चप-मुड़ी और चाय की केतली लेकर एसएससी अभ्यर्थियों का प्रदर्शन, ममता के बयान पर सड़क पर उतरे नौकरी के दावेदार
कोलकाता, 18 दिसंबर (हि. स.)। स्कूल सेवा आयोग की भर्ती प्रक्रिया से जुड़े अभ्यर्थियों ने गुरुवार को शहर की सड़कों पर अनोखा विरोध प्रदर्शन किया। किसी के हाथ में चप-मुड़ी की थैली थी तो किसी के हाथ में चाय की केतली। यह प्रदर्शन मुख्यमंत्री ममता बनर्जी
प्रतीकात्मक रूप से चॉप मूढ़ी बेचते हुए नौकरी अभ्यर्थी


कोलकाता, 18 दिसंबर (हि. स.)। स्कूल सेवा आयोग की भर्ती प्रक्रिया से जुड़े अभ्यर्थियों ने गुरुवार को शहर की सड़कों पर अनोखा विरोध प्रदर्शन किया। किसी के हाथ में चप-मुड़ी की थैली थी तो किसी के हाथ में चाय की केतली। यह प्रदर्शन मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के उस बयान के एक दिन बाद सामने आया, जिसमें उन्होंने स्वरोजगार के तौर पर चाय और घुगनी बेचने की सलाह दी थी।

अभ्यर्थियों का कहना है कि वे प्रतीकात्मक रूप से यह दिखाना चाहते हैं कि नौकरी से वंचित होकर अब उनके पास सड़क पर उतरने के अलावा कोई रास्ता नहीं बचा है।

गुरुवार को कोलकाता में एसएससी अभ्यर्थियों की दो अलग-अलग रैलियां निकाली गईं। पहली रैली सॉल्टलेक स्थित विकास भवन के सामने दृष्टिहीन और दिव्यांग नौकरी अभ्यर्थियों की थी। इन अभ्यर्थियों ने आरोप लगाया कि उन्हें जानबूझकर उनके अधिकार की नौकरी से वंचित किया गया है। उनका कहना था कि जिस पद पर वे काम कर रहे थे, वही पद और वही नौकरी उन्हें वापस दी जानी चाहिए। वे शिक्षा मंत्री से मुलाकात करना चाहते थे, लेकिन मुलाकात नहीं हो सकी। इसके बाद विकास भवन के बाहर खड़े होकर उन्होंने अपना गुस्सा जाहिर किया।

दूसरी रैली उन नए अभ्यर्थियों की थी, जिन्होंने पहली बार एसएससी की परीक्षा दी है और इससे पहले कभी नौकरी नहीं की। इन अभ्यर्थियों का आरोप है कि भर्ती प्रक्रिया में पुराने अयोग्य अभ्यर्थियों को लाभ पहुंचाया गया, जिसके कारण वे अपने हक की नौकरी से वंचित हो गए। इन लोगों ने आयोग से रिक्त पदों की संख्या बढ़ाने की मांग की। मुख्यमंत्री के बयान के बाद इन्हीं अभ्यर्थियों में से कई लोग चाय, चप और मुड़ी के साथ रैली में शामिल हुए।

एक दिन पहले नेताजी इंडोर स्टेडियम में व्यापारियों के सम्मेलन को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने छोटे और कुटीर उद्योगों को लेकर सरकार की सोच रखी थी। इसी दौरान उन्होंने कहा था कि कोई भी काम छोटा नहीं होता और जरूरत पड़ने पर चाय या घुगनी बेचकर भी आत्मनिर्भर बना जा सकता है। उन्होंने प्रधानमंत्री के चाय बेचने के पुराने संदर्भ का भी जिक्र किया था और लोगों से निराश न होने की अपील की थी।

गुरुवार को निकली रैली में कई अभ्यर्थियों ने इस बयान को लेकर मुख्यमंत्री पर तंज कसा। केतली हाथ में लिए एक अभ्यर्थी ने कहा कि जब सरकार ही चप-मुड़ी बेचने की सलाह दे रही है, तो मजबूरी में उन्हें वही करना पड़ रहा है। उन्होंने दावा किया कि योग्य उम्मीदवारों की नौकरियां बिक गई हैं और भविष्य अंधकारमय होता जा रहा है।

एक अन्य अभ्यर्थी ने कहा कि अनुभव के नाम पर अतिरिक्त 10 अंक दिए जाने से नए उम्मीदवारों को नुकसान हुआ है। उसका कहना था कि 10 साल तक एसएससी परीक्षा का इंतजार करने के बाद भी अब उन्हें नौकरी नहीं मिल रही, इसलिए चप-मुड़ी और चाय ही उनके हाथ में बची है।

सियालदह से धर्मतला तक निकाली गई रैली में अभ्यर्थियों ने कम से कम एक लाख अतिरिक्त रिक्त पद सृजित करने की मांग भी उठाई। उनका आरोप है कि भ्रष्टाचार और गलत नीतियों के कारण योग्य उम्मीदवार बेरोजगार रह गए हैं और इसी हताशा को दिखाने के लिए यह प्रतीकात्मक प्रदर्शन किया गया।

हिन्दुस्थान समाचार / ओम पराशर