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- विकसित कृषि संकल्प अभियान के तहत विभिन्न गाँवों में पहुँचे सांसद
ग्वालियर, 11 जून (हि.स.)। जैविक व प्राकृतिक खेती से खेत की मिट्टी की सेहत ठीक रहती है। इस पद्धति से टिकाऊ खेती कर अधिक उत्पादन प्राप्त किया जा सकता है। इसलिए किसान भाई जैविक खेती अपनाएं। यह आह्वान सांसद भारत सिंह कुशवाह ने बुधवार को मुरार विकासखंड के ग्राम खेड़ा, इकहरा, सिरसौद व भवनपुरा में विकसित कृषि संकल्प अभियान के तहत आयोजित हुई कृषक संगोष्ठी सह शिविरों में मौजूद किसानों से किया। उन्होंने कहा कि जैविक खाद किसान भाई स्वयं तैयार कर सकते हैं। इसलिए जैविक खेती पर कम लागत आती है। जैविक पद्धति से उत्पादित अनाज अधिक मूल्य पर बिता है। वहीं अंधाधुंध रासायनिक उर्वरकों के प्रयोग से मिट्टी की उत्पादकता लगातार घटती जाती है।
कृषक संगोष्ठी में जिला पंचायत की अध्यक्ष दुर्गेश कुँवर सिंह जाटव, जनपद पंचायत मुरार के अध्यक्ष दिलराज सिंह किरार एवं भाजपा जिला अध्यक्ष ग्रामीण प्रेम सिंह राजपूत सहित अन्य जनप्रतिनिधिगण मंचासीन थे। कृषक संगोष्ठी में लगभग एक हजार क्षेत्रीय कृषकों ने सहभागिता की। इस अवसर पर जानकारी दी गई कि मुरार विकासखण्ड में विकसित कृषि संकल्प अभियान के तहत गत 13 दिवस में लगभग 4500 कृषकों को उन्नत कृषि तकनीकी की जानकारी दी जा चुकी है। आगामी दो दिवस 1500 कृषकों को ओर जानकारी दी जाएगी।
सांसद कुशवाह ने कहा कि भारत सरकार की पहल पर आयोजित हो रहे विकसित कृषि संकल्प अभियान के तहत कृषि वैज्ञानिक एवं अधिकारी किसानों के दरवाजे पर पहुँचकर खरीफ फसलों में अधिक उत्पादन लेने की बारीकियां बता रहे हैं। किसान भाई वैज्ञानिकों द्वारा बताए गए उन्नत किस्म के बीजों व कृषि पद्धति को अपनाकर कम लागत में अधिक उत्पादन प्राप्त कर सकते हैं। उन्होंने किसान हितैषी योजनाओं का लाभ उठाकर खेती को लाभ का धंधा बनाने का आह्वान किया।
इस अवसर पर सांसद कुशवाह ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा किसानों के कल्याण के लिये क्रांतिकारी कदम उठाए हैं। किसानों को जैविक खेती से लेकर भण्डारण तक के लिये सरकार द्वारा आर्थिक सहायता उपलब्ध कराई जा रही है। इसी तरह मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के नेतृत्व में प्रदेश सरकार द्वारा किसानों की भलाई के लिये योजनायें संचालित की जा रही हैं। जिला पंचायत अध्यक्ष दुर्गेश जाटव एवं अन्य जनप्रतिनिधिगणों द्वारा भी कृषकों से खेती की नई तकनीकें एवं जैविक व प्राकृतिक खेती को अपनाने का आव्हान किया गया।
स्वागत उदबोधन उप संचालक किसान कल्याण एवं कृषि विकास आर एस शाक्यवार ने दिया। संगोष्ठी में एसडीएम ग्वालियर ग्रामीण सूर्यकांत त्रिपाठी एवं कृषि विज्ञान केन्द्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. शैलेन्द्र सिंह कुशवाह सहित अन्य संबंधित अधिकारी व अभियान के तहत आए दल में शामिल वैज्ञानिक डॉ. रीता मिश्रा, डॉ. राजीव सिंह चौहान, डॉ. एस सी श्रीवास्तव एवं कृषि, उद्यानिकी, पशुपालन व मत्स्यपालन सहित अन्य संबंधित विभागों के अधिकारी - कर्मचारी एवं बड़ी संख्या में क्षेत्रीय कृषक मौजूद थे।
पानी सहेजें और आधुनिक सिंचाई पद्धतियाँ अपनाएँ
सांसदभारत सिंह कुशवाह ने कृषक संगोष्ठी में मौजूद किसान भाईयों से जल संरक्षण एवं आधुनिक सिंचाई पद्धतियाँ अपनाने का आव्हान विशेष तौर पर किया। उन्होंने कहा उन्नत सिंचाई प्रणालियों जैसे ड्रिप व स्प्रिंकलर अपनाकर कम पानी में ज्यादा रकबे की सिंचाई कर सकते हैं। कुशवाह ने कृषकों से एक पेड़ अपनी मां के नाम लगाने का आह्वान भी किया। उन्होंने कहा कि वृक्ष अपनी जड़ों के माध्यम से मिट्टी को बांधते हैं, जिससे मिट्टी का कटाव कम होता है और कृषि भूमि की उर्वरता बनी रहती है। कृषक भाई पेड़ लगाकर मिट्टी संरक्षण, नमी संरक्षण, जलवायु नियंत्रण, कीटों और बीमारियों से बचाव कर सकते हैं।
खरपतवार प्रबंधन की विधियां बताईं
कृषि विज्ञान केन्द्र ग्वालियर के वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं प्रमख डॉ. शैलेनद्र सिंह कुशवाह ने संगोष्ठी के तकनीकी सत्र में कृषकों को खरीफ फसलों में समन्वित खरपतवार प्रबंधन की तकनीकों पर विस्तार से प्रकाश भी डाला। उन्होंने कहा कि खरपतवारों के प्रकोप से फसल वृद्धि और उपज पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। समय रहते इन पर काबू नहीं पाया गया तो फसलों की पैदावार में लगभग 10-85 प्रतिशत तक कमी हो सकती है। सफल फसलोत्पादन के लिए आवश्यक है कि खरपतवारों की रोकथाम सही समय पर हो। खरपतवारों का नियंत्रण निवारण विधि, यांत्रिक विधि, मृदा सौरीकरण, जीरो टिलेज तकनीक आदि के द्वारा किया जा सकता है। उन्होंने खरपतवार नियंत्रण के लिये तिलहनी एवं दलहनी फसलों में पेन्डीमिथलीन 30 ई.सी. शाकनाशी का 3.5 लीटर प्रति हेक्टेयर के मान से फसलों की बुवाई के उपरांत एवं अंकुरण से पहले फ्लैट फेन (कट) नोजल का उपयोग करते हुए मृदा की नमी की स्थिति में छिड़काव करने की सलाह दी।
हिन्दुस्थान समाचार / मुकेश तोमर