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उज्जैन, 11 जून (हि.स.)। उज्जैन के इतिहास में ऐसा पहली बार होगा कि कालिदास संस्कृत अकादेमी परिसर में भगवान गुण्डिचा का मंदिर बनेगा। भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा यहां 27 जून को आएगी। एक सप्ताह तक भगवान यहीं विराजेंगे। यहां एक सप्ताह तक धार्मिक आयोजन के तहत अन्तरराष्ट्रीय स्तर के विद्वान,कथाकार एवं कलाकार अपनी प्रस्तुतियां देंगे। प्रतिदिन प्रसाद वितरण,आरती,भगवान की कथा भी होगी।
यह जानकारी बुधवार को इस्कॉन मंदिर के जनसम्पर्क अधिकारी पण्डित राघवदास ने दी। उन्होने बताया कि इस वर्ष इस्कान मध्यप्रदेश के 42 स्थानों पर रथ यात्राओं का आयोजन कर रहा है। इनमें से 34 यात्राओं का आयोजन इस्कॉन,उज्जैन द्वारा तथा 8 यात्राओं का आयोजन इस्कान इंदौर के द्वारा किया जाएगा। इस्कान,उज्जैन द्वारा आयोजित 34 यात्राएं प्रदेश के 26 जिलों से होकर निकलेगी। इन 34 यात्राओं के लिए इस्कान मंदिर,महाश्वेता नगर उज्जैन में इन दिनों 8 भव्य रथों का निर्माण कार्य किया जा रहा है। इनमें से एक भव्य एवं विशेष रथ 27 जून को दोपहर 2 बजे उज्जैन में निकलेगा। यह रथ यात्रा कृषि उपज मण्डी चौराहे से प्रारंभ होकर चामुण्डा माता मंदिर तक आएगी। यहां से रथ यात्रा फ्रीगंज ओव्हरब्रिज, घण्टाघर,तीन बत्ती चौराहा,देवास मार्ग होकर कालिदास संस्कृत अकादेमी पहुंचेगी। यहां अकादेमी परिसर में गुण्डिचा मंदिर बनाया जाएगा,जहां रथ यात्रा सात दिन तक रूकेगी। यहां भगवान सात दिन तक विश्राम करेंगे।
पण्डित राघवदास ने बताया कि इस बार की स्नान यात्रा पर्यावरण संरक्षण एवं समरसता का संदेश देगी। मध्यप्रदेश के संस्कृति विभाग एवं विक्रमादित्य शोधपीठ के संयुक्त तत्वावधान में कालिदास संस्कृत अकादेमी परिसर में भव्य गुण्डिचा मंदिर की स्थापना होगी। यहां अन्तरराष्ट्रीय स्तर के विद्वान,कथाकार एवं कलाकार अपनी प्रस्तुतियां देंगे। प्रतिदिन प्रसाद वितरण,आरती,भगवान की कथा भी होगी। यह स्नान यात्रा और रथ यात्रा केवल धार्मिक अनुष्ठान नहीं बल्कि भारत की संस्कृति,प्रकृति ओर आध्यात्म का उत्सव है। शहरवासियों सहित सभी श्रद्धालु आमंत्रित हैं।
इस्कॉन मंदिर में भगवान जगन्नाथ की भव्य स्नान यात्रा सम्पन्न
बुधवार को महाश्वेतानगर स्थित इस्कान मंदिर में भगवान जगन्नाथ की भव्य स्नान यात्रा सम्पन्न हुई। यह रथ यात्रा पर्यावरण एवं समरसता को समर्पित रही। प्रात: एक विशेष वेदी पर भगवान जगन्नाथ,बलदव ओर सुभद्रा महारानी का गंगा नदी के जल सहित प्रमुख तीर्थो के जल से अभिषेक करवाया गया। इसी जल से भक्तों ने भी जलाभिषेक किया। महिला भक्त साड़ी में और पुरूष भक्त धोती-कुर्ता में थे।
प्राचीन कथा: उज्जैन के भक्त इंद्रद्युम्न महाराज ने अपनी निष्कलंक भक्ति से भगवान को पहली बार काष्ठ विग्रह के रूप में प्रकट किया था। भगवान के प्रकट होने पर भक्तों ने उन्हे भावविभोर होकर इतना स्नान करवाया था कि वे अस्वस्थ हो गए थे। यही कारण है कि स्नान यात्रा के बाद भगवान 15 दिन विश्राम करते हैं, पश्चात स्वस्थ होकर आषाढ़ शुक्ल द्वितीया,जो इस बार 27 जून को आएगी रथ यात्रा पर निकलते हैं।
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हिन्दुस्थान समाचार / ललित ज्वेल