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नैनीताल, 18 दिसंबर (हि.स.)। उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने अपर जिला न्यायाधीश/विशेष न्यायाधीश भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम नैनीताल की कोर्ट से वर्ष 2017 को पारित आदेश को पलटते हुए द्वाराहाट इंजीनियरिंग कॉलेज के पूर्व कुलसचिव चंदन कुमार सोनी और ब्रजेश कुमार सिंह भोज को दोषमुक्त करार दिया है।
गुरुवार को न्यायमूर्ति आशीष नैथानी की एकलपीठ ने उक्त मामले में अपना फैसला सुनाया। कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि केवल संदेह या अपूर्ण साक्ष्यों के आधार पर किसी को दोषी नहीं ठहराया जा सकता। मामले के अनुसार कुमाऊं इंजीनियरिंग कॉलेज, द्वाराहाट में आपूर्ति कार्य के भुगतान के बदले अवैध रिश्वत मांगने का आरोप याचिकाकर्ताओं पर लगा था। सतर्कता विभाग (विजिलेंस) की कार्यवाही के आधार पर ट्रायल कोर्ट ने दोनों को भ्रष्टाचार और आपराधिक साजिश का दोषी पाया था। याचिकाकर्ताओं ने इस आदेश को उच्च न्यायालय में चुनौती देते हुए कहा कि अभियोजन पक्ष मांग और स्वीकृति के अनिवार्य तत्वों को साबित करने में विफल रहा है। सुनवाई के दौरान कोर्ट ने पाया कि चंदन कुमार सोनी के खिलाफ रिश्वत की सीधी मांग का कोई विश्वसनीय सबूत नहीं था। कोर्ट ने पाया कि आरोपित के पास भुगतान जारी करने की कोई प्रशासनिक शक्ति नहीं थी। इसके अलावा, अभियोजन पक्ष ने पेश किए गए इलेक्ट्रॉनिक साक्ष्य, जैसे फोन कॉल रिकॉर्डिंग कानून के अनुसार (धारा 65बी) प्रमाणित नहीं थे, जिससे उनकी विश्वसनीयता शून्य हो गई। दूसरे आरोपित ब्रजेश कुमार सिंह भोज के मामले में कोर्ट ने कहा कि केवल रिकवरी ही दोषसिद्धि के लिए पर्याप्त नहीं है, जब तक कि स्वेच्छा से रिश्वत लेने और उससे पहले की मांग साबित न हो जाए। जाल बिछाने वाली टीम के बयानों में विरोधाभास और फिनोलफ्थलीन पाउडर के इस्तेमाल से जुड़ी प्रक्रियाओं में खामियों को देखते हुए कोर्ट ने पूरी कार्यवाही को संदिग्ध माना।
कोर्ट ने कहा कि निचली अदालत का फैसला ठोस सबूतों के बजाय अनुमानों पर आधारित था। इन तथ्यों के बाद कोर्ट ने दोनों को संदेह का लाभ देते हुए उनकी सजा को रद्द कर दिया और उन्हें तत्काल रिहा करने का आदेश दिया। कोर्ट ने कहा कि साजिश का आरोप तब तक नहीं टिक सकता जब तक कि अभियुक्तों के बीच किसी साझा योजना का स्वतंत्र प्रमाण न हो।
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हिन्दुस्थान समाचार / लता