‘बावड़ी-उत्सव’: बावड़ियों में पूर्वजों की जल के साथ जल संरक्षण के प्रति विवेकपूर्ण सोच
जल गंगा संवर्धन अभियान


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भोपाल, 10 जून (हि.स.)। बावड़ियां प्राचीन काल के श्रेष्ठ जल संरक्षण और प्रबंधन का सजीव उदाहरण हैं। पूर्वजों की इस अमूल्य धरोहर को आने वाली पीड़ी को सौंपना हम सभी की जिम्मेदारी है। मध्य प्रदेश जन अभियान परिषद ने जल गंगा संवर्धन अभियान में बावड़ी महोत्सव मनाकर पूर्वजों की बुद्धिमत्ता और उनके प्रकृति से घनिष्ट संबंधों की स्मृतियों को जीवंत कर दिया। जल गंगा अभियान का संचालन 30 मार्च से 30 जून तक किया जा रहा है। अभियान में श्रमदान से जल स्रोतों की सफाई, गहरीकरण, नई संरचनाओं का निर्माण और प्राचीन जल स्रोतों का जीर्णोद्धार किया जा रहा है। इसी श्रृंखला में बावड़ी उत्सव का आयोजन एक अभिनव प्रयास सराहनीय हैI

प्रति वर्ष ‘बावड़ी-उत्सव’ मनाने का जन संकल्प

जनसम्पर्क अधिकारी सोनिया परिहार ने मंगलवार को बताया कि जल गंगा संवर्धन अभियान जन अभियान परिषद की झाबुआ इकाई ने जल स्त्रोतों को सहेजने के प्रयासों को उत्सव का रूप देते हुए थांदला के अष्ट भंजन हनुमान मंदिर में 300 वर्ष प्राचीन बावड़ी में ‘बावड़ी-उत्सव’ का आयोजन किया गया। “एक पेड़ मां के नाम’’ अभियान के अंतर्गत बावड़ी के समीप पौधरोपण भी किया गया। ‘बावड़ी-उत्सव’ में भजन कीर्तन और संगोष्टी और आरती का आयोजन किया गया। ‘बावड़ी-उत्सव’ में सहभागिता कर रहे स्थानीय नागरिकों ने गंगा दशहरा पर्व पर प्रति वर्ष ‘बावड़ी-उत्सव’ मनाने का संकल्प लिया।

जल गंगा संवर्धन अभियान के अंतर्गत मध्य प्रदेश जन अभियान परिषद की जबलपुर इकाई ने बावड़ी, तालाब और कुओं जैसे जल स्त्रोतों के सरंक्षण में शासन-प्रशासन के साथ जन प्रतिनिधियों एवं नागरिकों का भी सहयोग लिया गया। जन-सहभागिता से बावड़ी महोत्सव मना कर जल संरक्षण का संकल्प लिया गया।

प्राचीन बावड़ी को सहेजने एकजुट हुए

मंडला के महाराजपुर संगम घाट स्थित बावड़ी में बावड़ी उत्सव का आयोजन किया गया। इस अवसर पर काशी विश्वनाथ वैदिक गुरुकुल के आचार्य संत श्री भीमदेव और मां नर्मदा गौशाला जिलहरी घाट, गाजीपुर से प्रवास कर रहीं साध्वी मनीषा दीदी और स्थानीय श्रद्धालु शामिल हुए। उत्सव में मां नर्मदा के चित्र पर माल्यार्पण कर दीप प्रज्वलित किया गया। बावड़ी को रंग-रोगन, रंगोली, दीपों एवं लाइट से सजाया गय। बावड़ी पूजन के बाद मां नर्मदा की आरती कर प्रसाद वितरण किया गया। बावडी का निर्माण वर्ष 1890 में हुआ था। इस बावड़ी की संरचना इस तरह से की गई है कि इसमें नर्मदा जलधारा हमेशा बनी रहती है।

प्लास्टिक कचरे से होने वाले प्रदूषण के प्रति जागरुकता

मध्य प्रदेश जन-अभियान परिषद की छिंदवाड़ा इकाई ने तामिया विकासखंड में प्लास्टिक पॉल्यूशन होने वाले हानिकारक परिणामों को बताकर जागरूक किया। पर्यावरण को प्रभावित करने वाले कारक जैसे जल प्रदूषण, वायु प्रदूषण, ध्वनि प्रदूषण को रोकने के लिये समुदाय की भागीदारी के बारे में बताया गया। जल संरक्षण, स्वच्छता, पौधारोपण करने के लिये ग्रामीणों को प्रेरित किया गया। तामिया के शनि मंदिर प्रांगण में पौधारोपण किया गया और प्लास्टिक, बॉटल व कचरे की सफाई की गई।

हिन्दुस्थान समाचार / मुकेश तोमर