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नई दिल्ली, 03 दिसंबर (हि.स.)। केंद्रीय सूचना और प्रसारण मंत्री अश्विनी वैष्णव ने लोकसभा में बुधवार को बताया कि सोशल मीडिया और फर्जी खबरों से जुड़ा मुद्दा बेहद गंभीर है। उन्होंने कहा कि फर्जी खबरें लोकतंत्र के लिए खतरा हैं और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म, गलत सूचनाओं और एआई-जनित डीपफेक पर सख्त कार्रवाई की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि कुछ लोग या समूह जिस तरह से सोशल मीडिया का इस्तेमाल कर रहे हैं, उससे लगता है कि ये भारत के संविधान या संसद द्वारा बनाए गए कानूनों का पालन नहीं करना चाहते। उन्होंने इस मामले में सख्त कार्रवाई और कड़े नियम बनाने की तत्काल आवश्यकता पर जोर दिया।
वैष्णव ने संसद में एक प्रश्न का उत्तर देते हुए बताया कि हाल ही में नए नियम लागू किए गए हैं, जिनमें छत्तीस घंटों के भीतर वीडियो हटाने का प्रावधान भी शामिल है। एआई-जनित डीपफेक की पहचान करने और उन पर आवश्यक कार्रवाई करने के लिए एक मसौदा नियम भी प्रकाशित किया गया है और इस पर विचार-विमर्श चल रहा है। उन्होंने संसदीय समिति के कार्य की सराहना की और कानूनी ढांचे को मजबूत करने के लिए प्रमुख सिफारिशों वाली एक विस्तृत रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए निशिकांत दुबे और सभी सदस्यों को धन्यवाद दिया।
सूचना और प्रसारण मंत्री ने कहा कि फर्जी खबरें तथा सोशल मीडिया से जुड़े मुद्दों में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता व हमारे लोकतंत्र की सुरक्षा के बीच एक नाज़ुक संतुलन की आवश्यकता है और सरकार इस संतुलन को बनाए रखने के लिए पूरी संवेदनशीलता के साथ काम कर रही है। उन्होंने यह भी कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में, डिजिटल इंडिया पहल से बड़ा बदलाव आया है और तकनीक का लोकतांत्रिकरण किया गया है, जिसके सकारात्मक प्रभावों को स्वीकार किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि सोशल मीडिया ने भी प्रत्येक नागरिक को एक मंच प्रदान किया है। इन सभी पहलुओं को ध्यान में रखते हुए, सरकार संस्थाओं और समाज की नींव रखने वाले विश्वास को मज़बूत करने के लिए काम कर रही है।
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हिन्दुस्थान समाचार / विजयालक्ष्मी