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गोरखपुर, 18 दिसंबर (हि.स.)। महायोगी गोरखनाथ विश्वविद्यालय गोरखपुर के अंतर्गत राष्ट्रीय सेवा योजना (एनएसएस) की अष्टावक्र इकाई की ओर से एक दिवसीय शिविर के अंतर्गत स्वास्थ्य जागरूकता सर्वे का सफल आयोजन किया गया। यह सर्वे सिक्टौर मानीराम क्षेत्र में संपन्न हुआ।
शिविर संयोजक एवं एनएसएस कार्यक्रम अधिकारी आचार्य साध्वी नन्दन पाण्डेय ने बताया कि इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य बच्चों के स्वास्थ्य की स्थिति का आकलन करना है। अस्वच्छता से उत्पन्न होने वाली बीमारियों के प्रति आमजन को जागरूक करना तथा आयुर्वेद में वर्णित स्वर्णप्राशन संस्कार के महत्व से समाज को अवगत कराना था।
आचार्य साध्वी ने कहा कि स्वस्थ समाज की नींव स्वस्थ बालक होते हैं। उन्होंने स्वच्छता, संतुलित आहार एवं समय पर टीकाकरण को बच्चों के समग्र विकास के लिए अनिवार्य बताया। साथ ही
उन्होंने आयुर्वेद की वैज्ञानिकता पर प्रकाश डालते हुए कहा कि स्वर्णप्राशन संस्कार भारतीय ज्ञान परंपरा का एक महत्वपूर्ण अंग है, जो बच्चों की रोग प्रतिरोधक क्षमता को सुदृढ़ करने के साथ-साथ स्मरण शक्ति, बुद्धि एवं शारीरिक बल के विकास में सहायक सिद्ध होता है। उन्होंने एनएसएस स्वयंसेवकों से आह्वान किया कि वे समाज में स्वास्थ्य जागरूकता के संदेशवाहक बनकर सेवा कार्यों को निरंतर आगे बढ़ाएं।
इस स्वास्थ्य जागरूकता सर्वे में संस्थान के वाग्भट्ट बैच के एनएसएस स्वयंसेवक छात्र-छात्राओं ने सक्रिय सहभागिता निभाई। स्वयंसेवकों ने घर-घर जाकर लोगों से संवाद स्थापित किया और बच्चों के टीकाकरण की वर्तमान स्थिति की जानकारी एकत्र की। साथ ही, उन्होंने आयुर्वेदिक दृष्टिकोण से स्वर्णप्राशन संस्कार के लाभों जैसे रोग प्रतिरोधक क्षमता में वृद्धि, बौद्धिक विकास एवं संपूर्ण स्वास्थ्य संरक्षण के विषय में भी लोगों को विस्तार से जानकारी दी।
कार्यक्रम के माध्यम से क्षेत्रीय नागरिकों में स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता बढ़ने के साथ आयुर्वेदिक स्वस्थ जीवनशैली अपनाने की प्रेरणा मिली। एनएसएस स्वयंसेवकों के इस प्रयास की ग्राम प्रधान और स्थानीय नागरिकों द्वारा सराहना की गई।
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हिन्दुस्थान समाचार / प्रिंस पाण्डेय