भगवान जगन्नाथ का हुआ महाजलाभिषेक, एकांतवास में गए भगवान
भगवान जगन्‍नाथ की पूजा करते पुजारी


रांची, 11 जून (हि.स.)। धुर्वा स्थित जगन्नाथपुर मंदिर में बुधवार को भक्ति और आध्यात्मिकता की अनुपम धारा प्रवाहित हुई, जब भगवान जगन्नाथ अपने भक्तों के प्रेममय जलाभिषेक से अभिभूत हुए।

देवस्नान पूर्णिमा के पावन अवसर पर बुधवार को भगवान जगन्नाथ, भ्राता बलभद्र और बहन सुभद्रा का महाजलाभिषेक सम्पन्न हुआ।

इस पावन दृश्य के साक्षी बनने के लिए मंदिर परिसर में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ पड़ी। जैसे ही स्नान अनुष्ठान पूरा हुआ, श्रद्धालु जय जगन्नाथ के जयघोष के साथ हाथ उठाकर मंदिर परिसर को भक्तिरस में डुबकी लगाने लगे।

108 पवित्र कलशों से हुआ महाप्रभु का जलाभिषेक

इस दौरान महाप्रभु जगन्‍नाथके विग्रह का जलाभिषेक 108 पवित्र कलशों से किया गया। इसमें गंगाजल, चंदन मिश्रित जल, पुष्पजल और औषधीय जल शामिल था। भक्तों ने स्वयं अपने हाथों से जल अर्पण किया। इसमें उनकी श्रद्धा, प्रेम और आस्था का भाव झलक रहा था।

जलाभिषेक के बाद बजे भगवान की विशेष महाआरती की गई। इस दौरान मंदिर परिसर शंख, घंटा, मृदंग और जयघोषों से गूंज उठा। भगवान को विशेष चंदन और वस्त्र अर्पित किए गया। इससे पूरा वातावरण अत्यंत भावविभोर हो गया।

शाम चार बजे के बाद भगवान जगन्नाथ गर्भगृह में प्रवेश कर एकांतवास में चले गए। यह एक विशेष धार्मिक परंपरा है, जो रथयात्रा से पूर्व 15 दिनों तक चलती है। इसे भगवान के बीमार पड़ने की लीला माना जाता है। इसमें उन्हें औषधियां दी जाती हैं और उनके दर्शन बंद कर दिया जाता है।

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हिन्दुस्थान समाचार / Vinod Pathak