Enter your Email Address to subscribe to our newsletters



अंबिकापुर, 03 दिसंबर (हि.स.)। छत्तीसगढ़ के सरगुजा जिले के लखनपुर विकासखंड स्थित एसईसीएल अमेरा खदान विस्तार को लेकर बुधवार को क्षेत्र युद्धभूमि में बदल गया। खदान विस्तार पर चर्चा के लिए सुबह करीब 10:30 बजे प्रशासनिक अमला, प्रबंधक, अपर कलेक्टर, एसडीएम, तहसीलदार और भारी पुलिस बल ग्रामीणों से बात करने मौके पर पहुँचा, लेकिन बातचीत तनाव में बदल गई और देखते ही देखते दोनों ओर से जमकर पथराव शुरू हो गया। टकराव में 20 से अधिक पुलिसकर्मी और करीब 15–20 ग्रामीणों के घायल होने की पुष्टि हुई।
दो घंटे की मशक्कत के बाद मामला शांत हुआ, लेकिन दोपहर करीब 2 बजे फिर स्थिति बेकाबू हो गई, जब विरोध प्रदर्शन के दौरान एक स्कूली छात्रा की गिरफ्तारी ने भीड़ को उग्र बना दिया। छात्रा को छुड़ाने के लिए बड़ी संख्या में ग्रामीण जमा हो गए और पत्थरों एवं डंडों से पुलिस पर हमला बोल दिया, जिसके बाद हालात बेकाबू होते देख पुलिस ने आँसू गैस के गोले दागकर भीड़ को तितर-बितर करने का प्रयास किया।
लगभग छह महीने से भूमि अधिग्रहण के विरोध में खनन क्षेत्र में झोपड़ियां बनाकर आंदोलन कर रहे ग्रामीणों को हटाने के लिए बुधवार को भारी पुलिस बल तैनात किया गया। झोपड़ियों को तोड़ते हुए आग के हवाले किया गया, जिसके बाद टकराव और भड़क उठा।
ग्रामीणों का आरोप है कि कुल 238 प्रभावित परिवारों में से महज 15–16 लोगों को ही मुआवजा दिया गया है, और वे किसी भी कीमत पर अपनी जमीन खदान के लिए नहीं सौंपेंगे।
प्रशासन का कहना है कि 2016 में ग्राम परसोडी कला की 11.192 हेक्टेयर भूमि का अधिग्रहण कोल बेयरिंग एक्ट 1957 के तहत हो चुका है और कई ग्रामीण मुआवजा लेने से स्वयं मना कर रहे हैं, जिससे खनन बाधित हो रहा है।
अपर कलेक्टर सुनील नायक ने बताया कि भू-अर्जन की सभी प्रक्रिया पूरी है, प्रभावित परिवारों को मुआवजा एवं पुनर्वास लाभ प्रदान किए जा रहे हैं और खदान संचालन में बाधा डालने वालों को समझाइश दी जा रही है।
तनावपूर्ण घटनाक्रम के बीच दो बार पुलिस और ग्रामीणों के बीच लाठीचार्ज और पथराव हुआ। 20 से अधिक पुलिसकर्मी घायल बताए जा रहे हैं और आधा दर्जन से अधिक ग्रामीण भी गंभीर रूप से चोटिल हुए। घंटों चली कार्रवाई के बाद देर शाम पुलिस ने आंदोलनकारियों को खदेड़ते हुए खदान क्षेत्र का नियंत्रण अपने कब्जे में ले लिया और परिस्थितियां सामान्य कीं।
बुधवार देर शाम एसईसीएल की ओर से जारी प्रेस विज्ञप्ति में बताया गया कि अमेरा ओपनकास्ट माइंस 1.0 मिलियन टन प्रतिवर्ष क्षमता वाली परियोजना है, जिसकी 664.184 हेक्टेयर भूमि का अधिग्रहण वर्ष 2001 में किया गया था। विरोध और अवैध गतिविधियों में संलिप्त कुछ तत्वों के उकसावे के कारण 2019 के बाद खनन बंद करना पड़ा था, जबकि प्रभावित परिवारों को लगभग ₹10 करोड़ का मुआवजा दिया जा चुका है और रोजगार भी प्रदान किया जा रहा है। एसईसीएल का कहना है कि बुधवार को बातचीत के दौरान प्रशासन पर हुए पथराव के बाद अतिरिक्त बल बुलाना पड़ा और शाम 5 बजे से खनन कार्य आंशिक रूप से बहाल किया गया।
फिलहाल बवाल थमने के बाद क्षेत्र में भारी पुलिस बल तैनात है और स्थिति पर प्रशासन की कड़ी नजर बनी हुई है। हालांकि तनाव अब भी कायम है और ग्रामीणों का स्पष्ट कहना है कि संघर्ष जारी रहेगा। अब पूरा ज़िला इस सवाल का इंतजार कर रहा है कि क्या अमेरा खदान विस्तार आगे बढ़ेगा या यह विवाद और गहराएगा।
----------------
हिन्दुस्थान समाचार / पारस नाथ सिंह