अब किसान भी बनेंगे तकनीक के साथी, देशी गाय से कर सकेंगे 30 एकड़ प्राकृतिक खेती
विकसित कृषि संकल्प अभियान 2025 के तहत आयोजित गोष्ठी


- तकनीकी नवाचार की नई राह, वैज्ञानिकों की बात से चमकी किसानों की आंखें मीरजापुर, 11 जून (हि.स.)। अगर खेत में देशी गाय है तो 30 एकड़ तक प्राकृतिक खेती मुमकिन है। जब कृषि वैज्ञानिक ने यह बात कही तो जमालपुर के बड़भुईली गांव के चौपाल में बैठे किसानों की आंखों में चमक आ गई। मौका था विकसित कृषि संकल्प अभियान 2025 के तहत आयोजित गोष्ठी का। खेती अब सिर्फ हल और पानी तक सीमित नहीं, बल्कि अब वैज्ञानिक सोच और तकनीक की दोस्त बन चुकी है। कार्यक्रम का मकसद था- किसानों को आत्मनिर्भर, तकनीक-सक्षम और आय बढ़ाने वाला बनाना।

विधायक ने किसानों को दी नई सोच की सौगातकार्यक्रम की शुरुआत दीप प्रज्ज्वलन से हुई, जिसमें मड़िहान विधायक रमाशंकर सिंह पटेल ने किसानों से कहा कि आज खेती को नया सोच, नया रास्ता और नई तकनीक की जरूरत है। यही इस अभियान का मकसद है। उन्होंने बताया कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी किसानों की समृद्धि को लेकर लगातार काम कर रहे हैं। मिट्टी की जांच, न्यूनतम समर्थन मूल्य, उज्ज्वला योजना, आयुष्मान कार्ड जैसे कदम इसी का हिस्सा है।

खेतों में अब प्रयोगशाला जैसी सोच उप कृषि निदेशक विकेश कुमार ने जब फार्मर्स रजिस्ट्री और पीएम-कुसुम योजना की जानकारी दी तो किसान चकित रह गए कि अब सौर ऊर्जा से भी खेती का खर्च घटाया जा सकता है। वहीं, कृषि विज्ञान केंद्र के डॉ. श्रीराम सिंह ने किसानों को बताया कि अगर आप ट्राइकोडर्मा से बीज का शोधन करेंगे तो रोग नहीं लगेंगे, पैदावार भी बढ़ेगी। उन्होंने बताया कि जीवामृत, घनजीवामृत, नीमास्त्र जैसे जैविक टॉनिक खेती में चमत्कार कर सकते हैं और हां, ये सब एक देशी गाय से ही संभव है।

मधुमक्खी, मशरूम और मटर से मुनाफा आईआईवीआर वाराणसी से आए डॉ. कुलदीप श्रीवास्तव और डॉ. रेड्डी ने किसानों को बताया कि अब सिर्फ धान-गेहूं ही नहीं, बल्कि बेबी कॉर्न, मशरूम, मधुमक्खी पालन और सब्जियों के वैल्यू एडिशन (जैसे टोमैटो सॉस, चिप्स) से भी शानदार मुनाफा कमाया जा सकता है।

सवाल-जवाब में जीते ‘नैनो यूरिया’ के पुरस्कार कार्यक्रम के दौरान जब वैज्ञानिकों ने सवाल पूछे तो सही जवाब देकर गोरखनाथ पटेल, सीमा देवी, रमेश बहेलिया, अनंत और गोपाल को नैनो यूरिया की बोतलें पुरस्कार में दी गईं। इससे माहौल और भी जीवंत हो गया।

गांव-गांव पहुंचा जागरूकता का कारवां तीन टीमों ने 9 ग्राम पंचायतों में जाकर यह संदेश फैलाया कि खेती अगर बदली तो किसान बदलेगा और किसान बदला तो देश बदलेगा। इसमें सकड़ौरी, भुईली खास, डोमरी, जोगवा, डवक, पसही जैसे गांव शामिल रहे।

हिन्दुस्थान समाचार / गिरजा शंकर मिश्रा