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जयपुर, 18 दिसंबर (हि.स.)। राजस्थान हाईकोर्ट ने राजस्थान अधिवक्ता कल्याण अधिनियम में संशोधन के मामले में राज्य के विधि सचिव और बार कौंसिल ऑफ राजस्थान के सचिव से जवाब मांगा है। एक्टिंग सीजे एसपी शर्मा और जस्टिस संगीता शर्मा की खंडपीठ ने यह आदेश अधिवक्ता सतीश कुमार खांडल की याचिका पर दिए।
याचिका में अधिवक्ता सुनील समदडिया ने कहा कि राजस्थान अधिवक्ता कल्याण अधिनियम में संशोधन से पहले वेलफेयर फंड का टिकट 25 रुपए था और अधिवक्ताओं को 40 साल की वकालत पूरी करने पर रिटायरमेंट राशि के तौर पर 5.30 लाख रुपए देने का प्रावधान था। वहीं अब संशोधन के बाद वेलफेयर फंड के टिकट की राशि चार गुना बढ़ाते हुए इसमें हर साल दस रुपए बढ़ोतरी करने का प्रावधान किया गया है, जबकि अधिवक्ता को 40 साल की वकालत पूरी करने पर केवल 8.17 लाख रुपए की राशि का ही अधिकारी माना गया है। याचिका में कहा कि जब वेलफेयर फंड की टिकट राशि में चार गुना की बढोतरी हुई है तो अधिवक्ताओं को मिलने वाली कल्याण राशि भी उसी अनुपात में बढनी चाहिए थी। इसके अलावा वकीलों की सेवानिवृत्ति आयु के लिए भी 50 साल की वकालत मानी है, जो भी गलत है। वहीं आजीवन सदस्यता शुल्क को 17 हजार 500 रुपए से बढ़ाकर 50 हजार रुपए करना भी मनमानी पूर्ण है। जिस पर सुनवाई करते हुए खंडपीठ ने संबंधित अधिकारियों से जवाब तलब किया है।
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हिन्दुस्थान समाचार / पारीक