मशहूर साहित्यकार प्रो. अजहर हाशमी का निधन, 75 साल की उम्र में ली अंतिम सांस
मशहूर साहित्यकार प्रो. अजहर हाशमी


रतलाम, 10 जून (हि.स.)। शासकीय कला एवं विज्ञान महाविद्यालय के सेवानिवृत्त प्रोफेसर, साहित्यकार, चिंतक, कवि और व्यंग्यकार प्रो. अजहर हाशमी का 75 साल की उम्र में निधन हो गया। वे पिछले एक वर्ष से अस्वस्थ थे। उन्हें गत 15 मई को कॉलेज रोड स्थित आरोग्यम हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया था, जहां मंगलवार शाम करीब 6 बजे उन्होंने अंतिम सांस ली। फेफड़ों में संक्रमण और प्रोस्टेट संबंधी समस्या के चलते वह उपचाररत थे। उनके निधन की खबर मिलते ही रतलाम सहित प्रदेशभर के साहित्यिक जगत में शोक की लहर फैल गई।

विद्यार्थी परिवार के अध्यक्ष सतीश त्रिपाठी ने बताया हाशमी पिछले कुछ दिनों से बीमार थे। मंगलवार को उन्होंने आखरी सास ली। इंद्रा नगर स्थित उनके निवास पर पार्थिव देह को दर्शन के लिए रखा गया। रात पौने 10 बजे परिजन पार्थिव देह के साथ पिड़ावा झालावाड़ (राजस्थान) के लिए रवाना हो गए।

गौरतलब है कि कुछ दिनों पहले मध्य प्रदेश साहित्य अकादमी भोपाल ने उन्हें अखिल भारतीय निर्मल वर्मा पुरस्कार से सम्मानित किया था। स्वास्थ्य खराब होने के कारण वह भोपाल में सम्मान समारोह में भी शामिल नहीं हो पाए थे। बाद में मध्य प्रदेश साहित्य अकादमी के सदस्यों ने रतलाम आकर उन्हें सम्मानित किया था।

प्रो. हाशमी न केवल एक शिक्षाविद् रहे, बल्कि एक श्रेष्ठ कवि, चिंतक, लेखक और बेबाक वक्ता के रूप में भी पहचाने जाते थे। वे हर विषय पर खुलकर विचार रखते थे और अपने स्नेहिल व्यवहार से सभी के दिलों में जगह बनाए हुए थे। उनके छात्र उन्हें ‘गुरु’ से अधिक ‘मार्गदर्शक’ और ‘सखा’ मानते थे। वे अनुशासन, आत्मीयता और विचारशीलता के त्रिवेणी संगम माने जाते थे।

हाशमी को उनके साहित्यिक योगदान के लिए कई राष्ट्रीय और प्रादेशिक सम्मान प्राप्त हुए। उनकी चर्चित पुस्तक ‘संस्मरण का संदूक समीक्षा के सिक्के’ को 2021 में मध्यप्रदेश साहित्य अकादमी और संस्कृति परिषद की ओर से अखिल भारतीय राष्ट्रीय पुरस्कार से नवाजा गया था। उनकी एक और रचना ‘बेटियां पावन दुआएं हैं’ को 2011 में मध्य प्रदेश सरकार ने ‘बेटी बचाओ अभियान’ का हिस्सा बनाया था, जिसे बाद में एमपी बोर्ड की कक्षा 10वीं की पाठ्यपुस्तक में भी शामिल किया गया। उनकी कविता ‘मुझको राम वाला प्यारा हिंदुस्तान चाहिए’ भी व्यापक रूप से लोकप्रिय रही।

वरिष्ठ पत्रकार आरिफ कुरैशी ने बताया कि प्रोफेसर अजहर हाशमी साहित्य की दुनिया में एक बड़ा नाम है। वे ज्ञान के भंडार थे। उनके पास शब्दों का खजाना था। हर विषय और हर शख्सियत पर लिखने के लिए उन्हें महारथ हासिल थी। किसी भी विषय व शख्सियत पर जब वे लिखते हैं, तो पढ़ने वाला पढ़ता ही रह जाता है। प्रो हाशमी अच्छे कवि, लेखक, गीतकार, व्यंग्यकार होने के साथ ओजस्वी वक्ता, संत परंपरा के वाहक, प्रखर लेखक व प्रवचनकार है। कुरैशी ने बताया कि हाशमी ने प्रादेशिक व राष्ट्रीय स्तर की व्याख्यानमालाओं में कई व्याख्यान दिए। देश के कई मशहूर कवियों व शायरों के साथ मंच साझा किए।

राजस्थान के झालावाड़ जिले के ग्राम पिड़ावा में सामान्य परिवार में 13 जनवरी 1950 में जन्मे प्रोफेसर अजहर हाशमी की प्रारंभिक शिक्षा गांव में और उच्च शिक्षा उज्जैन में हुई। इसके बाद वे उज्जैन माधव कॉलेज में प्रोफेसर बने। कुछ समय बाद रतलाम आ गए फिर रतलाम ही उनकी साहित्य और कर्मभूमि बन गया। साड़ी, सेव, सोना और रेलवे जंक्शन के रूप में विख्यात रतलाम नगर साहित्यकार प्रोफेसर अजहर हाशमी के नाम से भी पहचाना जाता है। प्रो. हाशमी सूफी परंपरा, सद्भाव और धार्मिक प्रवचनों के माध्यम से देशभर में जाने जाते हैं। प्रो. अजहर हाशमी को इसलिए भी पहचाना जाता है कि हर विषय पर बहुत अच्छा लिखते हैं।

हिन्दुस्थान समाचार / मुकेश तोमर