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शिक्षा में बदलाव का मॉडल बन रहा उत्तर प्रदेश: संदीप सिंह
लखनऊ, 11 जून (हि.स.)। उत्तर प्रदेश सरकार ने प्राथमिक शिक्षा व्यवस्था को ज़मीनी स्तर से सुदृढ़ करने की दिशा में एक बड़ी पहल की है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में खंड शिक्षा अधिकारियों (BEOs) के लिए 3 दिवसीय आवासीय प्रशिक्षण कार्यक्रम की शुरुआत 11 जून से दीनदयाल उपाध्याय राज्य ग्राम्य विकास संस्थान, लखनऊ में हुई। राज्य परियोजना कार्यालय, समग्र शिक्षा, उत्तर प्रदेश द्वारा प्रायोजित इस कार्यक्रम का उद्देश्य नेतृत्व क्षमता, नवाचार और प्रशासनिक दक्षता का समन्वित विकास है।
शिक्षा व्यवस्था के केंद्र में नेतृत्व को स्थापित करने की यह रणनीति उत्तर प्रदेश को एक एजुकेशन गवर्नेंस मॉडल स्टेट के रूप में उभरने की दिशा में अग्रसर कर रही है। इस प्रशिक्षण से न केवल विभागीय कार्यप्रणाली में समन्वय बढ़ेगा, बल्कि भविष्य में विद्यालयों में बेहतर शैक्षणिक वातावरण और निपुण भारत के लक्ष्यों की सिद्धि को नई गति मिलेगी।
पाँच चरणों में 500 अधिकारी होंगे प्रशिक्षित
इस प्रशिक्षण कार्यक्रम को पांच चरणों में विभाजित किया गया है, जिसमें प्रत्येक चरण में 100 खंड शिक्षा अधिकारियों को प्रशिक्षित किया जाएगा। शेष BEOs का प्रशिक्षित शीघ्र ही कराये जाने की योजना है। यह प्रशिक्षण शैक्षिक नेतृत्व, वित्तीय प्रबंधन, विभागीय पोर्टलों के उपयोग, निपुण भारत मिशन, ECCE, ऑपरेशन कायाकल्प तथा कस्तूरबा गांधी विद्यालय संचालन जैसे विषयों पर केंद्रित है। बता दें कि प्रथम चरण में 100 अधिकारियों का प्रशिक्षण शुरू हो चुका है, जबकि अन्य बैचों के आयोजन की तिथियां भी निर्धारित कर ली गयीं हैं। द्वितीय चरण के लिए 16 से 18 जून की तिथि निर्धारित है जबकि तृतीय बैच के बीईओज का प्रशिक्षण 19 से 21 जून, चतुर्थ बैच का 23 से 25 जून और पंचम बैच का प्रशिक्षण 26 से 28 जून के मध्य पूरा होगा।
प्रशिक्षण का उद्देश्य केवल जानकारी नहीं, सोच में बदलाव है
यह प्रशिक्षण केवल विभागीय योजनाओं की जानकारी देने तक सीमित नहीं है, बल्कि इसका व्यापक उद्देश्य BEOs को रणनीतिक नेतृत्वकर्ता के रूप में तैयार करना है। सत्रों में केस स्टडी, ग्रुप डिस्कशन, तकनीकी प्रदर्शन और क्षेत्रीय अनुभव साझा करने जैसे सृजनात्मक आयाम जोड़े गए हैं।
बेसिक शिक्षा मंत्री संदीप सिंह ने बताया कि उत्तर प्रदेशमुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की दूरदृष्टि में यह स्पष्ट विश्वास है कि गुणवत्तापूर्ण शिक्षा केवल पाठ्यपुस्तकों या भौतिक संसाधनों से नहीं, बल्कि इनके साथ-साथ नेतृत्व क्षमता और जवाबदेही की सुदृढ़ संस्कृति से ही संभव है। इसी सोच के साथ यह प्रशिक्षण कार्यक्रम व्यवस्थागत परिवर्तन की आधारशिला रख रहा है। उत्तर प्रदेश, जो अब तक केवल शिक्षकों के प्रशिक्षण तक सीमित था, अब शिक्षा प्रशासन के नेतृत्व विकास को प्राथमिकता दे रहा है — यही हमारी नई शिक्षा नीति के अगले चरण की मजबूत नींव है।
हिन्दुस्थान समाचार / बृजनंदन