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खड़गपुर, 18 दिसंबर (हि. स.)। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी), खड़गपुर ने रोबोटिक-सहायित शल्य चिकित्सा के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण पहल करते हुए गुरुवार को इंट्यूटिव फाउंडेशन के साथ साझेदारी में मनसे (मल्टी-मॉडल एआई इन नेविगेशन एंड ऑटोमेशन फ़ॉर सर्जिकल रोबोटिक्स) नामक नवीन अनुसंधान कार्यक्रम की शुरुआत की है। इस पहल का उद्देश्य एआई-सक्षम सर्जिकल मॉडलिंग के माध्यम से शल्य चिकित्सा को अधिक सुरक्षित, मानकीकृत और विश्वसनीय बनाना है।
गुरुवार को शुरू की गई यह पहल सर्जिकल सुरक्षा, डिजिटल प्रलेखन और जिम्मेदार स्वचालन के क्षेत्र में वैश्विक विमर्श में भारत की बढ़ती भूमिका को रेखांकित करती है और रोबोटिक-सहायित शल्य चिकित्सा के भविष्य के लिए मजबूत वैज्ञानिक आधार तैयार करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम मानी जा रही है।
इस कार्यक्रम के तहत आईआईटी खड़गपुर शल्य चिकित्सा प्रक्रियाओं के संरचित डिजिटल मॉडल विकसित करेगा। ये मॉडल सर्जनों द्वारा लिए जाने वाले निर्णयों का व्यवस्थित मानचित्रण करेंगे और रोबोटिक-सहायित सर्जरी में एकरूपता व विश्वसनीयता बढ़ाने में सहायक होंगे। वास्तविक सर्जिकल आंकड़ों के एआई-आधारित विश्लेषण से उन महत्वपूर्ण चरणों की पहचान की जाएगी, जिन्हें प्रारंभिक स्तर पर सुरक्षित और जिम्मेदार स्वचालन के लिए उपयुक्त माना जा सकता है।
यह शोध इंट्यूटिव फाउंडेशन द्वारा समर्थित दा विंची रिसर्च किट पर आधारित है, जो सेवानिवृत्त दा विंची प्रणालियों से पुनः विकसित एक गैर-नैदानिक शोध मंच है।
इस मंच के माध्यम से डिजिटल मॉडलों को रोबोटिक गतियों से जोड़ा जाएगा, जिससे कृत्रिम ऊतकों और शारीरिक मॉडलों पर नियंत्रित प्रयोगशाला वातावरण में परीक्षण संभव हो सकेगा। इस अनुसंधान में किसी भी प्रकार की मानव सर्जरी शामिल नहीं होगी।
आईआईटी खड़गपुर के निदेशक प्रो. सुमन चक्रवर्ती ने कहा कि यह कार्यक्रम शल्य चिकित्सा से जुड़ी जटिल चुनौतियों के समाधान के लिए अकादमिक जगत, चिकित्सकों और वैश्विक प्रौद्योगिकी संस्थाओं के सहयोग का सशक्त उदाहरण है। उन्होंने कहा कि इस तरह की साझेदारियां सर्जिकल सुरक्षा को मजबूत करने और रोगियों के बेहतर परिणाम देने में सहायक होंगी।
इस परियोजना से जुड़े एसोसिएट प्रोफेसर प्रो. देबदूत शीत ने बताया कि इस पहल का मुख्य उद्देश्य सर्जरी का ऐसा प्रलेखन तैयार करना है, जिसे संगणकीय प्रणालियां समझ सकें। उन्होंने कहा कि इससे उन चरणों की पहचान संभव होगी, जहां लक्षित मार्गदर्शन या स्वचालन के माध्यम से सर्जनों को सहायता मिल सकती है, ताकि वे जटिल निर्णयों पर अधिक ध्यान केंद्रित कर सकें। इस शोध में प्रो. पार्थ प्रतिम चक्रवर्ती और प्रो. शुभमय मंडल भी सहभागी हैं।
इस अनुसंधान कार्यक्रम से दो प्रमुख परिणामों की अपेक्षा है। पहला, शल्य चिकित्सा का एक समग्र डिजिटल स्वरूप, जो निदान, ऑपरेशन के दौरान की स्थिति और रिकवरी से जुड़े आंकड़ों को एकीकृत करेगा। दूसरा, जिम्मेदार और चयनात्मक स्वचालन, जिससे नियमित और दोहराव वाले कार्यों में सर्जनों को सहयोग मिलेगा और सर्जिकल प्रक्रियाओं की दक्षता बढ़ेगी।
इंट्यूटिव फाउंडेशन की अध्यक्ष डॉ. कैथरीन मोहर ने कहा कि दा विंची रिसर्च किट आज विश्व के कई देशों में अकादमिक शोध के लिए एक महत्वपूर्ण संसाधन बन चुकी है। उन्होंने कहा कि आईआईटी खड़गपुर जैसे अग्रणी संस्थान इस मंच का उपयोग कर रोबोटिक-सहायित सर्जरी के भविष्य को नई दिशा दे रहे हैं।
इंट्यूटिव इंडिया के वाइस प्रेसिडेंट एवं जनरल मैनेजर रोहित महाजन ने कहा कि इंट्यूटिव अकादमिक अनुसंधान के माध्यम से न्यूनतम इनवेसिव चिकित्सा में वैज्ञानिक प्रगति को आगे बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने विश्वास जताते हुए कहा कि यह सहयोग सर्जरी में निर्णय-निर्माण के मानकीकरण और रोगी परिणामों में सुधार की दिशा में अहम भूमिका निभाएगा।
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हिन्दुस्थान समाचार / अभिमन्यु गुप्ता