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क्रिटिकल मिनरल्स, एआई, सतत विकास और समाज-हित वाली तकनीकों में रिसर्च करें छात्र :डॉ. पीके मिश्रा
धनबाद, 3 दिसंबर (हि.स.)। आईआईटी (आईएसएम) धनबाद में बुधवार को शताब्दी स्थापना सप्ताह का आगाज़ बेहद गरिमापूर्ण माहौल में हुआ। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि प्रधानमंत्री के प्रधान सचिव डॉ. पी. के. मिश्रा ने संस्थान के 100 वर्ष पूरे होने पर बधाई देते हुए कहा कि आईआईटी (आईएसएम) पिछले एक सदी से राष्ट्र निर्माण, खनन प्रौद्योगिकी और मानव संसाधन विकास में अहम योगदान देता आया है और आने वाले दशकों में भी इसकी भूमिका और बढ़ेगी।
कार्यक्रम की शुरुआत वैदिक मंत्रोच्चार, शंखध्वनि और दीप प्रज्वलन के साथ हुई। सत्र का संचालन प्रो. रजनी सिंह, डीन (कॉरपोरेट कम्युनिकेशंस) ने किया, जिनकी एंकरिंग की मुख्य अतिथि ने विशेष सराहना की। समारोह में विभिन्न वैज्ञानिकों, शिक्षाविदों, राजनयिकों, उद्योग विशेषज्ञों, पूर्व छात्र-छात्राओं और मौजूदा विद्यार्थियों की बड़ी संख्या मौजूद रही।
आईआईटी (आईएसएम) के निदेशक प्रो. सुकुमार मिश्रा ने स्वागत भाषण में कहा कि शताब्दी केवल उत्सव नहीं, बल्कि संस्थान की जिम्मेदारियों का एक नया अध्याय है। उन्होंने कहा कि संस्थान आने वाले समय में माइनिंग 4.0, डिजिटल टेक्नोलॉजी, क्लीन एनर्जी, सस्टेनेबिलिटी, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और क्रिटिकल मिनरल रिसर्च जैसे क्षेत्रों में देश का नेतृत्व करेगा।
एमएनआईटी जयपुर के निदेशक प्रो. एन. पी. पाढ़ी , जिन्हें समारोह में सम्मानित किया गया, ने कहा कि आईआईटी (आईएसएम) का 100 वर्ष का सफर देश के तकनीकी इतिहास में एक प्रेरक अध्याय है। उन्होंने संस्थान की तेज़ी से बढ़ती रिसर्च क्षमता, नवाचार वातावरण और वैश्विक सहयोगों की प्रशंसा की।
ब्रिटिश डिप्टी हाई कमिश्नर एंड्रयू एलेक्ज़ेंडर फ्लेमिंग ने शताब्दी समारोह में शामिल होकर खुशी जताई और कहा कि यूके-इंडिया विज़न 2035 के तहत आईआईटी (आईएसएम) और ब्रिटेन के बीच सहयोग लगातार मज़बूत हो रहा है। उन्होंने TEXMiN और यूके-आधारित GEOTECH के साथ शुरू हुई नई डिजिटाइज़ेशन लैब साझेदारी की भी सराहना की।
मुख्य अतिथि डॉ. पी. के. मिश्रा ने अपने संबोधन में कहा कि भारत आज जिस तेज़ी से आगे बढ़ रहा है, उसमें टेक्नोलॉजी-आधारित गवर्नेंस, अंतरिक्ष और क्वांटम टेक्नोलॉजी, ग्रीन एनर्जी, डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर जैसी उपलब्धियां देश की ताकत बन रही हैं। उन्होंने कहा कि आईआईटी (आईएसएम) को क्रिटिकल मिनरल्स, एआई, सतत विकास और समाज-हित वाली तकनीकों में रिसर्च को और आगे ले जाना चाहिए। उन्होंने महिला-नेतृत्व वाले विकास पर भी जोर दिया और कहा कि संस्थान का इनोवेशन इकोसिस्टम देखकर वे बेहद प्रभावित हैं।
मुख्य कार्यक्रम के बाद मुख्य अतिथि और अतिथियों ने कई नई सुविधाओं का उद्घाटन और अवलोकन किया, जिनमें वर्चुअल रियलिटी माइन सिम्युलेटर लैब, डिजिटल माइनिंग इंफ्रास्ट्रक्चर लैब , ड्रिल कोर डिजिटाइजेशन लैब, बोर्ड एंड पिलर ट्रेनिंग गैलरी, लॉन्गवाल अंडरग्राउंड कोल माइन गैलरी, और स्टार्टअप्स के लिए सीड फंड सपोर्ट लेटर सौंपना शामिल था। इसके बाद ज्ञान-विज्ञान प्रांगण का शुभारंभ किया गया, जिसमें एआई-आधारित इंडस्ट्रियल सॉल्यूशंस, डिजिटल ट्विन, रोबोटिक्स, 3डी मेटावर्स-बेस्ड माइनिंग मॉडल, क्लीन एनर्जी इनोवेशन और भारतीय ज्ञान प्रणाली से जुड़े प्रदर्शन लगाए गए थे।
वहीं, कार्यक्रम में काफी बड़े आकार के ड्रोन का प्रदर्शनी लगाए आईआईटी (आइएसएम) के छात्र आशीष शिद्धार्थ ने बताया कि उनका यह ड्रोन न सिर्फ प्रदूषण रोकने, बल्कि आग को रोकने में भी अहम भूमिका निभाएगा। वहीं, रोबोटिक ड्रोन की प्रदर्शनी लगाए छात्र सौरभ कुमार ने बताया कि उनका यह रोबोट डिफेंस और देश द्रोहियों को ढूंढ निकालने में अहम भूमिका निभाएगी। इसके साथ ही एक रेसिंग कार की भी यहाँ प्रदर्शनी लगाई गई थी, इसके संबंध में इसे बनाने वाले छात्रों के हेड प्रो. रमेश प्रसाद ने बताया कि यह कार बैटरी से चलने वाली वो कार है जिसे महज देश के सात शिक्षण संस्थान ही बना सके हैं, जिसमे एक यह भी शामिल है।
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हिन्दुस्थान समाचार / राहुल कुमार झा