दारिभीट गोलीकांड की जांच में सुस्ती पर हाईकोर्ट की एनआईए को फटकार, नौ जुलाई तक प्रगति रिपोर्ट पेश करने का आदेश
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दिनाजपुर, 11 जून (हि. स.)। उत्तर दिनाजपुर जिले के दारिभीट में वर्ष 2018 में हुए बहुचर्चित गोलीकांड की जांच में एक साल बाद भी कोई ठोस प्रगति न होने पर कलकत्ता हाईकोर्ट ने राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) को कड़ा संदेश दिया है। कोर्ट ने एजेंसी की निष्क्रियता को न्याय के साथ मज़ाक बताते हुए दो टूक शब्दों में चेतावनी दी है कि अगर आगामी सुनवाई तक संतोषजनक प्रगति रिपोर्ट दाखिल नहीं की गई तो कड़ी न्यायिक कार्रवाई की जाएगी।

मामले की सुनवाई बुधवार को जस्टिस तपोब्रत चक्रवर्ती की खंडपीठ में हुई। इस दौरान एनआईए की भूमिका को लेकर कोर्ट ने तीखा असंतोष जताया और कहा कि क्या एनआईए खुद को अदालत से ऊपर समझती है? अदालत ने याद दिलाया कि एजेंसी को एक साल पहले ही जांच रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया गया था, लेकिन अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई है। कोर्ट ने चेताया कि अगर केंद्रीय जांच एजेंसी की यही कार्यप्रणाली है, तो उसके अधिकारियों को कानूनी परिणाम भुगतने के लिए तैयार रहना चाहिए।

गौरतलब है कि सितंबर 2018 में उत्तर दिनाजपुर के इस्लामपुर स्थित दारिभीट हाई स्कूल में शिक्षक नियुक्ति को लेकर छात्रों का विरोध प्रदर्शन हिंसक हो गया था। उस दौरान पुलिस और प्रदर्शनकारी छात्रों के बीच टकराव में कथित तौर पर गोली चली, जिसमें दो पूर्व छात्रों—राजेश सरकार और तापस बर्मन—की मौत हो गई थी। परिजनों का आरोप है कि यह मौतें पुलिस फायरिंग से हुई थीं।

मृतकों के परिवारों ने हाईकोर्ट में आरोप लगाया है कि छह वर्षों से वे न्याय की प्रतीक्षा कर रहे हैं, लेकिन न तो शवों को अंतिम संस्कार के लिए सौंपा गया और न ही किसी आरोपित से पूछताछ हुई है। परिवारों ने जांच एजेंसियों की निष्क्रियता को पीड़ादायक बताया।

एनआईए की ओर से कोर्ट में दलील दी गई कि प्रारंभिक जांच राज्य पुलिस द्वारा की गई थी, जिसमें कई तकनीकी त्रुटियां थीं। हत्या में प्रयुक्त गोली को विधिसम्मत तरीके से संरक्षित नहीं किया गया, जिससे जांच बाधित हुई। हालांकि, कोर्ट ने इस दलील को खारिज करते हुए कहा कि अब बहानों से काम नहीं चलेगा। अदालत ने सख्त टिप्पणी करते हुए कहा कि उसके निर्देशों की अवहेलना किसी भी रूप में स्वीकार्य नहीं है।

अंत में कोर्ट ने एनआईए को निर्देश दिया कि नौ जुलाई 2025 तक इस मामले में विस्तृत प्रगति रिपोर्ट अदालत में प्रस्तुत की जाए। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि यदि अगली सुनवाई तक संतोषजनक रिपोर्ट नहीं सौंपी गई तो एजेंसी के खिलाफ न्यायिक कार्रवाई की जाएगी।

हिन्दुस्थान समाचार / ओम पराशर