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जयपुर, 18 दिसंबर (हि.स.)। ऊर्जा मंत्री हीरालाल नागर ने कहा है कि मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा के नेतृत्व में राज्य सरकार ऊर्जा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता के लक्ष्य को लेकर पूरी प्रतिबद्धता से कार्य कर रही है। दूरदर्शी सोच के साथ लिए गए मजबूत नीतिगत निर्णयों का ही परिणाम है कि राजस्थान आज सौर एवं अक्षय ऊर्जा के क्षेत्र में देश के अग्रणी राज्यों में शामिल हो गया है।
गुरुवार को विद्युत भवन में ऊर्जा विभाग की दो वर्ष की उपलब्धियों को लेकर मीडिया से बातचीत करते हुए नागर ने बताया कि प्रदेश की कुल अक्षय ऊर्जा क्षमता बढ़कर 41,189 मेगावाट हो गई है। बीते दो वर्षों में अक्षय ऊर्जा क्षमता में 17,820 मेगावाट की उल्लेखनीय वृद्धि दर्ज की गई है। उन्होंने कहा कि सौर ऊर्जा में भी राजस्थान देश में सिरमौर बना हुआ है, जहां स्थापित सौर ऊर्जा क्षमता 35,337 मेगावाट तक पहुंच चुकी है। इस अवधि में सौर ऊर्जा क्षमता में 17,325 मेगावाट का इजाफा हुआ है।
ऊर्जा मंत्री ने कहा कि किसानों को दिन में बिजली उपलब्ध कराने की दिशा में सरकार तेजी से आगे बढ़ रही है। वर्तमान में प्रदेश के 22 जिलों में दिन के दो ब्लॉक में कृषि बिजली आपूर्ति की जा रही है। मुख्यमंत्री ने वर्ष 2027 तक किसानों को दिन में बिजली उपलब्ध कराने का संकल्प लिया है, जिसकी क्रियान्विति मिशन मोड में की जा रही है।
उन्होंने पीएम-कुसुम योजना का उल्लेख करते हुए बताया कि पूर्ववर्ती सरकार के कार्यकाल में जहां केवल 92 सौर संयंत्रों के माध्यम से 122 मेगावाट क्षमता जोड़ी गई थी, वहीं पिछले दो वर्षों में इस योजना के तहत 1,048 सौर ऊर्जा संयंत्र स्थापित कर 2,345 मेगावाट क्षमता विकसित की गई है। कुसुम कंपोनेंट-ए में राजस्थान देश में प्रथम और कंपोनेंट-सी में तृतीय स्थान पर है।
नागर ने बताया कि पिछले दो वर्षों में प्रदेश में 1 लाख 95 हजार 825 नए कृषि विद्युत कनेक्शन जारी किए गए, जबकि पूर्ववर्ती सरकार अपने शुरुआती दो वर्षों में केवल 1 लाख 63 हजार 258 कनेक्शन ही दे पाई थी। प्रसारण तंत्र को सुदृढ़ करने के लिए 400 केवी के 2, 220 केवी के 5 और 132 केवी के 41 सहित कुल 48 ग्रिड सब-स्टेशन स्थापित किए गए हैं, जबकि पूर्ववर्ती सरकार के पूरे पांच वर्षों में केवल 44 जीएसएस स्थापित हो सके थे।
उन्होंने कहा कि प्रदेश में उपयोग के लिए कुल उत्पादन क्षमता में बीते दो वर्षों में 6,839 मेगावाट की बढ़ोतरी की गई है, जबकि पिछली सरकार के पांच वर्षों में यह वृद्धि केवल 3,958 मेगावाट रही थी। ऊर्जा मंत्री ने बताया कि पीईकेबी कोल ब्लॉक से कोयला खनन पुनः शुरू होने से थर्मल इकाइयों को पर्याप्त कोयला उपलब्ध हो रहा है। दिसंबर 2024 में 775 कोल रैक प्राप्त हुए, जो अब तक का सर्वाधिक आंकड़ा है।
नागर ने बताया कि परसा कोल ब्लॉक से मार्च 2025 से खनन शुरू हो चुका है, जबकि ‘केंटें एक्सटेंशन’ कोल ब्लॉक से आवश्यक स्वीकृतियों के बाद मार्च 2026 से खनन प्रारंभ होने की संभावना है। उन्होंने कहा कि सरकार ने विद्युत उत्पादन बढ़ाने के लिए केंद्रीय उपक्रमों के साथ संयुक्त उपक्रम के तहत 42,438 मेगावाट क्षमता की परियोजनाओं के लिए 1.93 लाख करोड़ रुपये के एमओयू किए हैं, जिनमें से 1.20 लाख करोड़ रुपये के निवेश के लिए जॉइंट वेंचर कंपनी गठित की जा चुकी है।
ऊर्जा मंत्री ने बताया कि अक्षय ऊर्जा निगम और उत्पादन निगम को 22,987 मेगावाट क्षमता के सोलर पार्कों के लिए 44,247 हेक्टेयर भूमि आवंटित की गई है। देश का सबसे बड़ा सोलर एनर्जी पार्क पूगल (राजस्थान) में विकसित किया जा रहा है। इसके साथ ही बैटरी ऊर्जा भंडारण प्रणाली के क्षेत्र में भी राजस्थान अग्रणी है, जहां लगभग 6,000 मेगावाट-ऑवर क्षमता की निविदाओं में देश का सबसे कम टैरिफ प्राप्त हुआ है। उन्होंने बताया कि वितरण तंत्र को मजबूत किए जाने से जयपुर और अजमेर डिस्कॉम के एटीएंडसी लॉसेज क्रमशः 14 प्रतिशत और 9.19 प्रतिशत तक आ गए हैं, जबकि जोधपुर डिस्कॉम की तकनीकी एवं वाणिज्यिक हानि भी घटकर करीब 21 प्रतिशत रह गई है। जनवरी 2025 में प्रदेश में 19,165 मेगावाट की सर्वकालिक उच्चतम बिजली मांग दर्ज की गई, जिसे बिना किसी कटौती के पूरा किया गया।
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हिन्दुस्थान समाचार / ईश्वर