सहायक लेखाधिकारी से लेखाधिकारी की पदोन्‍नति पर रहेगी यथा-स्थिति
जयपुर, 18 दिसंबर (हि.स.)। राजस्थान हाईकोर्ट में राज्य सरकार की ओर से कहा गया कि सहायक लेखाधिकारी से लेखाधिकारी के पद पर गत 19 सितंबर को जारी किए पदोन्नति आदेश पर यथा-स्थिति रखी जाएगी। राज्य सरकार की इस अंडरटेकिंग को रिकॉर्ड पर लेते हुए अदालत ने माम
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जयपुर, 18 दिसंबर (हि.स.)। राजस्थान हाईकोर्ट में राज्य सरकार की ओर से कहा गया कि सहायक लेखाधिकारी से लेखाधिकारी के पद पर गत 19 सितंबर को जारी किए पदोन्नति आदेश पर यथा-स्थिति रखी जाएगी। राज्य सरकार की इस अंडरटेकिंग को रिकॉर्ड पर लेते हुए अदालत ने मामले की सुनवाई 12 जनवरी को तय की है। जस्टिस अशोक कुमार जैन की एकलपीठ ने यह आदेश प्रेम प्रकाश आर्य व अन्य की याचिका पर सुनवाई करते हुए दिए।

याचिका में अधिवक्ता तनवीर अहमद ने बताया कि याचिकाकर्ता साल 1989 बैच के कर्मचारी हैं और उन्हें 1991 में कनिष्ठ लेखाकार के पद पर नियुक्ति दी। वहीं बाद में उन्हें पदोन्नत करते हुए साल 2014-15 में सहायक लेखाधिकारी प्रथम के पद पर पदोन्नत किया गया। याचिका में कहा गया कि विभाग ने गत 19 सितंबर 2025 को आदेश जारी कर याचिकाकर्ताओं से करीब करीब चार साल जूनियर कर्मचारियों को लेखाधिकारी पद पर पदोन्नत कर दिया गया, याचिकाकर्ता संबंधित वरिष्ठता सूची में उनसे काफी ऊपर हैं। ऐसे में उनसे कनिष्ठ को दी गई पदोन्नति में वरिष्ठता के सिद्धांत की अनदेखी की गई है। वहीं वरिष्ठों से पहले कनिष्ठ को पदोन्नति देना सेवा नियमों, विभागीय पदोन्नति नीति तथा संविधान के अनुच्छेद 14 एवं 16 के विपरीत है। याचिका में कहा गया कि इस मामले में कोई वित्तीय विवाद नहीं है, क्योंकि याचिकाकर्ताओं को चयन वेतनमान एवं लेखाधिकारी ग्रेड पहले ही प्राप्त है, लेकिन विवाद सम्मान, पद और वैधानिक वरिष्ठता के अधिकार से जुड़ा हुआ है। वहीं यदि कनिष्ठों की पदोन्नति बनी रहती है तो वरिष्ठ कर्मचारियों को उनके अधीन कार्य करना पड़ेगा, जो सेवा के मूल सिद्धांतों के विपरीत है। इसलिए कनिष्ठों की पदोन्नति पद पर नियुक्ति पर रोक लगाई जाए। जिसके जवाब में राज्य सरकार की ओर से कहा गया कि वे फिलहाल पदोन्नति पर आगे कार्रवाई नहीं करेंगे। इस पर अदालत ने राज्य सरकार की अंडरटेकिंग को रिकॉर्ड पर लेते हुए मामले की सुनवाई टाल दी है।

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हिन्दुस्थान समाचार / पारीक