लोकसभा में बोले सांसद दीपेंद्र हुड्डा, जहरीली हवा में मर रहे हैं लोग, सरकार बना रही बहाने
- वायु प्रदूषण पर कार्यस्थगन प्रस्ताव, संचार साथी ऐप पर भी सवाल चंडीगढ़, 03 दिसंबर (हि.स.)। लोकसभा में बुधवार को रोहतक से कांग्रेस सांसद दीपेन्द्र हुड्डा ने वायु प्रदूषण के मुद्दे पर सरकार को कठघरे में खड़ा करते हुए तीखा हमला बोला और तत्काल चर्चा
लोकसभा में बोले सांसद दीपेंद्र हुड्डा, जहरीली हवा में मर रहे हैं लोग, सरकार बना रही बहाने


- वायु प्रदूषण पर कार्यस्थगन प्रस्ताव, संचार साथी ऐप पर भी सवाल

चंडीगढ़, 03 दिसंबर (हि.स.)। लोकसभा में बुधवार को रोहतक से कांग्रेस सांसद दीपेन्द्र हुड्डा ने वायु प्रदूषण के मुद्दे पर सरकार को कठघरे में खड़ा करते हुए तीखा हमला बोला और तत्काल चर्चा के लिए कार्यस्थगन प्रस्ताव पेश किया।

उन्होंने कहा कि हरियाणा, दिल्ली-एनसीआर समेत उत्तर भारत की हवा जहर बन चुकी है और करोड़ों लोग रोज़ मौत की सांस लेने को मजबूर हैं, लेकिन केंद्र सरकार हर साल सिर्फ बयान देती है- बजट नहीं।

उन्होंने कहा कि यह स्थिति सामान्य नहीं, राष्ट्रीय आपदा है। हर साल सर्दियों में लोग बीमार पड़ते हैं, स्कूल बंद होते हैं, अस्पतालों की लाइनें बढ़ती हैं, लेकिन फरवरी आते-आते सरकार सब भूल जाती है। दीपेन्द्र हुड्डा ने प्रधानमंत्री से तुरंत हस्तक्षेप की मांग करते हुए कहा कि हरियाणा, पंजाब, दिल्ली, यूपी और राजस्थान जैसे प्रभावित राज्यों के मुख्यमंत्रियों का एक उच्च-स्तरीय समूह बनाया जाए और वायु प्रदूषण से लडऩे के लिए एक विशेष राष्ट्रीय परियोजना लाई जाए, जिसे पर्याप्त फंडिंग मिले। उन्होंने कहा कि यही एकमात्र स्थायी समाधान है।

उन्होंने सदन को बताया कि दुनिया के 50 सबसे प्रदूषित शहरों में से 43 शहर भारत में हैं, जिनमें 12 सिर्फ हरियाणा में आते हैं। उन्होंने कहा कि उन्होंने वर्ष 2017 में ‘राइट टू क्लीन एयर बिल’ लाया था, पर सरकार ने उसे भी ठंडे बस्ते में डाल दिया और आज उनके कार्यस्थगन प्रस्ताव को भी अस्वीकार कर दिया।

दीपेन्द्र ने संचार मंत्रालय के विवादित संचार साथी ऐप के हर मोबाइल में जबरन प्रीलोड किए जाने पर भी जोरदार आपत्ति दर्ज कराई। उन्होंने कहा कि यह आदेश नागरिकों की निजता पर सीधा प्रहार है और दुनिया के किसी लोकतांत्रिक देश में किसी ऐप की अनिवार्य प्रीलोडिंग की मिसाल नहीं मिलती। उन्होंने कहा कि यह फैसला लोगों की प्राइवेसी को खतरे में डालता है। इससे स्नूपिंग, निगरानी और डेटा के दुरुपयोग की आशंका बढ़ जाती है। यह स्वीकार्य नहीं है।

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हिन्दुस्थान समाचार / संजीव शर्मा