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रांची, 18 दिसंबर (हि.स.)। महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) 2005 के योजना का नाम बदलकर इसकी जगह विकसित भारत–गारंटी फॉर रोजगार एंड आजीविका मिशन (ग्रामीण) यानी वीबी–जी रैम जी लागू करने के प्रस्ताव का झारखंड मुक्ति मोर्चा (जेएमएम) ने कड़ा विरोध जताया है।
पार्टी के ने इसके खिलाफ आंदोलन करने की चैतावनी दी है। झामुमो के केंद्रीय महासचिव सुप्रियो भट्टाचार्य ने गुरुवार को मोर्चा के कैंप कार्यालय में आयोजित प्रेस वार्ता में कहा कि मनरेगा सिर्फ एक सरकारी योजना नहीं, बल्कि ग्रामीण भारत के लिए कानूनी सुरक्षा कवच है। इसे कमजोर करना गरीब औ मजदूरों के हितों पर सीधा हमला है।
उन्होंने कहा कि मनरेगा ने ग्रामीण नागरिकों को रोजगार का कानूनी अधिकार दिया, जिसमें काम नहीं मिलने पर बेरोजगारी भत्ते का प्रावधान था। इससे महिलाओं, दलित-आदिवासी और भूमिहीन मजदूरों की सौदेबाजी की ताकत बढ़ी। प्रस्तावित नई व्यवस्था में यह अधिकार समाप्त होकर रोजगार केंद्र की विवेकाधीन नीति बन जाएगा।
भट्टाचार्य ने आरोप लगाया कि नए मॉडल में 60:40 की लागत-साझेदारी तय कर वित्तीय बोझ राज्यों पर डाला जा रहा है, इससे गरीब राज्यों पर अतिरिक्त दबाव पड़ेगा। पार्टी ने पंचायतों और ग्राम सभाओं की भूमिका कमजोर होने और रोजगार अवसर घटने की आशंका भी जताई।
उन्होंने विधेयक वापस लेने, संसद की स्थायी समिति को भेजने और मनरेगा की मूल भावना बनाए रखने की मांग करते हुए आंदोलन तेज करने का ऐलान किया।
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हिन्दुस्थान समाचार / Manoj Kumar