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रांची, 11 जून( हि.स.)। झारखंड हाई कोर्ट ने बुधवार को असिस्टेंट प्रोफेसर पद के लिए अनुसूचित जनजाति (एसटी) उम्मीदवार की नियुक्ति के मामले में एकल पीठ के आदेश के खिलाफ दाखिल जेपीएससी की अपील (एलपीए) पर सुनवाई की। हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस एमएस रामचंद्र राव की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने मामले में सभी पक्षों की सुनवाई पूरी होने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया है। प्रतिवादी मनोज कुमार कच्छप की ओर से अधिवक्ता सब्यसाची ने पैरवी की।
दरअसल, प्रार्थी द्वारा जमा कराए गए परीक्षा फीस जेपीएससी के अकाउंट में तकनीकी कारणों से क्रेडिट नहीं हो सका था। इस पर हाई कोर्ट की एकल पीठ में प्रार्थी के पक्ष में फैसला सुनाते हुए कहा था कि चूंकि प्रार्थी हाई कोर्ट के आदेश के आलोक में इंटरव्यू दे चुका है और वह उस परीक्षा में अधिकतम नंबर वाला भी रहा है, कई परीक्षाओं में एसटी के अभ्यर्थियों के लिए परीक्षा फीस भी नहीं लिया जाता है। ऐसे में उसे नियुक्ति प्रक्रिया में शामिल किया जाए।
हाई कोर्ट की एकल पीठ ने प्रार्थी मनोज कुमार कच्छप की रिट याचिका को स्वीकृत करते हुए जेपीएससी को निर्देश दिया था कि वह चार सप्ताह में प्रार्थी को नियुक्त करे। इसके बाद जेपीएससी ने अपील दाखिल कर हाई कोर्ट की खंडपीठ में चुनौती दी है। जेपीएससी की दलील थी कि प्रार्थी ने जब अपना परीक्षा फॉर्म भरा था, उस दौरान जेपीएससी के वेबसाइट का स्टेटस फेल हो गया था, जिससे फीस का पैसा जेपीएससी के अकाउंट में नहीं आया था। इस कारण उन्हें पहले इंटरव्यू में नहीं बुलाया गया था और अब उनकी नियुक्ति नहीं की जा रही है।
दरअसल, जुलाई 2018 में जेपीएससी ने नागपुरी भाषा के लिए एसटी उम्मीदवारों के लिए बैकलॉग वैकेंसी के तहत असिस्टेंट प्रोफेसर के 4 पदों के लिए विज्ञापन संख्या 5/ 2018 निकला था। इसके बाद दस्तावेजों की स्क्रूटनी में उपरोक्त प्रार्थी को 85 में से 72.10 नंबर दिये गये। लेकिन इंटरव्यू लिस्ट जारी होने पर प्रार्थी का नाम उसमें नहीं आया। इसके बाद उनकी ओर से हाई कोर्ट में रिट याचिका दाखिल की गई।
याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने प्रार्थी को इंटरव्यू में शामिल कराने का निर्देश जेपीएससी को दिया। साथ ही कहा कि इनका रिजल्ट इस याचिका के अंतिम आदेश से प्रभावित होगा। इसके बाद प्रार्थी को इंटरव्यू में शामिल कराया गया, जेपीएससी ने 23 दिसंबर 2021 को रिजल्ट जारी किया, लेकिन कोर्ट के आदेश के आलोक में एक पद पर रिजल्ट को रोक दिया गया। बाद में कोर्ट ने प्रार्थी का रिजल्ट मंगाया। जेपीएससी ने सीलबंद रूप में प्रार्थी का मार्क्स कोर्ट के समक्ष पेश किया, जिसमें कोर्ट को पता चला कि प्रार्थी उस पूरी परीक्षा में सबसे अधिक नंबर लाने वाला अभ्यर्थी है। अब प्रार्थी को कोर्ट के फैसले का इंतजार है।
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हिन्दुस्थान समाचार / विकाश कुमार पांडे