महात्मा गांधी के चिंतन पर भारतीय दर्शन की छाया स्पष्ट : प्रो. मंडन शर्मा
संस्कृत विश्वविद्यालय के अनुसंधान केंद्र में हुआ व्याख्यान


जयपुर, 11 जून (हि.स.)। जगद्गुरु रामानंदाचार्य राजस्थान संस्कृत विश्वविद्यालय के अनुसंधान केंद्र में बुधवार को आयोजित विशेष व्याख्यान में संस्कृत शिक्षा के पूर्व निदेशक प्रो. मंडन शर्मा ने कहा कि महात्मा गांधी के विचारों में भारतीय दर्शन की स्पष्ट छाप दिखाई देती है। उनके सत्य और अहिंसा के सिद्धांत न केवल वैदिक और उपनिषदों के विचारों से प्रेरित हैं, बल्कि जैन और बौद्ध दर्शन की समन्वयात्मक दृष्टि से भी अनुप्राणित हैं। गांधीजी का संपूर्ण चिंतन भारतीय मनीषा की जड़ों से जुड़ा हुआ है और वह हमारी सांस्कृतिक चेतना के आधुनिक रूप हैं।

कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए अनुसंधान केंद्र के कार्यवाहक निदेशक डॉ. देवेंद्र कुमार शर्मा ने कहा कि आज आवश्यकता इस बात की है कि हम महापुरुषों के विचारों को केवल अध्ययन की वस्तु न मानें बल्कि उन्हें अपने आचरण और जीवन में आत्मसात करें। गांधीजी का जीवन स्वयं में एक जीवंत ग्रंथ है, जिसे पढ़ने के लिए केवल ज्ञान नहीं, अपितु संवेदना और आत्मबोध की भी आवश्यकता है।

इस अवसर पर दर्शन विभागाध्यक्ष शास्त्री कोसलेंद्रदास ने कहा कि महात्मा गांधी के विचार सत्य, अहिंसा और अपरिग्रह जैसे सिद्धांतों पर आधारित थे, जो संस्कृत की देन हैं। संस्कृत न केवल हमारी सांस्कृतिक जड़ों से जोड़ती है, बल्कि गांधीजी की विचारधारा को समझने का माध्यम भी है। यह भाषा मानसिक विकास के साथ-साथ सामाजिक संवाद का आधार है। संस्कृत के प्रचार से हम अपनी विरासत को सुरक्षित रखते हैं और भारत की सांस्कृतिक पहचान को वैश्विक मंच पर सुदृढ़ करते हैं।

कार्यक्रम में डॉ. संदीप जोशी, डॉ. कृष्णदास चेला, रमणदीप, राजेंद्र रैगर, हरिओम मुद्गल सहित विश्वविद्यालय के अनेक शोधार्थी उपस्थित रहे। व्याख्यान के अंत में प्रश्नोत्तर सत्र में शोधार्थियों ने विषय से संबंधित जिज्ञासाएं प्रकट कीं, जिनका विद्वानों ने समाधान किया।

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हिन्दुस्थान समाचार / दिनेश