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कोलकाता, 11 जून (हि. स.)। भारत सरकार के स्वामित्व वाली अग्रणी युद्धपोत निर्माता कंपनी गार्डनरीच शिपबिल्डर्स एंड इंजीनियर्स लिमिटेड (जीआरएसई) ने जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (जीएसआई) के लिए दो अत्याधुनिक तटीय अनुसंधान पोतों के निर्माण हेतु अनुबंध पर हस्ताक्षर किए हैं। यह अनुबंध 11 जून को कोलकाता में सम्पन्न हुआ।
इस अनुबंध पर जीआरएसई के निदेशक (शिपबिल्डिंग) कमांडर शांतनु बोस और जीएसआई के उपमहानिदेशक एवं प्रमुख (समुद्री एवं तटीय सर्वेक्षण प्रभाग) डॉ. एन. एम. शरीफ ने हस्ताक्षर किए। कार्यक्रम में जीएसआई के महानिदेशक असीत साहा सहित दोनों संस्थानों के वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित रहे।
जीआरएसई की ओर से बुधवार दोपहर जारी बयान में बताया गया है कि अनुबंध पर हस्ताक्षर जीआरएसई की अनुसंधान पोत निर्माण क्षमता को रेखांकित करते हैं। वर्तमान में शिपयार्ड पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के अधीन राष्ट्रीय ध्रुवीय एवं समुद्री अनुसंधान केंद्र के लिए एक महासागर अनुसंधान पोत तथा नौसेना भौतिक एवं समुद्र विज्ञान प्रयोगशाला (एनपीओएल) के लिए एक ध्वनिक अनुसंधान पोत का निर्माण कर रहा है।
नए तटीय अनुसंधान पोतों की लंबाई 64 मीटर और चौड़ाई 12 मीटर होगी। इनका डेडवेट 450 टन के आसपास होगा। प्रत्येक पोत में 35 लोगों के रहने की सुविधा होगी, इनकी सहनशक्ति 15 दिनों तक की होगी और अधिकतम गति 10 नॉट रखी गई है।
ये पोत समुद्री मानचित्रण, खनिज संसाधनों की खोज (ड्रेजिंग सहित), महासागर पर्यावरण की निगरानी और अन्य वैज्ञानिक अनुसंधानों में सक्षम होंगे। इन जहाज़ों में उन्नत वैज्ञानिक प्रयोगशालाएं, डेटा प्रोसेसिंग सुविधाएं और नमूना विश्लेषण की व्यवस्था होगी।
पोतों में डायनामिक पोजिशनिंग–1 प्रणाली होगी, जिससे वे कठिन समुद्री परिस्थितियों में भी स्थिर रह सकेंगे। डीजल-इलेक्ट्रिक प्रणोदन प्रणाली से संचालित ये पोत पांच मीटर से लेकर हजार मीटर गहराई तक भारत के विशेष आर्थिक क्षेत्र में कार्य करने में सक्षम होंगे।
जीआरएसई का अनुसंधान पोत निर्माण में लंबा अनुभव है। वर्ष 1994 में इसने आईएनएस सागरध्वनि नामक समुद्री ध्वनिक अनुसंधान पोत एनपीओएल को सौंपा था। इसके अलावा 1981 से 1993 के बीच भारतीय नौसेना को छह सर्वेक्षण पोत सौंपे। पिछले दो वर्षों में कंपनी ने नौसेना को संधायक श्रेणी के दो बड़े सर्वेक्षण पोत सौंपे हैं और इस श्रेणी के दो और पोत वर्तमान में निर्माणाधीन हैं। ये अब तक भारत में निर्मित सबसे बड़े और उन्नत सर्वेक्षण पोत माने जाते हैं।
वर्तमान में जीआरएसई भारतीय नौसेना के लिए चार श्रेणियों के 16 युद्धपोतों का निर्माण कर रहा है। इसके अलावा कंपनी नौसेना के अगले पीढ़ी के कार्वेट कार्यक्रम में सबसे कम बोलीदाता बनकर उभरी है और पांच पोतों के निर्माण के अनुबंध की प्रबल संभावना है।
देश की सीमाओं से परे, जीआरएसई एक जर्मन कंपनी के लिए आठ बहुउद्देशीय मालवाहक पोतों का निर्माण भी कर रहा है, जिससे उसका वैश्विक शिपबिल्डिंग में प्रभाव और योगदान और सुदृढ़ हुआ है।
हिन्दुस्थान समाचार / ओम पराशर