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राजसमंद, 3 दिसंबर (हि.स.)। कुंभलगढ़ महोत्सव में राजस्थान की लोक-संगीत परंपरा एक बार फिर अपने पूरे वैभव के साथ दर्शकों के सामने आई। ‘अ ड्रंब ओडिसी फ्रॉम राजस्थान’ नाम से आयोजित विशेष नगाड़ा कॉन्सर्ट में नगाड़ों की गूंज और पारंपरिक वाद्यों की लय ने पूरे माहौल को मंत्रमुग्ध कर दिया। कार्यक्रम की शुरुआत तेज और दमदार नगाड़ों की थाप से हुई, जिसने किले की विशाल प्राचीरों से टकराकर मानो विजय घोष का स्वर उत्पन्न कर दिया।
इस विशेष प्रस्तुति में कुल 21 कलाकार शामिल रहे, जिनमें प्रमुख नगाड़ा वादक, लोक गायक, पारंपरिक नृत्यांगनाएं और अंतरराष्ट्रीय संगीतकार शामिल थे। ढोल, नगाड़ा, भपों, चंग और लोकनृत्य की अद्भुत जुगलबंदी ने दर्शकों को झूमने पर मजबूर कर दिया। घूमर और अन्य लोक नृत्यों की भंगिमाओं ने प्रस्तुति को और भी रंगीन बना दिया, जिससे पूरा वातावरण राजस्थान की जीवंत संस्कृति में रंग गया।
कार्यक्रम की खासियत यह रही कि इसमें शामिल अधिकांश कलाकार पहले भी देश-विदेश के कई प्रतिष्ठित मंचों पर अपनी प्रस्तुति दे चुके हैं। ये कलाकार जी-20 शेरपा समिट (रणकपुर), मोमासर उत्सव, पुष्कर मेला और हवा महल फेस्टिवल (जयपुर) जैसे बड़े आयोजनों में अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन कर चुके हैं। कुंभलगढ़ महोत्सव में भी उन्होंने अपने अनुभव और समर्पण से दर्शकों को बांधे रखा।
राजस्थान के पारंपरिक वाद्यों के साथ विदेशी संगीतकारों की आधुनिक बीट्स का समन्वय एक अनोखा फ्यूजन पेश कर रहा था, जिससे यह स्पष्ट संदेश गया कि राजस्थान का लोक-संगीत समय के साथ स्वयं को निखारते हुए भी अपनी मूल आत्मा और परंपरा को जीवित रखे हुए है।
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हिन्दुस्थान समाचार / Giriraj Soni