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धनबाद, 18 दिसंबर (हि.स.)। केंदुआडीह क्षेत्र में पिछले कई दिनों से जारी गैस रिसाव की समस्या प्रशासन और वैज्ञानिक टीम के लिए बड़ी चुनौती बनी हुई है। गैस रिसाव के कारण आसपास के इलाके में दहशत का माहौल रहा, वहीं एहतियात के तौर पर सुरक्षा व्यवस्था बढ़ाई गई और प्रभावित क्षेत्र पर लगातार निगरानी रखी जा रही है। स्थिति को नियंत्रित करने के लिए विभिन्न तकनीकी उपाय अपनाए जा रहे हैं और विशेषज्ञों की टीम लगातार मौके पर डटी हुई है।
इसी कड़ी में पीएमआरसी की टीम द्वारा नाइट्रोजन इंजेक्शन की प्रक्रिया लगातार जारी है। पीएमआरसी के मैनेजिंग डायरेक्टर प्रो. डीसी पाणिग्रही ने बताया कि नाइट्रोजन इंजेक्शन से पहले बोरहोल की पूरी प्रक्रिया अपनाई गई। पहले 6 इंच का बोरहोल किया गया, इसके बाद 3 इंच का बोरहोल कर गैसिंग की गई, फिर नाइट्रोजन इंजेक्शन शुरू किया गया। पूरी प्रक्रिया के दौरान गैस कंट्रोल की विजन मॉनिटरिंग की जा रही है, ताकि यह आकलन किया जा सके कि गैस पर कितना नियंत्रण हो रहा है।
उन्होंने कहा कि नियंत्रण की गति अंदर की स्थिति पर निर्भर करती है, क्योंकि अंदर की वास्तविक स्थिति प्रत्यक्ष रूप से दिखाई नहीं देती। अनुमान के आधार पर आकलन किया जा रहा है कि यदि अंदर कोई बड़ी दिक्कत नहीं हुई तो स्थिति जल्द सामान्य हो सकती है, अन्यथा इसमें समय लग सकता है। नाइट्रोजन इंजेक्शन से ऑक्सीजन की मात्रा घटती है और कूलिंग इफेक्ट मिलता है, जिससे अंदर चल रही रिएक्शन को नियंत्रित करने में मदद मिलती है। कुल तीन प्वाइंट पर बोरहोल किया जाना है, जिसमें दूसरा प्वाइंट शुरू होने वाला है, जबकि तीसरा प्वाइंट बाउंड्री के पास होने के कारण अंत में किया जाएगा। जांच में मिथेन गैस मिलने से यह संकेत मिलता है कि अंदर रिएक्शन अभी भी सक्रिय है। क्षेत्र में सामान्य रूप से सीओ, सीओ टू, मिथेन, ऑक्सीजन और नाइट्रोजन गैस पाई जा रही है।
वहीं पीएमआरसी के चीफ साइंटिस्ट नागेश्वर शाहा ने बताया कि फायर कंट्रोल की स्थिति की जांच के लिए टीम मौके पर पहुंची है। पहले की तुलना में अब हालात में काफी नियंत्रण आया है और नाइट्रोजन फिलिंग की प्रक्रिया जारी है। उन्होंने कहा कि 72 घंटे तक टैंकर चलाकर परिणामों का आकलन किया जाएगा, जिसके बाद आगे की रणनीति तय की जाएगी।
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हिन्दुस्थान समाचार / राहुल कुमार झा