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शिमला, 3 दिसंबर (हि.स.)। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) शिमला सब ज़ोनल ऑफिस ने भ्रष्टाचार, रिश्वतखोरी, जालसाज़ी, उगाही और मनी लॉन्ड्रिंग के आरोपों का सामना कर रहे हिमाचल प्रदेश सरकार के असिस्टेंट ड्रग कंट्रोलर निशांत सरीन और उनकी सहयोगी कोमल खन्ना पर बड़ी कार्रवाई करते हुए 2.58 करोड़ रुपये की दो अचल संपत्तियों को अस्थायी रूप से अटैच किया है। अटैच की गई संपत्तियों में हरियाणा के पंचकूला सेक्टर-20 में एक आवासीय फ्लैट और शिमला में एक आवासीय भवन शामिल है।
ईडी की तरफ से बुधवार को ये जानकारी दी गई।
निशांत सरीन को मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप में 09 अक्तूबर 2025 को गिरफ्तार किया गया था और वे वर्तमान में न्यायिक हिरासत में हैं।
निशांत सरीन हिमाचल प्रदेश में ड्रग इंस्पेक्टर और बाद में असिस्टेंट ड्रग कंट्रोलर (एडीसी) के पद पर नाहन, बद्दी और सोलन सहित विभिन्न स्थानों पर तैनात रहे। जांच में पाया गया कि उन्होंने अपने पद का दुरुपयोग करते हुए फार्मास्युटिकल कंपनियों से अवैध वसूली की और गैरकानूनी तरीके से धन अर्जित किया। ईडी के अनुसार सरीन और उनकी सहयोगी कोमल खन्ना ने फार्मा कंपनियों पर दबाव बनाकर उन्हें भारी नुकसान पर व्यवसाय करने के लिए मजबूर किया और इस अवैध कमाई को दवाइयों से जुड़े व्यापारिक नेटवर्क के माध्यम से छिपाकर संपत्तियों में लगाया।
ईडी का कहना है कि सरीन और खन्ना द्वारा अर्जित की गई अवैध राशि को कोमल खन्ना और सरीन के परिवार के सदस्यों के नाम पर संपत्तियों, बैंक खातों और निवेशों में स्थानांतरित किया गया, जो धन शोधन की श्रेणी में आता है।
ईडी की जांच राज्य सतर्कता एवं भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो हिमाचल प्रदेश पुलिस द्वारा दर्ज एक एफआईआर के आधार पर शुरू हुई थी, जो भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 की धारा 11 के तहत दर्ज की गई थी। यह एफआईआर उस समय दर्ज हुई, जब सरीन बद्दी में असिस्टेंट ड्रग कंट्रोलर के पद पर तैनात थे। हिमाचल पुलिस ने निशांत सरीन को पहले भी गिरफ्तार किया था और वर्ष 2021 में इस मामले में चार्जशीट अदालत में दायर की गई।
इसके बाद वर्ष 2022 में हरियाणा पुलिस ने भी निशांत सरीन, कोमल खन्ना और अन्य व्यक्तियों के खिलाफ एक दूसरी एफआईआर दर्ज की, जो पंचकूला स्थित झेनिया फार्मास्युटिकल्स में साझेदारी समझौते में जालसाज़ी, उगाही और धमकाने से जुड़ी थी। आरोप है कि साझेदारी में कोमल खन्ना का हिस्सा 50 प्रतिशत से बढ़ाकर 95 प्रतिशत कर दिया गया, जो निशांत सरीन के प्रभाव और दबाव से संभव हुआ।
इसी अवधि में 23 सितंबर 2025 को हिमाचल पुलिस ने एक तीसरी एफआईआर दर्ज की, जिसमें आरोप लगाया गया कि निशांत सरीन ने हिमाचल प्रदेश में अपनी सरकारी सेवा के दौरान 1,66,05,470 रुपये की अवैध संपत्ति बनाई, जो उनकी आधिकारिक आय से कई गुना अधिक है और इसे डिसप्रोपोर्शनट एसेट्स माना गया।
जून 2025 में हुई थी बड़े स्तर की तलाशी
इसके पहले जून 2025 में भी ईडी ने शिमला सहित कई स्थानों पर छापेमारी की थी, जिसमें बड़ी मात्रा में दस्तावेज, ज्वेलरी, वाहन और लगभग 3.20 करोड़ रुपये की बैंक राशि जब्त की गई थी। ताज़ा कार्रवाई के बाद इस मामले में कुल ज़ब्त और अटैच की गई राशि 5.78 करोड़ रुपये तक पहुँच गई है।
ईडी ने कहा है कि इस पूरे प्रकरण में आगे की जांच जारी है और आवश्यकता पड़ने पर और अटैचमेंट व गिरफ्तारी की कार्रवाई की जा सकती है।
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हिन्दुस्थान समाचार / उज्जवल शर्मा