सुप्रीम कोर्ट की रोड सेफ्टी कमेटी ने राज्य के सभी ब्रिज और कलवर्ट के ऑडिट का दिया निर्देश
कोलकाता के फ्लाईओवर


कोलकाता, 11 जून (हि.स.) ।

राज्य में पुलों और कलवर्ट की सुरक्षा को लेकर रोड सेफ्टी कमेटी ने बड़ा कदम उठाया है। दुर्घटनाओं को रोकने के लिए कमेटी ने निर्देश जारी करते हुए कहा है कि राज्य सरकार और राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण के अधीन आने वाले सभी फ्लाईओवर, ब्रिज और कलवर्ट का हर तीन साल में कम से कम एक बार तकनीकी ऑडिट किया जाना अनिवार्य होगा।

इस संबंध में रोड सेफ्टी कमेटी के सचिव संजय मित्तल ने राज्य के मुख्य सचिव मनोज पंत को एक पत्र भेजा है। पत्र में कहा गया है कि हर पुल और कलवर्ट की स्वास्थ्य जांच की एक वार्षिक योजना बनाकर उसे केंद्रीय सड़क एवं परिवहन मंत्रालय को सौंपा जाए।

कमेटी ने यह भी स्पष्ट किया है कि पुलों की जांच आईआरसी (इंडियन रोड कांग्रेस) मानकों के अनुसार की जानी चाहिए, ताकि संरचनात्मक सुरक्षा का आकलन सटीक तरीके से किया जा सके। नवान्न सूत्रों के मुताबिक राज्य में फिलहाल 2200 से अधिक छोटे-बड़े पुल मौजूद हैं, जिनके रखरखाव की जिम्मेदारी लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) के पास है।

राज्य सरकार पहले से ही हर साल मानसून से पहले इन पुलों की रूटीन स्वास्थ्य जांच करती है। लेकिन अब सुप्रीम कोर्ट की कमेटी चाहती है कि यह प्रक्रिया और अधिक व्यवस्थित और गंभीर हो, ताकि भविष्य में किसी भी तरह की दुर्घटना को टाला जा सके।

लोक निर्माण विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार ऑडिट के दौरान पुल और कलवर्ट की प्रत्येक संरचनात्मक इकाई की गहराई से जांच की जाती है। जहां कहीं भी क्षरण, दरार या किसी प्रकार की कमजोर संरचना देखी जाती है, उसे चिह्नित किया जाता है। कई बार दोष केवल आंखों से नहीं दिखते, इसलिए ध्वनि और स्पर्श तकनीक का उपयोग किया जाता है — जैसे हथौड़े से मारकर ध्वनि में बदलाव के माध्यम से दरार की पहचान करना।

हर ऑडिट के अंत में एक विस्तृत रिपोर्ट तैयार की जाती है, जिसमें संरचना की वर्तमान स्थिति, पाए गए दोष, संबंधित फोटो और भविष्य में उठाए जाने वाले कदमों का उल्लेख होता है।

गौरतलब है कि सितंबर 2018 में कोलकाता के बीचोंबीच स्थित माझेरहाट ब्रिज के गिरने की घटना ने राज्य सरकार को पुलों की सेफ्टी को लेकर सतर्क कर दिया था। उसके बाद से हर मानसून से पहले पुलों का निरीक्षण अनिवार्य कर दिया गया था।

अब सुप्रीम कोर्ट की सख्ती के बाद यह व्यवस्था और मजबूत होने जा रही है। सरकार को सालाना रिपोर्ट केंद्र को भेजनी होगी, जिसमें हर पुल की स्थिति, मरम्मत की आवश्यकता, संरचनात्मक बदलाव आदि का स्पष्ट विवरण होगा।

हिन्दुस्थान समाचार / ओम पराशर