एमसीबी: डिजिटल खरीद व्यवस्था और 3100 रुपए समर्थन मूल्य ने बदली किसान लक्ष्मी प्रसाद की जिंदगी
अंबिकापुर/एमसीबी, 3 दिसंबर (हि.स.)। खरीफ विपणन वर्ष 2025-26 किसानों के लिए नई उम्मीद और नए सम्मान का वर्ष बनकर सामने आया है। मनेंद्रगढ़-चिरमिरी-भरतपुर जिले के उपार्जन केंद्रों की व्यवस्था इस बार पूरी तरह बदली हुई दिख रही है, जिसमे साफ-सुथरा वातावरण
किसान लक्ष्मी प्रसाद


अंबिकापुर/एमसीबी, 3 दिसंबर (हि.स.)। खरीफ विपणन वर्ष 2025-26 किसानों के लिए नई उम्मीद और नए सम्मान का वर्ष बनकर सामने आया है। मनेंद्रगढ़-चिरमिरी-भरतपुर जिले के उपार्जन केंद्रों की व्यवस्था इस बार पूरी तरह बदली हुई दिख रही है, जिसमे साफ-सुथरा वातावरण, सहयोगी स्टाफ, बारदाने की उपलब्धता, पीने के पानी की सुविधा और सटीक तौल व्यवस्था ने किसानों का विश्वास वापस दिलाया है। इसी बदलाव की असली मिसाल बने हैं ग्राम चैनपुर के किसान लक्ष्मी प्रसाद, जिन्होंने चैनपुर उपार्जन केंद्र में इस वर्ष 28 क्विंटल धान बेचा। केंद्र में पहुंचते ही उन्हें महसूस हुआ कि व्यवस्था अब सचमुच किसान मित्र बन चुकी है।

डिजिटल व्यवस्था ने जगाया नया आत्मविश्वास

लक्ष्मी प्रसाद बताते हैं कि इस बार पूरी प्रक्रिया तकनीक पर आधारित थी। टोकन ऑनलाइन जारी हुए, निर्धारित समय पर तौलाई पूरी हो गई और न कोई भीड़, न किसी तरह की प्रतीक्षा। पुराने समय की तरह लाइन में खड़े रहना या बार-बार पूछताछ करना अब इतिहास हो चुका है। वे खुश होकर कहते हैं कि अब खरीदी का इंतजार किसान नहीं करता, बल्कि खरीद व्यवस्था किसान का इंतजार करती है। डिजिटल खरीदी से पारदर्शिता बढ़ी है, समय बचा है और किसानों को उनके अधिकारों का वास्तविक लाभ मिला है। प्रति क्विंटल 3100 रुपए समर्थन मूल्य और 21 क्विंटल प्रति एकड़ स्वीकृति सीमा ने किसानों की आर्थिक सुरक्षा को और मजबूत किया है। पिछले वर्ष की खरीदी राशि से किए गए खेत सुधार और नए कृषि उपकरणों ने लक्ष्मी प्रसाद की खेती को ज्यादा उत्पादक बनाया और इस वर्ष उन्हें विश्वास है कि बेहतर समर्थन मूल्य से परिवार और खेती दोनों और भी सशक्त होंगे।

सम्मान और भरोसे का वर्ष

इस पूरे सिस्टम को सुचारू बनाने के लिए प्रशासन, खाद्य विभाग और मार्कफेड का सक्रिय प्रबंधन महत्वपूर्ण रहा। डिजिटल पंजीयन से लेकर दुरुस्त तौल मशीनें, समय पर भुगतान और व्यवस्थित भंडारण हर कदम पर पारदर्शिता और जिम्मेदारी दिखाई दी। किसान लक्ष्मी प्रसाद के अनुभव बताते हैं कि इस बार खरीद केंद्रों पर सिर्फ धान नहीं खरीदा जा रहा, बल्कि किसानों का सम्मान, उनका विश्वास और उनका भविष्य खरीदा जा रहा है। जिले में किसानों के चेहरों पर सुकून, व्यवस्था पर भरोसा और भविष्य के प्रति नई आशा साफ दिखाई देती है। यह खरीफ वर्ष सिर्फ एक खरीद सत्र नहीं, बल्कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था में मजबूती और नए आत्मविश्वास का वर्ष बन चुका है।

हिन्दुस्थान समाचार / पारस नाथ सिंह