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कोलकाता, 10 जून (हि.स.)। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) ने अपनी स्थापना के सौ वर्ष पूरे होने पर आयोजित होने जा रहे सबसे बड़े आयोजन में बंगाल के लिए विशेष व्यवस्था बनाई गई है। विजयादशमी पर होने वाला यह महत्त्वपूर्ण कार्यक्रम बंगाल में महालया (नवरात्र की पूर्व संध्या) के दिन होगा। इसे बंगाली भावनाओं को सम्मान देने की एक रणनीति के तौर पर देखा जा रहा है।
आरएसएस सूत्रों के अनुसार, विजयादशमी पर संघ प्रमुख का उद्बोधन देशभर में स्वयंसेवकों के लिए सबसे महत्त्वपूर्ण वार्षिक कार्यक्रम होता है। इसमें संगठन की वर्षभर की गतिविधियों की समीक्षा और आगे की नीतियों की दिशा तय होती है। इस वर्ष यह आयोजन और अहम है क्योंकि आरएसएस इस साल अपनी स्थापना के सौ वर्ष पूरे कर रहा है।
हालांकि बंगाल में हर साल विजयादशमी पर यह आयोजन करना संभव नहीं होता क्योंकि स्वयंसेवक दुर्गापूजा और विजयदशमी में स्थानीय रूप से व्यस्त रहते हैं। इसी को ध्यान में रखते हुए इस बार बंगाल के लिए एक वैकल्पिक दिन चुना गया है- महालया। संघ ने स्पष्ट किया है कि बंगाल के स्वयंसेवकों को केवल भागवत का भाषण सुनना अनिवार्य होगा लेकिन उस दिन बड़े स्तर की रैली या अन्य आयोजन की आवश्यकता नहीं है।
दक्षिण बंगाल प्रांत के प्रचार उप प्रमुख बिप्लव राय ने बताया कि संघ हमेशा से बंगाल के प्रति विशेष श्रद्धा भाव रखता है। संघ के संस्थापक डॉक्टर हेडगेवार जब कोलकाता मेडिकल कॉलेज में पढ़ाई कर रहे थे, तभी उन्होंने स्वतंत्रता आंदोलन में भाग लेना शुरू किया था। वह अनुशीलन समिति से जुड़े और पुलिन बिहारी दास के अखाड़े में लाठी चलाना सीखा। राय के अनुसार, वही लाठी आज संघ की प्रतीक बन गई है और पूरे देश में स्वयंसेवकों के हाथों में दिखाई देती है।
सूत्रों का कहना है कि महालया के दिन उत्तर बंगाल, मध्य बंगाल और दक्षिण बंगाल, तीनों प्रांतों में संयुक्त रूप से शताब्दी समारोह के आयोजन की योजना है। आरएसएस के साथ जुड़ी लगभग 52 अखिल भारतीय सहयोगी इकाइयों और कई क्षेत्रीय संगठनों को एक ही मंच पर लाने की तैयारी की जा रही है। इसमें बीएमएस, संस्कार भारती, शिक्षण मंडल, सहकार भारती, शैक्षिक महासंघ और सीमांत चेतना जैसे संगठन शामिल होंगे। इसके अलावा, भाजपा के वे कार्यकर्ता जो स्वयंसेवक भी हैं, वे भी इन कार्यक्रमों में भाग लेंगे।
हिन्दुस्थान समाचार / ओम पराशर