जब हम मोह में उलझ जाते हैं, तब गीता हमें कर्तव्य और धर्म का मार्ग दिखाती है- गायत्री देवी जी
कठुआ, 18 दिसंबर (हि.स.)। स्वामी श्रद्धानंद जी के बलिदान दिवस की स्मृति में आयोजित गीता ज्ञान सप्ताह के द्वितीय दिवस पर आर्य समाज कठुआ में श्रद्धा और उत्साह का अद्भुत संगम देखने को मिला। मुख्य वक्ता पुजनीय गायत्री देवी ने अपने प्रवचनों से श्रोता
When we get entangled in attachment, then Geeta shows us the path of duty and religion - Gayatri Devi Ji


कठुआ, 18 दिसंबर (हि.स.)। स्वामी श्रद्धानंद जी के बलिदान दिवस की स्मृति में आयोजित गीता ज्ञान सप्ताह के द्वितीय दिवस पर आर्य समाज कठुआ में श्रद्धा और उत्साह का अद्भुत संगम देखने को मिला।

मुख्य वक्ता पुजनीय गायत्री देवी ने अपने प्रवचनों से श्रोताओं को गहराई से प्रभावित किया। उनके शब्द केवल शास्त्रों का पाठ नहीं थे, बल्कि जीवन के संघर्षों और समाधान का जीवंत मार्गदर्शन थे। द्वितीय अध्याय पर उनका दृष्टिकोण प्रस्तुत करते हुए उन्होंने सांख्य योग की व्याख्या की और बताया कि आत्मा न जन्म लेती है, न मरती है। यह अमर सत्य हमें भय और मोह से मुक्त करता है और कर्मयोग की ओर अग्रसर करता है। उन्होंने अर्जुन संवाद को आज के मानव जीवन से जोड़ते हुए समझाया कि जब हम मोह और शोक में उलझ जाते हैं, तब गीता हमें कर्तव्य और धर्म का मार्ग दिखाती है। गायत्री देवी जी की शैली की विशेषता रही कि उन्होंने सरल भाषा में गहन विचार प्रस्तुत किए, श्रोताओं को आत्मचिंतन के लिए प्रेरित किया, गीता के शाश्वत संदेश को आधुनिक जीवन से जोड़ा और धर्म, समाज तथा राष्ट्रहित को एक सूत्र में पिरोया।

उनका प्रवचन केवल धार्मिक शिक्षा नहीं था, बल्कि जीवन जीने की कला का पाठ था। उनके शब्दों ने युवाओं में आत्मबल जगाया, समाजसेवियों को कर्मयोग की प्रेरणा दी और नागरिकों को धर्म के मार्ग पर चलने का संकल्प दिलाया। इस अवसर पर मुख्य अतिथि कैप्टन ज्ञान सिंह पठानिया (समाज सेवक), प्रोफेसर राम मूर्ति जी और प्रधानाचार्य द्वारका नाथ जी ने अपने प्रेरक विचार रखते हुए गीता के संदेश को जीवन में उतारने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने कहा कि गीता केवल धार्मिक ग्रंथ नहीं, बल्कि जीवन जीने की कला और समाज को एकजुट करने का मार्ग है। वहीं संरक्षक श्री भारत भूषण और अध्यक्ष विशन भारती ने अपने उद्बोधन में कहा कि गीता का प्रत्येक अध्याय समाज को एकजुट करने और जीवन के संघर्षों में मार्गदर्शन देने की शक्ति रखता है। कार्यक्रम में स्थानीय नागरिकों, समाजसेवियों और युवाओं की उत्साहपूर्ण भागीदारी रही। गीता ज्ञान सप्ताह प्रतिदिन दोपहर 1 बजे से 4 बजे तक आयोजित किया जा रहा है, जिसमें विभिन्न अध्यायों पर विद्वानों द्वारा प्रवचन होंगे।

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हिन्दुस्थान समाचार / सचिन खजूरिया