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मुंबई , 7 दिसंबर (हि. स.) ।संगीत भूषण पं. राम मराठे महोत्सव का दूसरा दिन दर्शकों के लिए विशेष सौगात रहा, जिसमें सितार से निकलने वाली मंत्रमुग्ध कर देने वाली धुनें और दिल को छू लेने वाली धुनें शामिल थीं।
ठाणे महानगरपालिका द्वारा आयोजित संगीत भूषण पं. राम मराठे महोत्सव राम गणेश गडकरी रंगायतन में मनाया जा रहा है। महोत्सव में ठाणे महानगरपालिका के डिप्टी कमिश्नर उमेश बिरारी, पी. उप सूचना जनसंपर्क अधिकारी प्राची डिंगणकर, पं. मुकुंद मराठे, पं. विवेक सोनार, प्रसिद्ध नृत्यांगना मंजरी देव, मनाली देव, पं. राम मराठे का परिवार और ठाणे वासी प्रशंसक बड़ी संख्या में मौजूद थे।
दूसरे दिन का पहला पुष्प पद्मश्री पंडित राजेंद्र गंगानी ने समेटा। उन्होंने भगवान गणेश वंदना से कार्यक्रम की शुरुआत की। फिर प्रस्तुत की गई एक ताल और तीन ताल की रचनाओं ने जयपुर घराने की गहराई और गंभीरता को प्रभावी ढंग से उजागर किया। उन्होंने प्रशंसकों के सामने मंच पर नृत्य में तीन ताल प्रस्तुत कर प्रशंसकों को सांसें थामने पर मजबूर कर दिया। इसके अलावा उन्होंने गुरु वंदना के तहत प्रस्तुत किए गए लघु भजन और तलवारबाजी की विशेष शैली ने प्रशंसकों की तालियां बटोरीं।
नृत्य करते समय प्रशंसक उसमें डूब जाएं, जब मैं नृत्य करता हूं तो प्रशंसकों को आध्यात्मिक अनुभव से जोड़ने का माध्यम बनने का प्रयास करता हूं। जब सामने प्रशंसक दर्शक होते हैं तो अच्छा माहौल बनता है और यह मुझे नृत्य करने के लिए प्रेरित करता है। राजेंद्र गंगानी के साथ तबले पर फतेहसिंह गंगानी, गायन और हारमोनियम पर श्रीरंग टेम्बे, सारंगी पर संदीप मिश्रा और बांसुरी पर युवराज सोनार ने संगत की।
दूसरे दिन का दूसरा फूल सीनियर सिंगर आरती अंकलीकर-टिकेकर थीं। तरल स्वरों की लयबद्ध बुनावट, मन को मोह लेने वाला क्लासिकल राग और इसे दिल की मुराद देने वाले फैंस की तालियां.. ऐसे मधुर माहौल में आरती अंकलीकर ने दीवाने फैंस को मंत्रमुग्ध कर दिया। आरती अंकलीकर ने राग पूर्व कल्याण, तीन ताल में बंदिश, एक ताल में तराना के साथ-साथ पंडित शंकर अभ्यंकर की राग पूर्व कल्याण में बंदिश पेश की। आरती अंकलीकर के साथ तबले पर रोहित देव और हारमोनियम पर सिद्धेश बिचोलकर ने संगत की।
इस मौके पर आरती अंकलीकर ने पंडित राम मराठे की यादें ताजा कीं। रामभाऊ की कल्पना अद्भुत थी। मैंने उनके गाने सुने हैं और गाते समय रिदम, रिदम और राग पेश करने में उन्हें महारत हासिल थी। वे आज भी कहते थे कि जब भी कोई प्रोग्राम करने जाते समय उनका मन भटकता था, तो वे पंडित राम मराठे की रिकॉर्डिंग सुनते थे।
दूसरे दिन के तीसरे फूल थे उस्ताद शाहिद परवेज़, जो भारतीय हिंदुस्तानी क्लासिकल म्यूज़िक के मशहूर सितार वादक हैं। इटावा-इमदादखानी घराने की सातवीं पीढ़ी के प्रतिनिधि उस्ताद शाहिद परवेज़ ने अपने अनोखे सितार वादन से ठाणे के दर्शकों का दिल जीत लिया। उन्होंने राग यमन में एक शांत और गंभीर अलाप के साथ प्रोग्राम की शुरुआत की। फिर, उन्होंने तेज़ रफ़्तार में ताकत, रफ़्तार और नज़ाकत का अद्भुत मेल पेश किया और दर्शकों की वाहवाही लूटी। सितार वादन के उनके अनोखे अंदाज़ की वजह से दर्शकों को उनके वादन में सुर, रिदम, लय और इमोशन का संगम देखने को मिला। उस्ताद शाहिद परवेज़ के साथ तबले पर उन्मेश बनर्जी ने संगत की।
लकी विनर्स
संगीत भूषण पंडित राम मराठे फेस्टिवल में हर दिन लकी ड्रॉ से एक लकी फैन चुना जाता है। दूसरे दिन के सेशन में, श्रद्धा हार्डिकर और अशोक सरवटे लकी दर्शक थे। उन्हें म्युनिसिपल कॉर्पोरेशन की तरफ से गिफ़्ट और बुके देकर सम्मानित किया गया।
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हिन्दुस्थान समाचार / रवीन्द्र शर्मा