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नई दिल्ली, 3 दिसंबर (हि.स.)। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने बुधवार को कहा कि किसी भी समाज को वास्तविक अर्थों में विकसित तभी कहा जा सकता है जब उसमें दिव्यांगजन की समान भागीदारी सुनिश्चित हो। उन्होंने स्पष्ट कहा कि दिव्यांगजन संवेदनशीलता और करुणा के पात्र नहीं , वे बराबरी के हकदार हैं।
राष्ट्रपति यहां अंतरराष्ट्रीय दिव्यांगजन दिवस के अवसर पर दिव्यांगजन सशक्तीकरण के लिए राष्ट्रीय पुरस्कार 2025 प्रदान करने के बाद समारोह को संबोधित कर रही थीं। राष्ट्रपति ने अंतरराष्ट्रीय दिव्यांगजन दिवस 2025 की थीम- सामाजिक प्रगति को आगे बढ़ाने के लिए दिव्यांगों को शामिल करने वाले समाजों को बढ़ावा देना- का उल्लेख करते हुए कहा कि यह विषय समाज में समानता और समावेश की भावना को मजबूत करता है। उन्होंने कहा कि भारत अब “वेलफेयर माइंडसेट” से आगे बढ़कर “राइट्स-बेस्ड और डिग्निटी-फोकस्ड” दृष्टिकोण को अपना रहा है, जो दिव्यांगजन के सम्मान, स्वाभिमान और समान अवसरों को प्राथमिकता देता है।
राष्ट्रपति मुर्मु ने विशेष रूप से उन बाल पुरस्कार प्राप्तकर्ताओं की सराहना की, जिन्होंने कम उम्र में ही असाधारण उपलब्धियां हासिल की हैं। उन्होंने श्रेष्ठ दिव्यांग बालक मुहम्मद याजीन और श्रेष्ठ दिव्यांग बालिका धृति रांका का उल्लेख करते हुए कहा कि ये बच्चे आने वाली पीढ़ी के लिए प्रेरणा का स्रोत हैं। उन्होंने पुरस्कार योजना में बच्चों को शामिल करने के लिए दिव्यांगजन सशक्तिकरण विभाग की भी प्रशंसा की।
अपने संबोधन में राष्ट्रपति ने हाल ही में दृष्टिबाधित महिला टी20 विश्व कप विजेता खिलाड़ियों से हुई मुलाकात को भावुकता के साथ याद किया। उन्होंने कहा कि देश की दिव्यांग बेटियों ने खेल के क्षेत्र में असाधारण साहस और क्षमता का प्रदर्शन किया है, जिस पर सभी देशवासियों को गर्व है। उन्होंने बताया कि साल 2012 के पैरा ओलंपिक में भारत ने जहां केवल एक पदक जीता था, वहीं 2024 के पैरा ओलंपिक में भारतीय खिलाड़ियों ने 29 पदक जीतकर नया इतिहास रचा।
राष्ट्रपति ने दिव्यांगजन के लिए सरकार के विविध कार्यक्रमों और नीतिगत पहलों का उल्लेख किया। उन्होंने बताया कि ‘सुगम्य भारत अभियान’ के तहत हवाई अड्डों, रेलवे स्टेशनों, बस अड्डों और सार्वजनिक भवनों को दिव्यांगजन के अनुकूल बनाया जा रहा है। डिजिटल सेवाओं और वेबसाइटों को भी सुगम्य बनाने के लिए व्यापक प्रयास जारी हैं।
उन्होंने कहा कि साल 2016 में लागू दिव्यांगजन अधिकार अधिनियम ने रोजगार, शिक्षा और समान अवसरों के क्षेत्र में दिव्यांगजन को नई शक्ति और सुरक्षा प्रदान की है। साथ ही, देशभर में साइन लैंग्वेज अनुसंधान एवं प्रशिक्षण, मानसिक स्वास्थ्य पुनर्वास और खेल प्रशिक्षण जैसी आवश्यक सेवाओं के लिए राष्ट्रीय स्तर पर कई संस्थान स्थापित किए गए हैं। अब तक लाखों दिव्यांगजन को यूनीक डिसएबिलिटी आईडी कार्ड जारी किए जा चुके हैं, जिससे उन्हें सरकारी लाभ और सुविधाएं आसानी से मिल रही हैं।
राष्ट्रपति मुर्मु ने कहा कि राष्ट्रपति भवन भी दिव्यांगजन समावेशन का केंद्र बन रहा है। साल 2024 और 2025 में वहां 'पर्पल फेस्ट' का आयोजन किया गया, जिसमें देशभर के दिव्यांगजन की प्रतिभा और उपलब्धियों का उत्सव मनाया गया। इसी दौरान राष्ट्रपति भवन में दिव्यांगजन द्वारा संचालित कैफेटेरिया भी शुरू किया गया, जो समावेशी विकास की मिसाल बन चुका है।
उन्होंने समाज से भी जागरूक और सक्रिय भूमिका निभाने की अपील करते हुए कहा कि दिव्यांगजन की गरिमा, आत्मनिर्भरता और आत्मसम्मान की रक्षा करना हर नागरिक की जिम्मेदारी है। समाज और सरकार की संयुक्त सक्रियता से दिव्यांगजन अपनी क्षमताओं का सर्वोत्तम योगदान दे सकेंगे।
समारोह के अंत में राष्ट्रपति ने विश्वास व्यक्त करते हुए कहा कि वर्ष 2047 तक भारत विकसित और समावेशी राष्ट्र के रूप में उभरेगा और इसमें दिव्यांगजन का अमूल्य योगदान होगा। उन्होंने सभी पुरस्कार विजेताओं और देशवासियों के उज्ज्वल भविष्य की कामना की।
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हिन्दुस्थान समाचार / सुशील कुमार