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जयपुर, 3 दिसंबर (हि.स.)। राजस्थान हाईकोर्ट ने धोखाधडी को लेकर धौलपुर विधायक शोभारानी कुशवाह को राहत देते हुए भरतपुर की निचली अदालत की ओर से मामले में लिए गए प्रसंज्ञान आदेश को रद्द कर दिया है। जस्टिस समीर जैन की एकलपीठ ने यह आदेश शोभारानी कुशवाह की आपराधिक याचिका पर सुनवाई करते हुए दिए। अदालत ने कहा कि याचिकाकर्ता के खिलाफ कार्रवाई जारी रखना न्यायिक प्रक्रिया का दुरुपयोग होगा। ऐसे में भरतपुर के एसीजेएम कोर्ट के 18 अक्टूबर, 2022 और महिला उत्पीडन कोर्ट के 12 मई, 2023 के प्रसंज्ञान आदेश को निरस्त किया जाता है।
याचिका में वरिष्ठ अधिवक्ता माधव मित्र और अधिवक्ता जया मित्र ने अदालत को बताया कि याचिकाकर्ता एक महिला है और वह न तो कंपनी के प्रबंधन से जुडी है और ना ही उसके निदेशक मंडल की सदस्य है। वह कंपनी की केवल शेयर धारक है और कंपनी के दैनिक कामकाज या निर्णय लेने में कोई भागीदारी भी नहीं रखती है। इसके अलावा अभियोजन पक्ष के पास याचिकाकर्ता के खिलाफ कोई साक्ष्य भी नहीं है। इसके अलावा मामले में पुलिस ने न तो याचिकाकर्ता के खिलाफ आरोप पत्र पेश किया और ना ही उसके खिलाफ कोई जांच लंबित है। इसके बावजूद निचली अदालत ने केवल कंपनी के शेयर धारक होने के आधार पर उसे अपराध में शामिल मानकर प्रसंज्ञान ले लिया। वहीं मामले के शिकायतकर्ताओं के साथ समझौता हो चुका है और प्रकरण पूरी तरह सिविल प्रकृति का है। ऐसे में उसके खिलाफ निचली अदालत की ओर से लिए प्रसंज्ञान आदेश को रद्द किया जाए। गौरतलब है कि 13 जनवरी 2017 को श्याम बाबू शर्मा ने एक कंपनी के निदेशकों के खिलाफ धोखाधडी को लेकर भरतपुर के मथुरा गेट पुलिस थाने में शिकायत दी थी। जिस पर पुलिस ने आईपीसी की धारा 420, 406 व 120 बी में मामला दर्ज किया। वहीं जांच के बाद पुलिस ने शोभारानी के पति बनवारी लाल कुशवाहा के खिलाफ चालान पेश किया और करीब एक दर्जन लोगों के खिलाफ जांच लंबित रखी थी।
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हिन्दुस्थान समाचार / पारीक