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जम्मू, 7 दिसंबर (हि.स.)। नटरंग ने रविवार को अपने स्टूडियो थिएटर में संडे थिएटर सीरीज़ के तहत मणि मधुकर द्वारा लिखित और नीरज कांत द्वारा निर्देशित राजनीतिक व्यंग्य ‘टोपियां’ का प्रभावशाली मंचन किया। देश के मौजूदा राजनीतिक परिदृश्य पर सटीक टिप्पणी करता यह नाटक उन नेताओं पर तीखा कटाक्ष प्रस्तुत करता है जो सत्ता में बने रहने के लिए गिरगिट की तरह रंग बदलते रहते हैं। नाटक में दर्शाया गया कि ऐसे नेता जनता को भ्रमित करने की कला में निपुण होते हैं और परिस्थिति के हिसाब से अपने विचार, पहनावा और चरित्र बदल लेते हैं। लेखक ने यह भी रेखांकित किया कि समय-समय पर सामाजिक और राजनीतिक क्रांतियाँ होने के बावजूद सत्ता में वही लोग लौट आते हैं, सिर्फ़ उनके मुखौटे और टोपियां बदल जाती हैं परन्तु सोच नहीं बदलती।
कहानी दो पड़ोसियों के इर्द-गिर्द घूमती है, जो राजनीतिक बदलाव की उम्मीद में अलग-अलग विचारधाराओं की तलाश करते हैं। इस यात्रा में उन्हें कई लोग मिलते हैं जो अलग-अलग घोषणापत्र और वादों के साथ सामने आते हैं। हर बार दोनों पड़ोसी उन्हें नया व्यक्ति मानते हैं और नए विचारों की उम्मीद करते हैं, लेकिन अंत में जब परतें उतरती हैं, तो पता चलता है कि वह हर बार एक ही व्यक्ति था। सिर्फ़ उसका पहनावा और ‘टोपी’ बदलती थी। नाटककार ने बेहद प्रभावशाली ढंग से यह संदेश दिया कि असली समस्या नेता नहीं, उनकी बदलती ‘टोपियां’ हैं, जिनका मकसद सिर्फ़ जनता को गुमराह करना है।
नाट्य प्रस्तुति में आर्यभ शर्मा और कार्तिक कुमार ने दो पड़ोसियों की भूमिकाएं सशक्त रूप से निभाईं। आदेश धर ने भी अपने अभिनय से उन्हें बेहतरीन सहयोग दिया। नाटक की रोशनी नीरज कांत के निर्देशन में बेहतरीन रही, जबकि संगीत कुशल भट्ट ने संभाला।
हिन्दुस्थान समाचार / राहुल शर्मा