मप्रः विक्रम अवार्ड नहीं मिलने पर हाई कोर्ट पहुंची पर्वातारोही मेघा परमार, दायर की याचिका
मप्र हाई कोर्ट


भोपाल, 10 जून (हि.स.)। चार पर्वत चोटी सहित माउंट एवरेस्ट फतह करने के बाद भी विक्रम अवार्ड नहीं मिलने को लेकर पर्वतारोही मेघा परमार को मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय में याचिका दायर की है। न्यायाधीश अमित सेठ की एकलपीठ ने मंगलवार को मामले पर सुनवाई करते हुए राज्य सरकार को दो सप्ताह में जवाब देने के निर्देश दिए हैं। कोर्ट ने याचिकाकर्ता मेघा परमार को सरकार के समक्ष अभ्यावेदन पेश करने को भी कहा है।

याचिकाकर्ता मेघा परमार की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता विवेक तन्खा ने मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय में विक्रम अवार्ड को लेकर याचिका दायर करते हुए बताया कि वह माउंट एवरेस्ट की चोटी तक पहुंचने वाली प्रदेश की पहली महिला है। टीम में भावना डेहरिया भी शामिल थीं, जो उनके बाद चोटी पर पहुंचीं, इसके अलावा माउंट कोस्कियस, माउंट किलिमन और माउंट एल्ब्रस की चोटी भी उसने भावना से पहले फतह की थी। याचिकाकर्ता ने कोर्ट में दोनों का टाइमिंग डाटा भी पेश किया। मेघा परमार ने कोर्ट को बताया कि योग्यता के अनुसार भावना के साथ मुझे भी विक्रम अवॉर्ड दिया जाना चाहिए।

मेघा परमार की याचिका पर पहले हाईकोर्ट जस्टिस एके सिंह एवं जस्टिस अमित सेठ ने सुनवाई की। याचिकाकर्ता की तरफ से बताया गया कि साल 2019 में विक्रम अवार्ड रूल्स में संशोधन करते हुए एडवेंचर गेम को भी शामिल किया है। नियम के अनुसार एडवेंजर गेम में लिए एक खिलाड़ी को विक्रम अवार्ड दिया जाए।

गौरतलब है कि साल 2016 में एवरेस्ट फतह करने वाले प्रदेश के दो पुरुष को साल 2022 में विक्रम अवार्ड दिया गया। सरकार पूर्व में एडवेंचर गेम में सिर्फ एक खिलाड़ी को विक्रम अवार्ड देने का नियम शिथिल कर चुकी है। उच्च न्यायालय को बताया गया कि दोनों खिलाड़ी योग्य हैं, तो दोनों को विक्रम अवार्ड देना चाहिए। युगलपीठ ने याचिका पर सुनवाई करते एकलपीठ को निर्देश जारी किए थे।

याचिका पर दूसरे चरण में जस्टिस अमित सेठ की एकलपीठ ने याचिका की सुनवाई की। तब सरकार की तरफ से बताया गया कि विक्रम अवार्ड देने के लिए खिलाड़ियों के नाम की घोषणा हो चुकी है, उसमें परिवर्तन नहीं किया जा सकता है। इसके अलावा याचिका में भावना को अनावेदक नहीं बनाने जाने का मुद्दा भी उठाया गया।

याचिकाकर्ता की तरफ से बताया गया कि वह भावना को विक्रम अवार्ड दिए जाने के खिलाफ नहीं है, इसलिए उसे अनावेदक नहीं बनाया गया था। कानूनी प्रक्रिया के तहत आवश्यक होने पर वह याचिका में संशोधन करना चाहते हैं। एकलपीठ ने सुनवाई के बाद याचिकाकर्ता को यह स्वतंत्रता दी है कि वह इस संबंध में सरकार के समक्ष अभ्यावेदन पेश कर सकती है। याचिकाकर्ता की तरफ से वरिष्ठ अधिवक्ता विवेक तन्खा ने पैरवी की।

मेघा परमार के लिए राज्यसभा सदस्य विवेक तन्खा ने मुख्यमंत्री मोहन यादव को पत्र लिखकर बताया कि हाल ही में साहसिक खेलों में विक्रम अवॉर्ड के लिए जो नॉमिनेशन हुए हैं, उनमें हमारे प्रदेश की बेटी मेघा परमार का नाम किसी कारणवश छूट गया है। 22 मई 2019 को मेघा पाटकर ने सबसे पहले दुनिया की सबसे ऊंची चोटी माउंट एवरेस्ट पर तिरंगा फहराया था। भावना डहरिया करीब पांच घंटे बाद पहुंची थीं। एवरेस्ट समिट में दूसरे क्रम पर आने वाली बेटी भावना का चयन मप्र सरकार ने विक्रम अवॉर्ड के लिए कर लिया है, यह अच्छी बात है, लेकिन प्रथम आने वाली बेटी मेधा को अवॉर्ड के लिए नामित न करना इस बेटी के साथ-साथ प्रदेश के लाखों लोगों की भावना को ठेस पहुंचाना है। मेघा के लिए विक्रम अवार्ड पाने का नामांकन प्रक्रिया के अनुसार यह अंतिम अवसर है।

हिन्दुस्थान समाचार / मुकेश तोमर