से प्रत्यक्ष आय सहायता प्राप्त करते हैं। ये संख्या 100 मिलियनवीं उज्ज्वला लाभार्थी मीरा मांझी जैसे लोगों की कहानियों के माध्यम से जीवंत हो जाती है। अब उनके घर में नल का पानी, हर महीने मुफ्त राशन और उज्ज्वला योजना के तहत धुआं रहित रसोई है।
यह समावेशी विकास का ऐसा आयाम है जो हमारे हाल के इतिहास में किसी भी अवधि में नहीं देखा गया। साल 2015 में हमने रोजगार सृजन और औद्योगिक विकास को पुनर्जीवित करने के लिए मेक इन इंडिया की शुरुआत की। आज, इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण छह गुना बढ़कर 12 लाख करोड़ रुपये को पार कर गया है। इलेक्ट्रॉनिक्स निर्यात आठ गुना बढ़कर तीन लाख करोड़ रुपये को पार कर गया है और शीर्ष निर्यातित वस्तुओं में से एक बन गया है। भारत अब दूसरा सबसे बड़ा मोबाइल फोन उत्पादक है। हम अब नई इलेक्ट्रॉनिक घटक विनिर्माण योजना के तहत इलेक्ट्रॉनिक घटकों का उत्पादन करके विनिर्माण मूल्य शृंखला को गहरा कर रहे हैं। इसके साथ ही, भारत का सेमीकंडक्टर मिशन ब्लूप्रिंट से सफलता की ओर बढ़ रहा है। देश की पहली वाणिज्यिक प्रयोगशाला निर्माणाधीन है। पांच ओएसएटी इकाइयां चल रही हैं। देश में छात्रों और इंजीनियरों के स्वदेशी आईपी वाले 20 से अधिक चिपसेट डिजाइन किए गए हैं। हमने 270 विश्वविद्यालयों को विश्व स्तरीय ईडीए उपकरणों से जोड़ा है। यह एक सेमीकंडक्टर प्रतिभा पाइपलाइन की नींव है जिस पर दुनिया भरोसा कर सकती है।
पिछले दशक की एक खामोश क्रांति हमारे शासन में हुई है। 1,500 से ज्यादा पुराने कानून निरस्त किए गए और 40,000 से अधिक अनुच्छेद समाप्त किए गए। टेलीकॉम एक्ट और डीपीडीपी एक्ट जैसे नए कानून विश्वास और सरलता पर आधारित हैं, जो नागरिकों के साथ सम्मान के साथ पेश आते हैं। इसने निवेश, नवाचार और औपचारिकता को बढ़ावा दिया है, जिससे एक सद्गुणी विकास चक्र बना है। आतंकवाद के प्रति भारत का दृष्टिकोण भी बदल गया है। सर्जिकल स्ट्राइक से लेकर एयर स्ट्राइक और अब ऑपरेशन सिंदूर तक। भारत ने अपनी शर्तों पर आतंकवाद के खिलाफ अपनी लड़ाई में स्पष्टता और साहस दिखाया है। आतंकी हमलों का जवाब देने का यह नया तरीका मोदी सिद्धांत का हिस्सा है। यह तीन स्तंभों पर आधारित है। भारत की शर्तों पर निर्णायक जवाबी कार्रवाई, परमाणु ब्लैकमेल के लिए शून्य सहिष्णुता और आतंकवादियों और उनके प्रायोजकों के बीच कोई भेद नहीं। इस बार हमारी प्रतिक्रिया ने स्वदेशी तकनीकों और क्षमताओं का उपयोग करके इसे और भी महत्वपूर्ण बना दिया।
2004 में अटल बिहारी वाजपेयी जी के कार्यकाल के अंत में भारत दुनिया की 11वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था थी। 2004 से 2014 के बीच भारत 11वें स्थान पर ही रहा। यह एक दशक की चूक को दर्शाता है। पिछले एक दशक में प्रधानमंत्री मोदी की सुधारवादी नीतियों के कारण भारत ने फिर से गति पकड़ी। आज हम दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की राह पर मजबूती से आगे बढ़ रहे हैं। प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में समावेशी विकास के इन 11 वर्षों ने लोगों को सब्सिडी या सेवाओं से कहीं अधिक मूल्यवान कुछ दिया है। इसने उन्हें एक विश्वास दिया है। और बेहतर भविष्य में दृढ़ विश्वास ही राष्ट्र को आगे बढ़ाता है।
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हिन्दुस्थान समाचार / मुकुंद