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रांची, 11 जून (हि.स.)। प्रदेश जनता दल यूनाइटेड (जदयू) ने राज्य सरकार पर भाषा आधारित तुष्टिकरण का आरोप लगाते हुए जेटेट परीक्षा में क्षेत्रीय भाषा चयन को लेकर नाराजगी जताई है। पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता सागर कुमार ने बुधवार को प्रेस विज्ञप्ति जारी कर कहा कि हेमंत सरकार ने पलामू प्रमंडल के लिए नागपुरी और कुड़ुख को क्षेत्रीय भाषा में शामिल किया है, लेकिन भोजपुरी और मगही जैसी प्रमुख भाषाओं को सूची से बाहर रखा गया है। यह अत्यंत अनुचित और दुर्भाग्यपूर्ण है।
उन्होंने कहा कि पलामू और गढ़वा जिलों में भोजपुरी और मगही शुरू से न केवल बोली जाती है, बल्कि यह वहां के लोगों की पढ़ने-लिखने की भाषा भी रही है। इन भाषाओं को क्षेत्रीय भाषा की मान्यता नहीं मिलने से स्थानीय अभ्यर्थियों को परीक्षा में भारी कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है।
सागर कुमार ने झारखंड के गठन में अहम भूमिका निभाने वाले मुंडा समुदाय की भाषा मुंडारी को खूंटी जिले की स्थानीय भाषाओं की सूची में शामिल करने की मांग की। उन्होंने आरोप लगाया कि एक ओर राज्य सरकार उड़िया, उर्दू और बांग्ला जैसी भाषाओं को क्षेत्रीय भाषा का दर्जा दे रही है, वहीं भोजपुरी और मगही को लगातार नजरअंदाज किया जा रहा है। इससे बिहार मूल के लाखों लोगों की भावनाएं आहत हो रही हैं। उन्होंने कहा कि इस रवैये से राज्य सरकार की बिहार और बिहारी विरोधी मानसिकता उजागर होती है।
प्रदेश जदयू ने सरकार से भाषा के आधार पर भेदभाव बंद कर सभी प्रमुख क्षेत्रीय भाषाओं को समान रूप से सम्मान और मान्यता देने की मांग की है।
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हिन्दुस्थान समाचार / Manoj Kumar