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श्रीनगर, 11 जून (हि.स.)। विश्व पर्यावरण सप्ताह के अवसर पर कश्मीर विश्वविद्यालय (केयू) के पर्यावरण विज्ञान विभाग ने छात्र कल्याण विभाग (डीएसडब्ल्यू) और वुलर संरक्षण एवं प्रबंधन प्राधिकरण (डब्ल्यूसीएमए) के सहयोग से अगली पीढ़ी को सशक्त बनाना विषय पर जागरूकता कार्यक्रमों की एक श्रृंखला आयोजित की जिसमें प्लास्टिक प्रदूषण को मात दें पर विशेष ध्यान दिया गया।
इस कार्यक्रम को जम्मू और कश्मीर विज्ञान प्रौद्योगिकी और नवाचार परिषद (जेकेएसटीआईसी) जम्मू और कश्मीर सरकार द्वारा समर्थित किया गया था। सप्ताह भर चलने वाले इस कार्यक्रम की शुरुआत 05 जून को हस्ताक्षर-सह-प्रतिज्ञा अभियान और पर्यावरण जागरूकता सर्वेक्षण के साथ हुई थी जिसके बाद सर्वेक्षण के निष्कर्षों पर आधारित एक वृत्तचित्र फिल्म की स्क्रीनिंग की गई। इन पहलों में छात्रों, शिक्षकों और कर्मचारियों की उत्साही भागीदारी देखी गई जिससे स्थायी प्रथाओं और प्रदूषण नियंत्रण पर सार्थक संवाद शुरू हुआ।
अध्यक्षीय भाषण देते हुए कुलपति केयू, प्रो. नीलोफर खान ने विश्वविद्यालय की हाल ही में छ।।ब् ।$$ मान्यता को एक सामूहिक मील का पत्थर बताया और शैक्षणिक समुदाय से इस उत्कृष्टता को पर्यावरणीय जिम्मेदारी तक बढ़ाने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि हमें अपनी मानसिकता बदलनी चाहिए और अपने ग्रह को वैसा ही प्राचीन बनाए रखने के लिए रणनीतिक दृष्टिकोण अपनाना चाहिए जैसा कि हमें दिया गया है। हमारे युवाओं को भी नवाचार, जिम्मेदारी और नेतृत्व के साथ पर्यावरणीय मुद्दों को संबोधित करने के लिए सुसज्जित होना चाहिए। इस अवसर पर बोलते हुए डीन अकादमिक मामले केयू, प्रो. शरीफुद्दीन पीरजादा ने सामूहिक कार्रवाई की ओर चर्चा से आगे बढ़ने की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने शादियों जैसे सामाजिक आयोजनों के दौरान भी प्लास्टिक के बढ़ते उपयोग की ओर इशारा किया और चेतावनी दी कि अनियंत्रित प्रदूषण सीधे मानव स्वास्थ्य और कल्याण को प्रभावित करता है। केयू के रजिस्ट्रार प्रो. नसीर इकबाल ने प्लास्टिक कचरे को एक सतत समस्या के रूप में स्वीकार किया और व्यावहारिक समाधानों में तब्दील करने के लिए शोध परियोजनाओं से व्यावहारिक परिणामों का आह्वान किया और अधिक से अधिक सामुदायिक आउटरीच को प्रोत्साहित किया। केयू के स्कूल ऑफ अर्थ एंड एनवायरनमेंटल साइंसेज के डीन प्रोफेसर गुलाम जीलानी और केयू के डीन डीएसडब्ल्यू प्रोफेसर परवेज अहमद ने इस बात पर जोर दिया कि 2022 से प्लास्टिक पर प्रतिबंध के बावजूद प्लास्टिक का उपयोग बढ़ रहा है। उन्होंने मजबूत संस्थागत और नीति-स्तरीय कार्रवाई की आवश्यकता पर जोर दिया जिसमें केयू द्वारा प्लास्टिक की बोतलों के उपयोग को रोकने के लिए फ़िल्टर्ड वाटर डिस्पेंसर लगाने जैसे कदम शामिल हैं।
इससे पहले केयू के पर्यावरण विज्ञान विभाग के समन्वयक डॉ. समी उल्लाह भट ने अपने स्वागत भाषण में पर्यावरण सप्ताह की गतिविधियों का अवलोकन किया और दीर्घकालिक परिवर्तन के लिए युवाओं की भागीदारी और जागरूकता के महत्व पर जोर दिया। प्लास्टिक प्रदूषण पर संगोष्ठी में केयू और एसकेयूएएसटी-के, एनआईटी श्रीनगर, कश्मीर केंद्रीय विश्वविद्यालय और क्लस्टर विश्वविद्यालय श्रीनगर सहित अन्य संस्थानों के छात्रों और शिक्षकों द्वारा दो आमंत्रित वार्ता, मौखिक और पोस्टर प्रस्तुतियाँ शामिल थीं।
सप्ताह भर चलने वाली गतिविधियों का समापन 12 जून को वुलर झील में सफाई अभियान के साथ होगा जिसे डब्ल्यूसीएमए के साथ संयुक्त रूप से आयोजित किया जाएगा जिसमें स्थानीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालयों और सरकारी डिग्री कॉलेजों के छात्र शामिल होंगे। केयू के पर्यावरण विज्ञान विभाग के संकाय और आयोजन सचिव डॉ. मोहम्मद मुस्लिम ने धन्यवाद प्रस्ताव प्रस्तुत किया। समापन सत्र की अध्यक्षता केयू के डीन रिसर्च प्रो. मोहम्मद सुल्तान भट ने की। कार्यक्रम का समापन केयू के पर्यावरण विज्ञान विभाग के संकाय डॉ. अर्शीद जहांगीर द्वारा औपचारिक धन्यवाद प्रस्ताव के साथ हुआ।
हिन्दुस्थान समाचार / अमरीक सिंह