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इटानगर, 10 जून (हि.स)। केंद्रीय मंत्री किरन रिजिजू ने सोमवार को कहा कि हम बार-बार अरुणाचल प्रदेश में रहने वाले चकमा और हाजोंग समुदायों से अनुरोध कर रहे हैं कि वे स्वेच्छा से राज्य छोड़ दें क्योंकि, एक लोकतांत्रिक देश में बलपूर्वक बेदखली की अनुमति नहीं है।
यह बयान उन्होंने इटानगर में विकसित भारत का अमृत काल-सेवा सुशासन, गरीब कल्याण के 11 साल कार्यक्रम में मीडिया से बातचीत करते हुए दिया।
उन्होंने कहा कि चकमा और हाजोंग अप्रवासी 1964 से यहां हैं और उन्हें तत्कालीन कांग्रेस सरकार द्वारा लाया गया था, लेकिन अब समय और कानून बदल गया है, इसलिए चकमा और हाजोंग को अरुणाचल प्रदेश छोड़ देना चाहिए। रिजिजू ने बताया, हमने चकमा लोगों से भी अपील की है कि वे यहां से चले जाएं और जहां भी उन्हें उपयुक्त जगह मिले, वहां बस जाएं। लोकतंत्र में हम किसी को हिंसा का इस्तेमाल कर यहां से जाने के लिए नहीं कह सकते और सरकार पुनर्वास पैकेज देने के लिए तैयार है।
पुनर्वास स्थलों की पहचान के बारे में अपनी हालिया टिप्पणियों के बारे में प्रतिक्रिया देते हुए उन्होंने कहा, मैं उनसे ऐसे स्थान की पहचान करने में सहायता करने का अनुरोध कर रहा हूं जहां उन्हें स्थानांतरित किया जा सके। लेकिन वे सहयोग नहीं कर रहे हैं। गृह मंत्रालय द्वारा अवैध प्रवासियों को 30 दिन का अल्टीमेटम दिए जाने की रिपोर्ट पर केंद्रीय मंत्री ने नागरिकता (संशोधन) अधिनियम (सीएए) के प्रावधानों का हवाला दिया। उन्होंने कहा, जब हमने सीएबी पारित किया, तो एक विशेष प्रावधान था, जिससे यह स्पष्ट हो गया था कि भले ही पाकिस्तान, बांग्लादेश या पड़ोसी देशों के व्यक्तियों को नागरिकता दी जाए, वे पूर्वोत्तर के आदिवासी क्षेत्रों में नहीं बस सकते।
उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि संसद ने एक कानून बनाया है जो क्षेत्र के संरक्षित जनजातीय क्षेत्रों में अवैध आप्रवासियों को नागरिकता प्राप्त करने से रोकता है।
हिन्दुस्थान समाचार / तागू निन्गी