एवीबीपी कार्यकर्ताओं पर पुलिस ने नहीं किया लाठीचार्ज : मुख्यमंत्री
धर्मशाला, 03 दिसंबर (हि.स.)। पुलिस और एवीबीपी कार्यकर्ताओं के बीच हुई हाथापाई और झड़प की घटना को लेकर मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि एबीवीपी के कार्यकर्ता बिना अनुमति के जोरावर मैदान में पहुंचे। बुधवार को करीब साढ़े 12 बजे उन्होंने सड़क को
बेरिगेट तोड़ने की कोशिश करते हुए कार्यकर्ताओं को रोकती हुई पुलिस।


धर्मशाला, 03 दिसंबर (हि.स.)। पुलिस और एवीबीपी कार्यकर्ताओं के बीच हुई हाथापाई और झड़प की घटना को लेकर मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि एबीवीपी के कार्यकर्ता बिना अनुमति के जोरावर मैदान में पहुंचे। बुधवार को करीब साढ़े 12 बजे उन्होंने सड़क को भी बन्द कर दिया। कार्यकर्ताओं ने बेरिगेट भी तोड़कर विधानसभा की तरफ आने का प्रयास किया। उन्होंने कहा कि इस घटना में तीन पुलिस महिला जवानों को भी चोट आई है, जिसमें पुलिस की ओर से कानून व्यवस्था बनाने के प्रयास किए। इसमें 10 की बजाय मात्र चार से पांच लोगों को हल्की चोटें आई हैं। मुख्यमंत्री ने बताया कि कानून के तहत कार्रवाई की गई है। भाजपा की रैली भी कल है, ऐसे में तीन हजार लोगों की जोरावर मैदान में अनुमति दी गई है। उन्होंने कहा कि स्वर्ण आयोग के प्रदर्शन में पुलिस जवान भी जख्मी हुए थे, यंहा पर भी लाठीचार्ज नहीं हुआ है। यहां पर दोनों तरफ से धक्का-मुक्की हुई है। परमिशन मार्च पास की मांगी थी, जोकि नहीं दी गई थी। इसके बावजूद जोरावर सिंह मैदान में पहुंच गए और उन्होंने आगे बढ़ने का प्रयास किया।

उधर इस घटना पर नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने कहा कि विद्यार्थी परिषद के कार्यकर्ताओं ने परमिशन को अप्लाई किया था, तो उसे डीनाई क्यों किया गया। उन्होंने कहा पूर्व सरकार के समय में भी अपनी बात रखते थे, उस समय तो स्वर्ण आयोग के लोग परिसर तक पहुंचे और उनसे बात की गई। उन्होंने कहा कि राजनीतिक रूप से रैली को बदलने की बात कही जा रही है, तो आंदोलन को उसी तर्ज पर किया जाएगा। पूर्व मुख्यमंत्री जयराम ने कहा कि हमने परमिशन मांगने पर पैसे जमा करवाये गए, जबकि बाद में चिट्टी डालकर पुलिस मैदान में भेजने की बात कही। उन्होंने कहा कि पांच हजार के करीब लोगों तक रैली रखने की सहमति भी दी। इस संबंध में मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू से भी मिले थे। उन्होंने कहा कि गारंटी देने का औचित्य सही नहीं है। सौहार्दपूर्ण तरीके से बात होगी तो सही है। जबकि अगर रैली रद्द की जाती है तो आंदोलन को उसी तर्ज पर किया जाएगा।

हिन्दुस्थान समाचार / सतेंद्र धलारिया