कलकत्ता हाई कोर्ट ने 15 साल पुराने हत्याकांड की जांच सीबीआई को सौंपी
कोलकाता, 18 दिसंबर (हि. स.)। कलकत्ता हाई कोर्ट ने हुगली जिले में 2010 में हुए तृणमूल कांग्रेस कार्यकर्ता की हत्या के मामले की जांच केंद्रीय जांच ब्यूरो यानी सीबीआई को सौंपने का आदेश दिया है। यह मामला करीब 15 साल पुराना है और अब तक राज्य की जांच एजे
कलकत्ता हाई कोर्ट


कोलकाता, 18 दिसंबर (हि. स.)। कलकत्ता हाई कोर्ट ने हुगली जिले में 2010 में हुए तृणमूल कांग्रेस कार्यकर्ता की हत्या के मामले की जांच केंद्रीय जांच ब्यूरो यानी सीबीआई को सौंपने का आदेश दिया है। यह मामला करीब 15 साल पुराना है और अब तक राज्य की जांच एजेंसी सीआईडी किसी ठोस नतीजे पर नहीं पहुंच पाई थी।

गुरुवार को इस मामले की सुनवाई के दौरान अदालत ने कहा कि लंबे समय से जांच लंबित रहने और किसी भी तरह की प्रगति नहीं होने के कारण अब इसकी जांच सीबीआई करेगी। कोर्ट के आदेश के अनुसार, मामले से जुड़े सभी दस्तावेज और जांच से संबंधित रिकॉर्ड सीबीआई को सौंपे जाएंगे और जांच नए सिरे से शुरू होगी।

यह मामला वर्ष 2010 का है, जब हुगली के जंगीपाड़ा इलाके में प्रसादपुर हाई स्कूल में अभिभावक प्रतिनिधि चुनाव के दौरान गोलीबारी हुई थी। इस घटना में तृणमूल कांग्रेस के कार्यकर्ता रॉबिन घोष की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। उस समय जंगीपाड़ा थाना के तत्कालीन प्रभारी तपसब्रती चक्रवर्ती पर आरोप लगे थे। आरोप था कि उन्होंने भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी मार्क्सवादी के कार्यकर्ताओं के साथ मिलकर सरकारी हथियार से फायरिंग की थी।

हत्या के बाद इस मामले की जांच राज्य की आपराधिक जांच विभाग यानी सीआईडी को सौंपी गई थी। मृतक के परिवार का आरोप है कि 15 साल से ज्यादा समय बीतने के बावजूद जांच में कोई ठोस नतीजा सामने नहीं आया। यह घटना राज्य में वाम मोर्चा सरकार के कार्यकाल के दौरान हुई थी।

कोर्ट के आदेश के बाद मृतक के परिजनों ने उम्मीद जताई है कि अब जांच सही दिशा में आगे बढ़ेगी और उन्हें न्याय मिलेगा। उनका कहना है कि लंबे इंतजार के बाद अब पहली बार उन्हें सकारात्मक परिणाम की आशा जगी है।

गौरतलब है कि इससे पहले भी कलकत्ता हाई कोर्ट कई मामलों की जांच सीबीआई को सौंप चुका है। विधानसभा चुनाव के बाद हुई हिंसा से जुड़े मामलों और शिक्षक भर्ती घोटाले जैसे प्रकरणों में भी अदालत के आदेश पर सीबीआई जांच कर रही है। अधिकतर मामलों में मौजूदा तृणमूल कांग्रेस सरकार और उसके नेताओं पर आरोप लगे थे।

हालांकि, इस बार का मामला अलग है, क्योंकि यह वाम मोर्चा शासनकाल के दौरान हुई एक हत्या से जुड़ा है और इसमें तृणमूल कांग्रेस के एक कार्यकर्ता की जान गई थी।

हिन्दुस्थान समाचार / ओम पराशर